जादुई बर्तन
जादुई बर्तन
आशा नाम की गरीब लड़की थी । वह अकेली रहती थी उसके माता-पिता गुजर गए थे । एक साहूकार के यहां रोज काम करती थी ।साहूकार उसे बहुत ज्यादा काम करवाती थी और पैसे बहुत कम देते थे । लेकिन क्या करें कम पैसों में ही अपने जीवन चलाती थी । एक दिन की बात है आशा सोई हुई थी तो अचानक उसे सपने में साधु बाबा दिखाई दी साधु बाबा ने उसे जादुई बर्तन के बारे में बताया । साहूकार के यहां जादुई बर्तन है उस जादुई बर्तन को तुम ढूंढ लेना और अपने घर में लाकर रख लेना तुम्हें जो चीजें मांगना है जादुई बर्तन में डाल देना । आपको सब कुछ मिल जाएगा । इतना कहकर चले गए अचानक नींद खुली तो आशा इधर-उधर देखने लगी फिर साहूकार के यहां काम करने के लिए चली गई । साहूकार के घर में उस जादुई बर्तन को ढूंढने लगी । जादुई बर्तन नहीं मिली तभी साहूकार ने एक बर्तन लेकर आशा के पास आ ही रहे थे और बोले यह बर्तन पुरानी हो गई है । बर्तन को तुम अपने घर रख लेना । साहूकार को जादुई बर्तन के बारे
पता नहीं था । आशा बर्तन लेकर अपने घर चली गई । एक अनाज का दाना डाला जैसे ही अनाज का दाना डाला उसमें उस बर्तन में बहुत सारे अनाज आ गए । जीवन में खुशियां आए और धीरे-धीरे उसकी गरीबी दूर होने लगी और वह अमीर बन गई । आशा ने साहूकार की यहां काम करना बंद कर देती है । कुछ दिनों के बाद साहूकार आशा के घर आए और बोले काम पर क्यों नहीं आ रही हो आशा ने कहा की मैं अपने घर का काम करती हूं । साहूकार ने जब देखा कि आशा इतनी जल्दी अमीर कैसे हो गई उसके मन में बार-बार प्रश्न आ रहा था । साहूकार समझ नहीं पा रहे थे तभी साहूकार ने कहा कि मेरा बर्तन कहां है । यह जादुई बर्तन है । मैंने जादुई बर्तन से गरीबों की सेवा की है । जादुई बर्तन को मैंने इसे संभाल कर रखा है । आप ले जा सकते हैं । साहूकार ने कहा कि यह बर्तन तुम्हारे हैं ।तुम गरीबों की सेवा करेंे । मुझे कोई लालच नहीं है । तुम बहुत अच्छी हो तुम्हारी मन में कोई लालच नही है ऐसा कहकर अपने घर चले गए ।