अन्धविस्वास की मौहर
अन्धविस्वास की मौहर
शाम का खाना तैयार था, हम मध्यम परिवार के लोगो को घर में जहाँ जगह मिलती है वहीँ बैठकर खाना खा लेते हैं।गर्मी का मौसम था, ड्यूटी से आकर मैं हाथ पाँव धोकर रसोई के पास ही फर्स पर बैठ गया । ठन्डा ठन्डा फर्स मुझे जन्नत का एहसाश करा रहा था।मैंने जैब से मोबाइल निकाला और टाइमपास करने लगा।
पत्नि बोली- खान खा लो जी।
मैनें कहा - यहीँ दे दो जी ।
खाने का नाम सुनकर मेरे हाथ में जो मोबाइल था वो मैंने स्टूल पर रख दिया।पत्नि ने खाने की थाली मेरे पास लाकर रख दी जिसमे पानी का गिलास भी था।बच्चो के डर के कारण मैंने गिलास को भी स्टूल पर मोबाइल के पास रख दिया, और खाना खाने लगा।मेरे दो बच्चे हैं पाँच साल का निक्कू और तीन साल का अप्पू, दोनों शैतानी कर रहे थे।तभी मेरे छोटे बेटे का हाथ गिलास पर लग गया और गिलास का सारा पानी मोबाइल पर जा गिरा । मोबाइल में बुरी तरह पानी घुँस गया, मेरा गुस्सा सातवे आसमान पर था, पर वो गुस्सा मैं दिखाऊँ किसे।बच्चो को पीट नही़ सकता, पत्नी को गाली दे नहीं सकता, खुद को अाँखे दिखा नहीं सकता।पर गुस्सा तो ज्वालामुखी के लावा की तरह होता है, एक बार गुस्सा आ जाये तो किसी ना किसी पर निकलता जरूर है।
मैंने झल्लाते हुए पत्नि से कहा - जब तुझे पता है मैं मोबाइल चला रहा हूँ तो खाने के लियें थोडी़ दैर रूक नहीं सकती थी।
वो बोली - मुझ पर गुस्सा क्यों करते हो मोबाइल में पानी तो तुम्हारी गलती से गिरा है।
मैंने कहा - मेरी नहीं तेरे बच्चो की वजह से गिरा है । दिन भर शैतानी करते हैं, ना कभी इनको डाटती है और ना ही इनको कोई तमीज सिखा रही है।
वो बोली - मुझे आँखे मत दिखाओ कल से दोनो बच्चो को अपने साथ ड्यूटी पर ले जाना और वहीँ तमीज सिखाना ।
अजी धीरे - धीरे बात इतनी बढ़ गयी कि मोहल्ले पड़ौस वाले इकट्ठा हो गये।मौहल्ले में हमारी गिनती सज्जन लोगो में होती थी, पर आज की इस चीखा- चिल्लाई के कारण मौहल्ले वाले जगह - जगह मुँह जोड़ने लगे।
खैर जैंसे तैंसे मामला शान्त हो गया।सुबाह हमारी पड़ौसन ने किसी दुसरी पडौसन से हमारी गुस्सा मुस्सी और मोबाइल वाली बात का बखान कुछ और ही शब्दो में किया।
पहली पडौसन दूसरी पड़ोसन से - अरे तु रात कहाँ थी, सारा मौहल्ला इकट्ठा था, पर तु दिखाइ नहीं दी।
दुसरी पड़ौसन - अरे ऐंसा भला क्या हो गया रात रात में।
पहली पडौसन - अरे रात तो बगल वाले घर में बहुत लड़ाई झगड़े हुए हैं।
दुसरी पडौेसन - क्यूँ क्या हुआ भला, वो दोनो तो बहुत सज्जनता से रहते हैं।
पहली - अरी बहन मोबाइल और गिलास मे पानी साथ साथ रखा था, बच्चे का हाथ गिलास पर लगा और सारा पानी मोबाइल पर जा गिरा।बस यही वजह थी।
दुसरी पड़ौसन - ओ - हो यह तो बहुत बुरा हुअा।भइया हम तो आज के बाद कभी मोबाइल के पास पानी का गिलास नहीं रखेंगे।
अगले दिन दुसरी पडौसन तीसरी पडौसन से - अरी बहन क्या तुम्हे पता है परसों फला के घर मोबाइल और पानी का गिलास साथ साथ रखने की वजह से उनके घर बहुत झगड़ा हो गया था।उस निर्दयी आदमी ने छोटी सी बात पर अपनी पत्नी को बहुत मारा था।
तीसरी पडौसन - अच्छा ! इसका मतलब यह हुआ कि मोबाइल और पानी का गिलास साथ साथ नहीं रखना चाहियें वरना घर में झगड़ा हो सकता है।
किसी और दिन तीसरी पड़ौसन अपनी रिश्तेदार से - अरी बहन फला दिन हमारे मौहल्ले में तो बहुत बुरा हो गया था।मोबाइल और पानी साथ साथ रखते ही आदमी पर जाने क्या भूत सवार हुआ, उसने अपनी पत्नी को बहुत मारा ।
महिने भर बाद रिश्तेदार अपनी किसी दुसरी रिश्तेदार से - अरी बहन मेरी एक रिश्तेदार फला मोहल्ले की बात बता रही थी कि उसके मोहल्ले के एक आदमी ने जैंसे ही मोबाइल के पास पानी का गिलास रखा उसके ऊपर भूत सवार हो गया और उसने अपनी पत्नि और बच्चे को मार दिया।
साल भर बाद दुसरी रिश्तेदार किसी और शहर में किसी अन्जान से - अरी बहन हमारे राज्य में एक शहर तो ऐंसा है जहाँ मोबाइल और पानी का गिलास साथ साथ नहीं रखते है, अगर कोई वहाँ ऐंसा करता है तो उस घर में किसी ना किसी की मौत हो जाती है।
पाँच साल बाद वही किस्सा किसी दुसरे राज्य में किसी दुसरे लहजे में - अरी बहन फला राज्य में तो मोबाइल और पानी का गिलास साथ साथ रखने से मौते होने लगती हैं।
दस साल बाद कोई अन्जान औरत मेरी पत्नी से - अरी बहन मोबाइल और पानी का गिलास कभी साथ साथ नही रखना चाहियें, अगर ऐंसा भूले से भी हो जाता है तो मोहल्ले के हर घर में मौत होती है।
दस साल एक दिन बाद मेरी पत्नी मुझसे - अजी सुनते हो मुझे आज एक नइ बात पता चली है, सामने वाली भाभी की माँ आयी थीं और कह रही थीं मोबाइल और पानी का गिलास साथ साथ रखने से अनर्थ हो जाता है मौहल्ले में किसी ना किसी की मौत हो जाती है।
मैंने कहा - अरे यह सब बकवास है, मैं यह सब नहीं मानता हूँ।
पत्नी - अरे ऐंसा होता है क्या तुम्हे याद नहीं है एक बार तुमने पानी का गिलास और मोबाइल साथ साथ रख दिया था तो हमारा भी झगड़ा हो गया था।
मैंने कहा - पहली बात तो जिस दिन हमारा झगड़ा हुआ था उस दिन किसी की मौत नहीं हुई थी।दुसरी बात यह कि हमारा झगड़ा इसलियें हुआ था क्योकि पानी गिरने से हमारा मोबाइल खराब हो गया था, जिसका कारण तुम थीं।
पत्नि - गलती मेरी नहीं तुम्हारी थी, तुम्हारे बच्चो की थी।
मैंने कहा - गलती मेरी नहीं तेरे पूरे खानदान की है, जो चिकनी चुपरी बाते करके मेरे पल्ले तुझे बाँध दिया।
पत्नि - खानदान पर मत जाओ तुम्हारे जैंसे नंगा खानदान नहीं है मेरा।
अजी बात बढ़ते बढ़ते इतनी बढ़ गयी कि बीच बिचाव करने के लियें मोहल्ले वालो को आना पड़ गया, मौहल्ले वालो ने वजह पूँछी तो पता चला वही मोबाइल और पानी के गिलास के कारण झगड़ा हुआ था । खैर जैंसे तैंसे समझाकर मोहल्ले वालो ने लड़ाई को शान्त करवा दिया।
अगले दिन पड़ौस में रहने वाले एक नब्बे साल के दादा जी खत्म हो गये जो कि बहुत दिनो से बीमार चल रहे थे ।
तो दोस्तो इस तरह कभी कभी एक छोटा सा वाक्या भी एक अन्धविस्वास का रूप ले लेता है, और सालों बाद उस झूठे अन्धविस्वास पर सत्यता की मौहर भी लग जाती है।