STORYMIRROR

Dharm Veer Raika

Others

3  

Dharm Veer Raika

Others

एक जवान का भयानक सपना....!

एक जवान का भयानक सपना....!

4 mins
203

मैं अजीतसिंह राजस्थान के नागौर जिले के एक छोटे-से गाँव का रहने वाला हूँ। मेरे घर में मेरी बूढ़ी माँ और एक छोटी बहन है ! 19 साल की उम्र में ही मैं फौज मैं भर्ती हो गया। फौज में भर्ती होते ही पास ही के गांव में मेरी सगाई हो गई थी! 

मेरी ट्रेनिग पुणे में हुई, और मेरी ट्रेनिंग होते ही मेरी पोस्टिंग कश्मीर के पुलवामा सेक्टर में हो गई थी । मेरी ड्यूटी पुलवामा की एक चौकी पर थी, हम वहां पर 50 लोग थे। मैं दिन में अपनी ड्यूटी करता ! एक दिन मैं रोजाना की तरह ड्यूटी करके लौटा तो दिल में कुछ बेचैनी सी हो रही थी। घर की बहुत याद आ रही थीं। 


तभी मेरी माँ का फोन आया तो माँ ने बताया की बेटा जल्दी से घर आजा तेरी शादी पक्की हो गई है तेरी शादी की बहुत- सी तैयारियाँ करनी है जब से मैंने तेरी शादी की खबर सुनी है मेरा मन फुला नहीं समा रहा है! मैंने तेरे लिये सेहरा बुनना भी शुरु कर दिया है और अब तो छोटी(बहन) भी बड़ी हो गई है , उसके लिये भी कोई अच्छा सा लड़का देख कर उसकी भी शादी करनी है।


फिर मैंने कहा, हाँ माँ मुझे भी अब कुछ दिनों में छुट्टियाँ मिलने वाली है ,मैं जल्दी ही घर लोट आऊंगा माँ , इतना कहकर मैंने फोन रख दिया।


मैं माँ से बात करके बहुत खुश था। बात करने के बाद में खाना खा कर सो गया। तभी मुझे एक सपना आया, सपने में मैंने अपने घर को देखा मेरा घर फूलों से सज़ा हुआ दिख रहा था! सब लोग बहुत खुश दिखाई दे रहे थे ,मेरी छोटी बहन नाच रही थी और मेरी बूढ़ी माँ एक खाट पर बैठी मेरे लिये सेहरा बुन रही थी, तभी अचानक एक जोर की चीख सुनाई दी मेरे घर के दरवाज़े पर कुछ आर्मी के जवान खडे़ दिखाई दे रहे थे और उनके पास तिरंगे से लिपटा एक ताबूत था। सब के चेहरे पर एक डर दिखाई दे रहा था जब जवानों ने ताबूत को मेरे घर के सामने रखा ! 

तो देखा की ताबूत के पास बेठी मेरी छोटी बहन चीख चीख कर रो रही थी। और मेरी माँ जो मेरे लिये सेहरा बुन रही थी वो भी दौड़ते हुए आई और उस ताबूत के लिपटकर रोने लगी थी तभी जवानों ने उस ताबूत को खोला तो मेरा पसीना छूट गया क्योंकि उस ताबूत में मेरी लाश थी। मैं पूरा डर सा गया था मेरी माँ रोते- रोते बेहोश हो गई थी उस वक्त ऐसा लग रहा था जैसे मेने सब की खुशियों पर पानी फेर दिया हो। तभी अचानक मेरी आंख खुली तो मैंने देखा की मेरे साथी जवान मेरे पास बैठे थे और सब लोग मुझे बस यही पुछ रहे थे की क्या हुआ कोई बुरा सपना देखा क्या ? तू ठीक तो है ना?

मेरे ऊपर सवालों की बौछार हो रही थी ,लेकिन मैं इतना डर सा गया था की कुछ भी नहीं बोल पाया। मैं अपना सर हिला कर इतना ही कह पाया की 'हाँ' मैं ठीक हूँ और पानी पीकर फिर से लेट गया और बाकी सब जवान भी सो गये। मेरी पूरी नींद उड़ चुकी थी और मैं बस यही सोच रहा था की कही मेरा ये सपना सच हो गया तो सब कुछ बर्बाद हो जायेगा। मेरी बूढ़ी माँ की कौन सेवा करेगा कौन मेरी छोटी की शादी करेगा। मेरे दिमाग में बुरे ख्याल आने लगे थे। मैं कुछ भी नहीं समझ पा रहा था और इस तरह मैंने पूरी रात यूँ ही गुजार दी।


जब सुबह हुई तो मैं फिर से ड्यूटी पर जाने के लिये तैयार हुआ और अपने कुछ साथियों के साथ निकल पड़ा। सब लोग अपनी अपनी बातें करते हुए जा रहे थे लेकिन मैं चुप- चाप उनके पीछे - पीछे चल रहा था क्योंकि मैं अभी भी डरा हुआ था मुझे कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था। 


फिर हम जैसे ही शाम को वापस लौट तो CO सर ने मुझे अपने ऑफ़िस में बुलाया और कहा की तुम्हारी छुट्टी मंजूर हो गई है अब तुम कुछ दिनों के लिये अपने गाँव जा सकते हो। मैं यह बात सुनकर बहुत खुश हो गया मैं ऑफ़िस से निकल कर अपने तम्बू में गया और जल्दी -जल्दी अपना सामान बांधने लगा क्योंकि मुझे सुबह जल्दी निकल ना था। उस रात मैं जल्दी ही खाना खा कर सो गया लेकिन घर जाने की खुशी में नींद ही नहीं आ रही थी। सुबह होते ही मैं घर की तरफ चल पड़ा और देर रात को मैं अपने घर पहुँचा मुझे देख मेरी माँ और छोटी बहुत खुश हुई और माँ ने मुझे अपने सीने से लगा लिया। ये देख मैं भी बहुत खुश था।

 

  


Rate this content
Log in