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Dharm Veer Raika

Children Stories Horror Romance

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Dharm Veer Raika

Children Stories Horror Romance

मानुष में देश सेवा जुनून

मानुष में देश सेवा जुनून

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एक गरीब परिवार का लड़का मात्र वर्ष का था।वो लड़का रोजाना स्कूल जाता है और स्कूल से आने के बाद जंगल में लकड़ियां से लकड़ियां काटकर लाता है। उसकी मां सुबह शाम की लकड़ियां रख लेती है। और बाकी बची लकड़ियां उसकी मां बाजार में बेच देती है। साथ साथ में उसकी मां कचरा बीनने का भी काम करती है। इनसे दोनों मां बेटे का गुजारा चलता है। उस लड़के का नाम मानुष रखा गया जो कि उसके पिता ने रखा था। मानुष के पिता की मर्त्यु जब मानुष महीने का था तब हो चुकी थी। मानुष बहुत ही होशियार और बहुमुखी व्यक्तित्व वाला लड़का था।जोश, जुनून, लग्न,मेहनत जन्म से ही समाहित थी। 

मानुष कक्षा में सबसे होशियार और गरीब लड़का था। हर बार कक्षा में प्रथम आता था। स्कूल की हर गतिविधियों में भाग लेता। और कहीं पुरस्कार मिल चुके थे। 

एक दिन स्कूल से आने के बाद जंगल में लकड़ियां काटने गया। पसीना चोटी से एड़ी तक बह रहा था। तभी यह गाड़ी आती है।उस गाड़ी का कलर सेना के खाकी कलर सा होता है और पास आकर रुकती है।उसमें दो सेना के जवान थे। वे जवान खाना खाने के लिए सड़क की साइड में गाड़ी को रोक देते है। सेना के जवान खाना खा रहे थे तभी मानुष को‌ लकड़ियां काटते-काटते प्यास लगी तो वह जवान के पास जाता है।

मानुष - साहब प्यास लगी है पानी पिला दो

 जवान -हां, यह ले पानी।

मानुष- ना साहब ,आप पिलाओ।

 जवान- क्यों ?

मानुष- मैं एक गरीब परिवार से और नीची जाति से हूं , तो मैं स्वयं पानी नहीं पी सकता।

जवान- कोई अपवित्र नहीं होता है तुम पहले पानी पीकर अपनी प्यास बुझाओ।

मानुष- हां साब 

जवान- तेरे हाथ में कुल्हाड़ी है और पसीने से लथपथ क्या कर रहा है।

मानुष -लकड़ियां काट रहा हूं।

जवान- लकड़ियां क्यों काटता है इतनी सारी लकड़ियों से क्या करेगा।

मानुष- साब सुबह -शाम का खाना भी इन लकड़ियों के भरोसे है।

 जवान- नाम क्या है तेरा ?

मानुष- मानुष 

जवान -नाम तो मानुष बहुत अच्छा रखा है किसने रखा।

 मानुष- मेरे पिताजी ने।

 जवान- पिता जी क्या कर रहे है।

 मानुष-

अब मानुष भावुक हो जाता है। अब जवान उसके पिताजी के बारे में पूछ हैं और मानुष किस तरह जवाब देता है। क्रमशः


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