चायवाला
चायवाला
गोपालपुर गांव में गरीब किसान रहता था। उसके दो बेटे राजू और साधु।
गरीबी के कारण दोनों बेटों को नहीं पढ़ा पाए। गरीबी की हालत में पालन पोषण कर रहा था। एक दिन अचानक बहुत बारिश हुई बारिश के कारण उसके घर द्वार उजड़ गए। किसान बहुत बीमार पड़ गए बीमारी के कारण किसान का मृत्यु हो गई। राजू और साधु का पालन पोषण करने वाला कोई नहीं था। राजू बड़ा था साधु छोटा राजू अपने भाई को लेकर शहर चला गया और सड़क के किनारे एक पेड़ के नीचे चाय बना कर राहगीरों को चाय पिलाने लगा धीरे धीरे उसकी चाय को बहुत पसंद करने लगे। सुबह से लेकर शाम तक चाय बेचने का काम करने लगा, फिर उसकी चाय बहुत चल अच्छी चलने लगी, धीरे-धीरे उसकी गरीबी दूर होने लगी साधु भी बड़ा गया। दोनों भाई बढ़िया प्रेम पूर्वक रहने लगे। दोनों भाई खूब मेहनत करने लगे चाय की बदौलत वह अमीर बन गए और राजू गरीबी हालत को देखते हुए उसके दिल को बहुत ठेस पहुंचा कि वह गरीबों की मदद करने लगे जहां भी दिखे गरीब आदमी उसकी मदद करते थे। और धीरे-धीरे गरीबों के दिलों में छा गए गरीबों की मसीहा कहलाने लगे। अब तो गांव से लेकर शहर तक राजू चायवाला के नाम से प्रसिद्ध हो गए।
मेहनत का फल मीठा होता है।
