गरीबों की सेवालेखक अशोक
गरीबों की सेवालेखक अशोक
मीना नाम की एक छोटी लड़की थी ।वह गरीब थी बचपन से अनाथ थी ।दादी मां ने उसे पाल पोस कर बडी की और मीना जब बडी हुई तो उसकी दादी ने सोचा मीना की शादी की जाए। मीना बहुत पढ़ना चाहती थी। मीना पढ़ने में बहुत होशियार थी। गांव वाले बहुत प्यार करते थे । एक दिन गांव की मुखिया ने मीना को पूछा बेटी तुम क्या बनना चाहती हो मीना ने बहुत ही सरल एवं मीठी बातों से बोली मैं डॉक्टर बनना चाहती हूं ताकि मैं गांव वालों की सेवा कर सकूं ।मुखिया ने उनकी बातों को सुनकर बहुत खुश हुआ मुखिया जी ने उसे आशीर्वाद दिया मीना को आगे पढ़ने के लिए विदेश भेजा पूरा खर्चा गांव वालों ने उठाया जब मीना डॉक्टर बन कर आई सबसे पहले दादी मां का आशीर्वाद मिला । गांव वालों से मिली गांव वालों से मिलकर उन्हें बहुत खुशी हुई ।मुखिया की सहायता से गांव में बहुत बड़ा अस्पताल खोला गया ।अस्पताल में मीना मरीजों की सेवा करती रही । मीना गांव वालों की मदद करती रही। मीना पर मुखिया जी का प्रभाव पड़ा । मीना की खूब चर्चा हो रही थी। मीना आखिरकार बहुत डॉक्टर बन गई ।दादी अम्मा बहुत बूढ़ी हो गई थी ।आने जाने में दिक्कत होती थी फिर भी मीना ने उसकी खूब सेवा की आखिरकार दादी अम्मा की मृत्यु हो गई। मीना अकेली रहने लगी तभी मुखिया जी ने शादी का प्रस्ताव रखा । मुखिया जी के प्रस्ताव को इंकार कर दिया और बोली मुखिया जी मैं शादी नहीं करूंगी ।मेरा लक्ष्य आप लोगों की सेवा करना हैं ।मैं गांव में रहकर उन बीमार लोगों की सेवा करूंगी इस तरह मुखिया जी ने उसकी बातों को सुना और आशीर्वाद दिया ठीक है बेटी आप इसी गांव में रहकर गरीबों की सेवा करो । भगवान तुम्हारा भला करेगा इस तरह मीना गरीबों की सेवा करती रही ।
