मेहनत
मेहनत
सीतापुर गांव में किसान रहता था । किसान के दो पुत्र थे । सुखीराम और दुखीराम दोनों बेटे आलसी और निकम्मे थे ।दोनों बेटों से परेशान रहते थे । एक दिन दोनों बेटों को बुलाकर कहा अब मैं बूढ़ा हो गया हूं । तुम दोनों कमा कर लाओ । अब दोनों बेटे कमाने के लिए निकल गए । सुखीराम और दुखीराम दोनों शाम को खाली हाथ लौट आए ।किसान देखते रहे गए। आखिरकार कामचोर घूम कर आ गए ।किसान मन ही मन सोचता रहा कि बेटों को कैसे सुधारू । एक दिन उसने सोचा कि क्यों ना इसकी शादी कर दिया जाए ।
किसान ने दोनों बेटों का शादी कर दी ।शादी के बाद भी सुखीराम और दुखीराम आलसी हो गया ।अब मैं बूढ़ा हो गया हूं । यही सोच कर परेशान थे ।आखिरकार एक दिन किसान बहुत बीमार पड़ गए। बीमारी के कारण कुछ नहीं कर सकते ।अब दोनों बेटों को बुलाकर कहा तुम दोनो को बटवारा दे रहा हूं। मेरे पास तुम दोनों को देने के लिए कुछ नहीं हैं । मेरे पास दो घड़ा है जिसको खेत में गड़ा दिया हूं। अपने खेत में जाकर निकाल लो मेरे जाने का समय आ गया है । आखिरकार किसान मर।गया ।सुखीराम और दुखीराम खेत में जाकर खोदने लगा । खेत को खोदते खोदते पूरा खेत को खोद डाला । सुखीराम और दुखीराम को समझ आ गया मेहनत करने से ही फल मिलता है ।अब दोनों भाई सुख से रहने लगे ।
