मेरे गुलाब
मेरे गुलाब
कल पतिदेव जी से मैंने वादा लिया...
कि मुझे आप ताजे गुलाब उपहार में देंगे ..और मेरे बालों में लगाएंगे..क्योंकि मुझे गुलाब की भीनी खुशबू बहुत पसंद है ......
पतिदेव जी ने मुझे अनदेखा करते हुए हाँ हाँ.. करके चले गए... मैंने भी कह दिया मेरी बातों को ध्यान से नहीं सुना तो समझ लेना... शाम को.....
मैंने भी दिन का सारा काम खत्म कर लिया और गुलाबों के सपने देखने के लिए दोपहर में मीठी नींद ली...
सपने में देखा कि पति देव जी गुलाब को लेने में मोलतोल कर रहे हैं ..आखिरकार सौदा तय हुआ और मेरे पास लेकर आए लो...प्रिये ₹50 का यह गुलाब लाया हूँ...
मैं देखते ही समझ गई ..मैंने कह दिया यह 25 रुपए वाला लग रहा है ..बोले.. तुम्हें कैसे पता ..!!
मैंने कहा.. मुरझाया हुआ है...
बोले ..घर तक लाते लाते मुरझा गया है..
मैंने कहा इसमें कांटे भी तो हैं..
बोले तोड़ डालो काँटे .. मैं अभी आता हूँ..
मैंने कहा ..मतलब..??
बोले तुम्हारे बालों में फूल लगाने..
मैंने कहा काँटे मैं तोड़ू.. फूल तुम लगाओ ...
यही करना है ..तो मैं काँटे तोड़ कर खुद लगा लूंगी...
इतने में मेरी नींद खुल गई.. ऐसा आभास हो रहा था कि जैसे उँगलियों में काँटे ..अभी भी चुभ रहे हैं....
थोड़ी ही देर में कॉल बेल बजी और पतिदेव जी हाथ में पॉलिथीन लिए गाना गाते हुए अंदर दाखिल हुए...
फूल तुम्हें...
देखो डार्लिंग.. मैं तुम्हारे लिए फूल लाया हूँ...
मैं भी हतप्रभ रह गई एक काम को दस बार कहती हूँ तो यह सुनते हैं ....
आज इतनी जल्दी मेरे लिए गुलाब कैसे ले आए..!!!
कुछ गड़बड़ तो जरूर है....!!
इतने में मैंने देखा ..वो दो गुलाब के फूल लाकर मेरे बालों में लगा दिए.. मैं भी बहुत खुश हो गई ...
मैं जाकर शीशे के सामने खड़ी हो गई ..
खुद को देखने के लिए ...इतने में सारी पंखुड़ियां टूट टूट कर मेरे हाथों में गिरने लगी....
मैंने पूछा.. ये कहाँ से लाए हो गुलाब...
यह तो बिना लगाए ही टूट रहे हैं...
नहीं प्रिये.. वह तुमसे घबरा रहे हैं...
उनकी भी हिम्मत नहीं है ..तुम्हारे बालों में टिकने की..
इतने में मैंने देखा कुर्सी पर जो पॉलिथीन रखी है उसमें फूलों की माला थी ...जिसमें कि दो फूल गायब थे....
मैं समझ गई....
मेरा गुस्सा सातवें आसमान पर था..
मैंने पूछा सच सच बताओ ...
ये फूल तुम खरीद कर लाए हो या...
वह अनजान बन कर मुस्कुराते हुए बोले..
क्यों क्या हुआ...!!!
जो हुआ है वह तुम्हें भी पता है...
फिर भी बताओ तो क्या हुआ.....
मैंने कहा ..आज तुम जिस उद्घाटन में गए थे..
तुमको वहाँ गुलाब की माला पहनाई गई थी और तुमने उसी माला से दो फूल तोड़ कर मेरे बालों में लगा दिये और जो की पूरी तरह मुरझा चुके हैं...
तुम्हें कैसे पता.....
मैंने उठाकर पॉलिथीन इनके सामने झाड़ दी....
मैंने कहा...मुझे ऐसे पता....
वह जोर से हँसते हुए बोले ..अच्छा चलो इस पूरे माला की पंखुड़ियों से तुम्हारे ऊपर बरसात कर देते हैं...
मेरी भी हँसी नहीं रुक रही थी यह सोच कर कि आखिरकार इन्होंने यहां भी अपनी कंजूसी दिखा दी....
और यह कह कर खुश किया एक फूल से थोड़ी काम बनता है ...ये तो पूरी माला तुम्हारे लिए चाहिए....।।