आम का पेड़
आम का पेड़
सीतापुर गांव में एक पंडित जी रहता था ।वह रोज भिक्षा मांग कर जीवन यापन करता था ।गांव में लोग उसे पुरोहित कह कर पुकारते थे। एक दिन पूजा पढ़ने दूसरे गांव जा रहा था तभी रास्ते में एक बुढ़िया मिली और आम का पेड़ पकड़ी थी। बुढ़िया पंडित जी को देख कर कहा पंडित जी मैं ज्यादा नहीं चल सकती । गांव में जाकर पेड़ का महत्व बताना, मेरे पास बहुत सारे आम का पेड़ हैं । पंडित जी बुढ़िया की बातों को ध्यान से सुना ।अम्मा जी जरूर मैं गांव वालों को पेड़ का महत्व बताऊंगा।और सारे पेड़ को बगिचा में लगाऊंगा ऐसा कहकर पंडित जी वहां से चला गया। पीछे मुड़कर देखा तो बुढ़िया गायब हो गई । यह तो माता रानी थी ।एक दिन पंडित जी ने गांव वालों बुलाकर कहा मैं तुम लोगों को आम का पौधा दूंगा । कुछ लोग पंडित जी मजाक उड़ा रहे थे इतने सारे आम का पौधा कहां से लाएंगे तभी एक छोटी सी बच्ची जिसकी उम्र दस वर्ष उसे मुन्नी कहकर पुकारती थी ।वह बोली पंडित जी सारे पौधे को मैं लगाऊंगी पंडित जी बहुत खुश हो गए ।फिर उसके साथ और बच्च
े आ गए सारे पौधे को बंजर पड़ी भूमि में लगवा दिया । अचानक पंडित जी भगवान को प्यारे हो गए। आखिरकार बच्चों की मेहनत एक दिन रंग लाई ,कुछ वर्षों बाद आम का पेड़ बड़ा हो गया फल लगने लगे ।सारी जवाबदारी उस नन्ही बच्ची जिसका नाम मुन्नी थी।आम का बगीचा बन गया ।सभी बच्चे आम के पेड़ में खेलते थे और और पंडित जी की बातों को याद करते और आम की रखवाली करते थे ।गांव वालों ने पंडित जी की बातों को याद करते हुए गांव में एकता का परिचय देते हुए बहुत सारे पेड़ पौधे और लगाएं गांव वालों को एहसास हुआ पौधों से ही हमारा जीवन हैं आज एक पेड़ की सहायता से बहुत सारे आमदनी हो सकते हैं ।सभी ने कसम खाई कि अपने बच्चे के जन्मदिन के दिन एक आम का पेड़ जरूर लगाएंगे इस इस तरह आम के पेड़ के महत्व को जाना । आम का पेड़ फलदाई होता है
सभी गांव वालों ने पंडित जी की एक मूर्ति बनवाई उसके सामने एक आम का पेड़ लगवा दिया ताकि भविष्य में उसके द्वारा बताए गए रास्ते को अपना सके इस तरह मुन्नी और गांव वाले खुशी से रहने लगे ।