मेरा पहला प्यार
मेरा पहला प्यार
1996 में मेरी शादी हुई। अभी उम्र के 21 ही सावन पूरे किए थे। एक बहुत ही अच्छे घर से रिश्ता आया।लड़का कंप्यूटर इंजीनियर था। मैं शादी करके अपने घर विदा हो गई।
शादी के बाद दिल्ली में हम एक छोटे से फ्लैट में रहते थे। अरेंज मैरिज थी लेकिन बहुत प्यार करने वाला पति मिला।शादी के पहले जब ये मुझे देखने आए थे तो उम्र में बहुत बड़े लग रहे थे। चश्मा भी लगाते थे शायद इसलिए। पर मम्मी पापा की पसंद को तो स्वीकारना ही था। शादी के बाद भी मेरी पढ़ाई चालू थी। मैं M.A. कर रही थी। मेरी एक्जाम की डेट प्रीपोनड होने से शादी के 1 महीने बाद ही पेपर पड़ गए। मैं बिल्कुल भी पढ़ाई नहीं की थी, ना ही मेरे पास कोई नोट्स थे। मेरे हस्बैंड साइंस स्ट्रीम के थे फिर भी उन्होंने पढ़ाई में मेरी मदद की।शुरू मे किचन में लाइट ना रहने पर भी जब मैं रोटी बनाती थी तो पंखा कर देते थे।छोटी-छोटी बातों का बहुत ध्यान रखते थे मेरे हस्बैंड। हस्बैंड के रूप में एक बहुत अच्छे दोस्त को मैंने पा लिया था।
जब मैं मम्मी के घर जाती थी तो बहुत ही प्यार भरा खत लिखते थे। और खत के अंत मे लिखते थे अपना ख्याल रखना मेरे लिए।ये शब्द मुझे बहुत खुश कर देते थे।मेरे अच्छा और सच्चा पहला प्यार मुझे मेरे जीवन साथी के रूप में मिला। अब तो लगता है कि इनके बिना मैं अधूरी हूँ।आज मेरी शादी को कई साल हो गए हैं पर ईश्वर की कृपा से हमारा प्यार आपस में अभी भी वैसे ही मधुर बना हुआ है।