Dharm Veer Raika

Horror Romance Classics

4.7  

Dharm Veer Raika

Horror Romance Classics

मेरी भयानक घटना पर्यटन स्थल।

मेरी भयानक घटना पर्यटन स्थल।

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मैं मेरे परिवार के साथ ग्रीष्मकालीन छुट्टियों में घूमने गया। सर्वप्रथम ऋषभदेव मंदिर धुलेव( उदयपुर ) दर्शन करके और वहां से रवाना होकर राजस्थान की सबसे बड़ी मीठे पानी की जयसमंद झील गए और हम सारे परिवार नाव में बैठकर झील का आनंद ले रहे थे। हमने सारी झील में घूमकर  वापस नाव से उतर‌ गए। हम पेड़ियों से चढ़ रहे थे। तभी अचानक मेरी नजर एक मासूम छोटी- सी लड़की पर गई और वह लड़की झील के अंदर गिर गई। और उस मासूम लड़की की मां रो रही थी। कह रही थी "बचाओ- बचाओ'' मेरे से यह देखा नहीं गया। और मैं झील के अंदर कूद गया। मैं जैसे -तैसे तेरकर उस मासूम लड़की को बाहर निकाला। तब उसकी मां के पास ले गया तभी उस लड़की की मां ने मेरे को आशीर्वाद दिया कहा -'जुग- जुग जियो बेटा'।

वहां खड़े काफी लोग यह दृश्य देख रहे थे। सभी लोगों ने कहा,आपकी बहादुरी को सलाम करते है । फिर वहां से रवाना होकर रणथंभोर अभ्यारण्य देखने गए। रास्ते में घने जंगल में हमारी गाड़ी पंचर हो गई और काफी रात पड़ गई और हमारे को खतरनाक जानवरों से बहुत डर लग रहा था। तभी सामने से एक गाड़ी आई। जिसमें काफी यात्री बैठे थे।

उसने कहा क्या हुआ, हमने कहा -गाड़ी पंचर हो गई ।उसने हमारी मदद करके गाड़ी को ठीक किया। और फिर हम रणथंबोर अभ्यारण्य गए। रणथंभोर अभ्यारण्य में काफी पक्षी, बंदर ,शेर ,हिरण देखे। हम गाड़ी में बैठे रास्ते से चल रहे थे। तभी हमारे को एक घायल हिरण दिखाई दिया।वह तड़प रहा था।हमने गाड़ी रोकी और उसके पास गए तो पैर मे चोट थी । तब हम एक कपड़े को फाड़कर पट्टी बांधी और पानी पिलाया। फिर हिरण उठ कर चली गई।

हम भी अपनी गाड़ी में बैठ कर वहां से चले गए और हम माउंट आबू की ओर प्रस्थान हुए। माउंट आबू का रास्ता इतना भयानक था कि गाड़ी में बैठे- बैठे का ह्रदय धड़कने लगा।कभी इधर, कभी उधर भयंकर मोड़ तभी बारिश शुरू हो गई और बारिश इतनी भयंकर थी कि सामने 200 मीटर के बाद कुछ नहीं दिखाई देता है।अब गाड़ी धीरे धीरे चल रही थी। हमारे को बहुत डर लग रहा था। फिर चलते-चलते रात पड़ गई।अब लाइट चालू की गाड़ी की तो वही स्थिति और बारिश थमने का नाम नहीं ले रही।जैसे-जैसे ओर बढ़ रही है बारिश तो फिर हम एक होटल में ठहरें।मैं होटल के कमरे में था। तब खिड़की से बारिश का सारा दृश्य देख रहा था। बिजली भयंकर गर्जन और प्रकाश चमक रहा था। फिर हम सो गए।

और सुबह उठे तब एकदम सुहाना मौसम था। फिर माउंट आबू की नक्की झील( राजस्थान की सबसे ऊंची व कहा जाता है कि देवताओं ने नाखून से खोदकर बनाई )फिर हमने माउंट आबू का आनंद लिया और वहां से दिलवाड़ा जैन मंदिर देखने गए। फिर वहां पर इतने बड़े-बड़े खंभे थे कि हम देखकर हक्के- बक्के रह गए। कहा जाता है कि 1444 खंभे है। इसमें हमने सारे परिवार सहित इतनी यात्रा में बहुत भयानक- भयानक दृश्य देखे जो कभी सोच भी नहीं सकते और हम वहां हंसी-खुशी घर पहुंचे। और फिर हमने जितने भी भयंकर दृश्य देखे। उनको परिवार के साथ मिलकर हंसी खुशी से वापस दोहराहे। मेरी कलम तो थमने का नाम ही नहीं ले रही। छोटी मोटी घटनाएं काफी घटी। लेकिन मुख्य घटना को प्राथमिकता दी। इस प्रकार हमारी ग्रीष्मकालीन यात्रा पूर्ण हुई।


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