परिवार
परिवार
सुल्तानपुर गांव में मोहन नाम का एक लड़का था। वह बहुत गरीब था उसके चार पुत्र थे चारों पुत्र चतुर और होशियार थे। मोहन अपने पुत्रों से बहुत खुश थे मोहन ने अपने पुत्रों को काम धंधा में लगा दिया था। मोहन के चारों बच्चे अलग-अलग काम धंधों में जाते थे मोहन के चारों पुत्रों कुछ बात को लेकर विवाद हो गया विवाद इतना बढ़ गया की एक दूसरे की बातें नहीं सुनते थे। मोहन बहुत परेशान थे इन चारों बच्चों को कैसे एक साथ मिलाया जाए। मोहन अपने पुत्रों की चिंता करने लगे। आखिर कैसे अपने परिवार को मिलाया जाए। एक दिन खाट पर बैठे बैठे सोच रहे थे तभी उसके दिमाग में अपने पुत्रों की शादी करने का फैसला किया फिर चारों पुत्रों को बुलाकर कहा बेटा अब घर में काम बुता करने आने वाला नहीं है। घर के काम को संभालने वाला नहीं है क्यों ना शादी कर दी जाए। चारों बेटे हामी भरी और चारों पुत्रों की शादी एक साथ कर दिया। शादी में सभी भाई एक -दूसरे से बोलने लगे और शादी के बाद उसका परिवार बिखर गया था। बहुओं के आने से उसका परिवार एक हो गया। अपने काम धंधे से आ कर सभी एक जगह बैठ कर एक साथ खाना खाते थे। उसका परिवार सुख चैन से रहने लगा मोहन की समस्या का हल हो गया। गांव वाले मोहन के परिवार को देखकर मोहन को शाबाशी देते थे और उसका सम्मान करते है। छोटा हो या बड़ा हो सुखी परिवार है। परिवार का आनंद परिवार में होता है। मोहन चारों पुत्र परिवार को समझ पाया।
