AMIT SAGAR

Abstract

4.3  

AMIT SAGAR

Abstract

मेहनत के लाइक

मेहनत के लाइक

5 mins
241


मैंने आज अपना फेसबुक अकाउण्ट खोला है, इतनी खुशी मुझे अपने सेविंग अकाउण्ट खोलते हुए नहीं मिली थी जितनी आज मिली है। आजकल जिसे देखो वो फेसबुक की बाते कर रहा था, फेसबुक पर मुझे इतने लाइक मिले, मुझे इतने कमेंट मिले, मेरी छः गर्लहफ्रेन्ड हैं, मेरे दस ब्यायफ्रेन्ड है, मैने फला फला नाम से चार आई डी बना रखी हैं, अजी बस यूँ समझ लो कि आजकल तो बस हर  तरफ फेसबुक के चर्चे हो रहे थे। मुझे फेसबुक के बारे में सारी बाते न समझकर केवल दो ही बाते समझ मे आयी लाइक और कमेंट, जिसके पास जितने लाईक और कमेंट होगे वो उतना ज्यादा प्रसिद्ध है, और इसी प्रसिद्धि की उपलब्द्धी की प्राप्ती के लालच के कारण मैंने हफ्ते भर में ही दो सौ से ज्यादा फ्रेन्ड बना लिये। फेसबुक पर पहले मैं अपनी साख बना रहा था, जिस किसी की भी पोस्ट आती थी मैं झट से लाईक और कमेण्ट ठोक देता था। मैं सही और गलत का फर्क अच्छी तरह जानता था, साथ ही सही को सही और गलत को गलत कहना भी मुझे भली भातिँ आता था, पर जबसे मैं फेसबुक पर एक्टिव रहने लगा तब से गधे, घोड़े, कुत्ते, बिल्ली, बन्दर और भालू जैंसी शल्ल वाले लोगो को भी अवेसम, नाइस, और सुपर्ब कहना पड़ रहा था। और यह सब मैं इस लिये कर था, ताकि वक्त आने पर यह लोग भी मेरी पोस्ट को ऐंसे ही लाइक करें, और सारे दोस्तो मे मेरी धाँक जम जाये। गलती से कोई च अक्षर भी पोस्ट कर देता तो मैं उसे चाँद समझकर लाईक कर देता था। एक तरह से अब यह मेरी ड्युटी बन चुकी थी कि आठो पहर किसी की भी पोस्ट आये मुझे लाईक और कमेंट करना ही करना था।

इतना सबकुछ करने पर मुझे यह पुर्णतया विस्वास हो गया था कि जब मेरी पोस्ट आयेगी तो लोग धड़धड़ लाईक और कमेंट करेगें ही करेगें, सभी लोग मेरी पोस्ट आने का बेसब्री से ईन्तेजार कर रहे होंगे। मैं उनसे अब और ईन्तेजार नहीं कराना चाहता था, सो मैंने फेसबुक पर अपनी पहली पोस्ट डाउनलॉड कर दी, और अपने मोबाइल को किसी भगवान की मुर्ती की तरह अपनी आखो के सामने रखकर लाइक और कमेंट का ईन्तेजार लरने लगा। लाईक और कमेंट पाने को मन ऐंसे उतावला हो रहा था जैंसे सुहागरात को दुल्हा, दल्हन का घुंघट उठाने को होता है। दस मिनट बीत गये पर अभी तक कोई लाईक और कमेंट नहीं आया। कोई बात नहीं लगता है अभी किसी की निगाह नहीं पड़ी होगी, पर दस मिनट से बढ़कर अब एक घण्टा हो गया था पर अभी भी कोई लाइक और कमेंट नहीं मिला, मन अब उतावले पन से सीधा बैचेनी कि ओर रूख कर रहा था, और चार घण्टे बाद यही बैचेनी अब चिन्ता का विषय बन गयी कि आखिर लोग लाइक और कमेंट क्यो नहीं कर रहें हैं। धीरे -धीरे पुरा दिन गुजर गया, चिन्ता अब उदासी में बदल गयी। मन अजीब अजीब तरह की बाते सोचने लगा, सारे फेसबुक फ्रेन्ड मुझे अब दुश्मन नजर आने लगे। मैंने सभी की पोस्टो को लाइक और कमेंट किया, और जब मेरी बारी आयी तो सब ने अपने हाथ खीँच लिये। अरे कम्बख्तो क्या सब के सब लोगो के हाथो पर लकवा पड़ गया है जो मेरी पोस्ट पर लाइक और कमेंट नहीं कर रहे हो। फिर मन में खयाल आया कि हो सकता हेै कि वाकई किसी को मेरी पोस्ट पसन्द नही आयी हो, यहाँ सब के सब मेरी तरह दिलदार तो है नहीं जो वेबजह ही लाईक और कमेंट लुटाते फिरेगें, यही सोचलर मैंने एक और अच्छा सा फोटो बाल बगैराह काड़कर खीचाँ और पोस्ट कर दिया, इस फोटो में ‌मैं किसी हिरो से कम नहीं लग रहा था। पर अबकि बार भी मेरी पोस्ट को किसी ने लाइक और कमेंट नहीं किया। लाइक और कमेंट का इन्तेजार करते हुए मैं रात भर करवटे बदलता रहा पर कोई फायदा नहीं हुआ। मैं हफ्ते भर तक रोज यूँ ही फेसबुक पर पोस्ट करता रहा पर मुझे अभी तक एक भी लाईक या कमेंट नहीं मिला। लगता हैं अब तो किसी फेसबुक एक्सपर्ट से बात करनी पड़ेगी की लोगो को मेरी पोस्ट आखिर पसन्द क्यों नहीं आ रही हैं। पर मैं किसी एक्सपर्ट को नही जानता था, इस लाईक और कमेंट वाले दर्द से मैं अकेला ही तडपता रहा, मन ही मन घुटता रहा, पर किसी से कभी कोई जिक्र नही किया। अब मैं भी किसी की पोस्ट को लाइक नहीं करता था। एक दिन पास में ही रहने वला  मेरा एक फ्रेन्ड मुझसे बोला- क्या हुआ दोस्त आजकल फेसबुक नहीं चला रहे हो तुम्हारे लाइक और कमेंट नहीं मिल रहे है मुझे क्या हमसे खफा हो।  

मन तो यह चाह रहा था कि उसे जोरदार तमाचा जड़कर कहूँ कि क्या तुने मेरी पोस्ट को लाइक और कमेंट किया था, पर मुझे किसी को ताना देना नहीं आता था, मैंने कहा हाँ आजकल पढ़ाई पर ध्यान दे रहा हूँ । ‌

फिर उसने कहा - अरे यार कभी कभार तुम भी अपनी कोई पोस्ट डाल दिया करो , हमें भी दोस्तो की पोस्ट को लाइक और कमेंट करने में मजा आता है।  

मैंने कहा - किया तो था पोस्ट, क्या तुमने देखा नहीं 

वो बोला नहीं मैने तो नहीं देखा, जरा दिखाओ तो सहीं अपना मोबाइल, उसने मेरे मोबाईल से फोटो पोस्ट किया, और दो मिनट बाद ही लाइक और कमेंट आने शुरू हो गये। यह देखकर मैंने उससे पूछा - अरे यह तुमने कैसे किया।  

उसने कहा - बुद्धू तुमने ( only me show ) पर पोस्ट को सेव कर रखा था। इसलियें तुम्हारी पोस्ट कोई देख नहीं पा रहा था। पर अब सबकुछ ठीक है।  

देखते ही देखतेे मेरे 100 से ज्यादा लाईक और कमेंट हो गये। अपनी मेहनत के लाइक और कमेंट पाकर मै अब बहुत खुश था।   


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract