मैं, तुम और हम

मैं, तुम और हम

18 mins
813


दिसम्बर का महीना शुरु हुआ था, शहर बरेली बिजली नहीं आ रही थी एक छब्बीस साल का नवजवान पुराने से मोहल्ले के एक पुराने घर की सीढ़ियाँ चढ़ रहा था उसने दरवाज़ा खटखटाया, अचानक एक इक्कीस साल की लड़की ने दरवाजा खोला सुन्दर सी लड़की, चेहरा मासूम सा, खूबसूरत सी आँखों से टपकती शालीनता नज़रें नीचे थी कि अचानक दरवाज़ा बाहर की तरफ धक्का मारते हुए मुस्कुरा दी और वो लड़का लड़खड़ा गया खुद को सँभालते हुए हंसा और बोला “मैं तो आज चला गया था।”

लड़की हलकी सी हंसी और दरवाज़ा खीचते हुए बोली आपका वेलकम था। लड़की का नाम नव्या था। उसके पिता बाहर निकल के आये बोले क्या नाम है आपका “जी शहान दिल्ली में इंजीनियर हूँ और यहाँ 2 महीने की छुट्टी पे आया हूँ।

“ अच्छा जी, मैंने अरविन्द जी से सब बता दिया, बेटा नव्या को पढ़ाई में बहुत परेशानी हो रही है, सब हो तो जाएगा ना ?”

“जी जी बिलकुल आप परेशान न हो “शहान ने जवाब दिया, नव्या किताबों को हाथ में लेके सामने वाली कुर्सी पे बैठ गयी, सर मैट्रिक्स पढ़ना है “नव्या बोली।

“देखो नव्या घबराओ मत सब हो जाएगा इंजीनियरिंग बहुत टफ नहीं है बस कॉन्फिडेंस रखना ठीक ?” शहान ने जवाब दिया।

नव्या सर को हिलाते हुए बोली “जी”

दूसरे दिन शहान सुबह ही नव्या के घर आ गया, नव्या की माँ चाय लेके आई, शहान ने नव्या से कहा “ आंटी जी से मना कर दो कि चाय न दिया करें मुझे, मैं कोई अध्यापक नहीं हूँ, मैं तो बस यूं ही आ गया था, अंकल जी का नेचर अच्छा लगा और तुम्हें भी पढाई में ज़रूरत है इसलिए आ गया वरना मैं तो अगले महीने दिल्ली जा रहा हूँ।

“जी” नव्या ने सर हिलाया।

कुछ दिन बीत गए नव्या और शहान में अब अच्छी बनने लगी, नव्या का मुस्कुराता चेहरा शहान की बातें सुनके और खिल उठता, शहान का नेचर बहुत हंसमुख था उसे नव्या को मुस्कुराता देख अच्छा लगता था।

“ क्या आप प्रधान मंत्री बनना चाहते हैं ?” नव्या चौंक के बोली उसकी बड़ी आंखे और बड़ी हो गयीं।

“हाँ चाहता तो यही हूँ, पता है मैंने आज तक अपना सपना किसी से भी शेयर नहीं किया। शायद तुम पहली इंसान हो जिससे मैंने ये बात बताई है।”

-नव्या मुस्कुरायी।

उसे शायद ये बेसहारा सा अपनापन बहुत अच्छा लगा। “अच्छा तुम बताओ तुम्हारा सपना क्या है ?”, शहान ने पूछा। नव्या चुप थी, नज़रें नीची, कुछ सोच में डूबी थीं, मुस्कुरा रही थी पर बोल कुछ नहीं रही थी।

शहान उसकी चुप्पी देखके मुस्कुराया और बोला “मुझे तो पता है,एक कामयाब मॉडल ?” नव्या चौंक गयी। “ आपको कैसे पता ?”

“ मुझे तो सब पता है “ इतराते हुए शहान बोला और मुस्कुराया।

नव्या अपनी नज़रें नीचे करते हुए मुस्कुरायी। इसी तरह दिन बीतने लगे सर्दी और सर्द होने लगी, नव्या और शहान की बातें और बढ़ने लगीं। दोनों को एक दूसरे का साथ अच्छा लगने लगा।

“आप घर कैसे जाएँगे बहुत सर्दी है, नव्या ने अपना शॉल देते हुए कहा ये लीजिये।” शहान ने शॉल लिया और अलविदा कहा।

जिस नंबर पे आप संपर्क करना चाहते हैं वो अभी दूसरे नंबर पे व्यस्त है। शहान ने फ़ोन जोर से पटका और फिर से नंबर मिला दिया उसका मित्र जय बहुत देर से उसे देख रहा था।” क्या कर रहा है ? किस को फ़ोन मिला रहा है ? उसने पूछा,

“नव्या को आधे घंटे से फ़ोन कर रहा हूँ, फ़ोन व्यस्त है उसका, कहाँ बात कर रही है वो ?” शहान ने जवाब दिया।

“ कहीं भी कर रही हो शायद कोई करीबी हो, तू क्यूँ दखल दे रहा है ?” जय ने कहा। शहान ने जवाब नहीं दिया।

शाम को नव्या के घर पे, गुलाबी कमीज़ और काली स्कर्ट में नव्या किताबों का ढेर लेके अन्दर से आई और सामने कुर्सी पे बैठ गयी। “कल मैं तुम्हे बहुत देर तक फ़ोन करता रहा, बहुत देर से फ़ोन व्यस्त था तुम्हारा, मुझे माफ़ करदो तुम्हें फ़ोन नहीं करना चाहिए था लगातार ।”शहान ने झिझकते हुए कहा।

नव्या ने तुरंत जवाब दिया कि उसने तो कोई भी मैसेज या फ़ोन में घंटी नहीं सुनी। शहान को गुस्सा आया पर उसने खुद पर धैर्य रखके जवाब दिया।” चलो कोई नहीं,

“अच्छा कल तुम बीमार थी क्या हो गया था तुम्हें ?” शहान ने चुहलबाजी ली और पूछा।

नव्या ने कुछ शर्माते हुए जवाब दिया “ जी वो बुखार था मैंने आपको बताया तो था।”

शहान मुस्कुराया, नव्या झेंप सी गयी।

“अब तो पेपर आने ही वाले हैं, पढ़ना शुरू कर दो “शहान ने कहा। उस दिन नव्या को पढ़ाते पढ़ाते रात हो गयी। ग्यारह बज गए थे घड़ी में। शहान ने जल्दी से अपना शॉल उठाया और वहां से निकलने का सोचा।

“शहान बहुत अच्छा लड़का है इंजीनियर भी है उसी फील्ड से”, नव्या के पिता मिश्राजी बोले उसकी माँ से।

“हाँ सब तो ठीक है, बस अब शहान की जाति और धर्म क्या है ?” नव्या की माँ ने पूछा।

“तुम भी हद करती हो हर जगह बस धर्म और जाति की बात करती हो, क्या रखा है इन सबमें , हमारी बड़ी बेटी की शादी अच्छे धर्म और जाति में ही हुयी है क्या पाया हमने आखिर।” नव्या के पिता झल्ला से गए ।

उन्हे अपनी पत्नी की इतनी कूटनीति अच्छी नहीं लगी। घर की घंटी बजी दरवाज़े पे शहान खड़ा था, कुछ परेशान सा, कुछ खो गया था शायद उसका।

नव्या के पिता हंसके बोले “ बैठो अभी आती है नव्या “ “ जी “ शहान ने उत्तर दिया। अन्दर से नव्या की माँ ने जोर से चिल्लाके कहा- शहान जी को मना कर दीजिये, नव्या को किसी फंक्शन में जाना है।

शहान ये सुनके कुछ हताश सा हो गया “ हाय आज मैं नव्या से नहीं मिल पाउँगा मेरा मन भारी है और आज ही वो मुझसे नई मिल पाएगी”। तभी इक पल के लिए नव्या वहां से निकली, कुछ हड़बड़ी में थी नारंगी सलवार कुरते में बेहद खूबसूरत लग रही थी, खुले उड़ते हुए बाल, लाली लगे हुए होंठ, गुलाबी गाल, आँखों में काजल। शहान उसे देखते ही रह गया बस, कुछ न बोला, न मुस्कुराया, मन ही मन “कितनी सुन्दर दिखती हो नव्या। काश! तुम ये श्रृंगार मेरे लिए करती”, उसने सोचा।”

आज मुझे जरा कहीं जाना है, माफ़ कीजे बताना भूल गयी आपको, ठीक है चलती हूँ”- नव्या बोली।

और एक पर्स हाथ में लेके तुरंत उन्हीं सीढियों से उतर गयी। शहान खड़ा उसे देखता रहा। इसी तरह दिन गुजरने लगे शहान को नव्या से लगाव होता जा रहा था। दिन भर की मुश्किलों को शहान नव्या के मासूम से चेहरे को देखके भूल जाया करता था ।नव्या को भी शहान का साथ, उसकी बातें अच्छी लगती थीं।

फिर एक दिन शहान समझा रहा था और नव्या सुन रही थी, “ हाँ तो ये टॉपिक समझ आया तुम्हें या फिर से।

नव्या कुछ खोयी- खोयी सी थी उस दिन। कुछ परेशां, कुछ दुखी, चेहरे की हँसी और आँखों की चमक सब गायब थी। शहान ने कलम नीचे रखी और पूछा “ क्या बात है? ये नव्या नहीं है।

बताना चाहो तो बता सकती हो, नव्या चुप थी फिर बोली “ जी वो। कुछ नहीं उसके होंठ रुक से गए। शहान ने फिर टॉपिक समझाना शुरू किया कि तभी नव्या की आँखों से टप-टप दो आसुंओं की बूंद गिर गयीं।

शहान चौंक गया, “अरे क्या हुआ, कुछ बताओ, नव्या रो मत मेरी विनती है तुमसे, चाहो तो बता दो शायद मैं कुछ सहायता कर सकूं तुम्हारी ?”

नव्या ने तब बताया- जी वो मेरे कॉलेज में एक गौरव हैं मुझे उनकी तरफ काफी झुकाव था उस दिन मैं मम्मी पापा से झूठ बोलके उनसे मिलने ही गयी थी वो भी इस तरह बात करते थे जैसे मेरी तरफ झुकाव हो, लेकिन उनकी शादी तय हो गयी है ,कल मेरी सहेलियों ने बताया मुझे, क्यूँ आखिर मुझे धोखा दिया ? क्या मैं ही मिली थी उन्हे, दिल तोड़ने के लिए, नव्या टूटी सी लग रही थी, उसके आसुओं की धारा और तेज़ हो गयी। शहान ने नव्या को चुप कराया,” जानती हो बदकिस्मत है वो, तुम नहीं, जो इतनी प्यारी लड़की का दिल तोड़ा उसने, बस तुम परेशां न हो।”

रात काली थी, झींगुर बोल रहे थे, नव्या बिस्तर पे करवट बदल रही थी, उसे नींद नहीं आ रही थी, अनमनी सी थी कि तभी नव्या के फ़ोन की घंटी बजी “ कैसी हो नव्या कल तो एग्जाम है, कैसी तैयारी है ?” शहान ने पूछा।

”जी वो बस पढ़ रहीं हूँ।“

“परेशां मत हो, गौरव के बारे में मत सोचो, छोड़ो बात को ख़त्म करदो, वो इंसान ही गलत था।”

“जी”- नव्या ने उत्तर दिया।

धीरे धीरे नव्या का मन बटने लगा उसने उस तरफ से रुझान हटा दिया । शहान और उसकी बातचीत अब और देर रात तक चलने लगी , नव्या और शहान दोनों को एक दूसरे का साथ अच्छा लगने लगा। नव्या का चुलबुलापन, शहान को बहुत अच्छा लगता था।

“तुम्हे पता है तुम एक गुड़िया की तरह हो नव्या तुम्हे देखके मुझे खुशी होती है।” क्या मैं एक गुड़िया ?”,नव्या ने चौंक के जवाब दिया ।

“हाँ बिलकुल तुम बहुत प्यारी हो एक गुड़िया की तरह, बहुत ही भोली, खुदा तुम्हें हर बुरी नज़र से बचाए। शहान ने कहा, नव्या चुपचाप सुनती रही मुस्कुराती रही। फिर मुस्कुरायी।

शाम को दूसरे दिन हाथ में किताब पढ़ते पढ़ते अचानक फ़ोन की घंटी बजी, “ जी पढ़ रही हूँ।” बिना पूछे ही नव्या ने उत्तर दे दिया। शहान ने हल्की सी हँसी दबोच ली,”और कितना पढ़ा ? कितना बाकी है ?” शहान ने फिर एक सवाल दाग दिया।

शहान ने उससे कहा “,तुम बहुत प्यारी हो, बहुत अच्छी हो, बहुत मासूम, मैं तुम्हें बहुत पसंद करने लगा हूँ।

“ जी जी। नव्या के होंठ सिल से गए दिल की धड़कन रुक सी गयी।” ये आप क्या, वो कुछ झिझकी। नव्या की जुबां कुछ कह ना पाई। शहान ने फिर से कहा “ हाँ मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ, तुमसे मोहब्बत करने लगा हूँ,क्या तुम भी मुझसे। मैं जानता हूँ तुम भी मुझसे प्यार करती हो तो बस आज रात 12 बजे तक मुझे जवाब दे देना।

इतना कहके शहान ने फ़ोन काट दिया नव्या स्तब्ध रह गयी थी ये आखिर क्या कह दिया था शहान ने, कुछ अलग सा क्या जवाब दे वो सोचने लगी रात के 2 बज रहे थे शहान के फ़ोन की घंटी बजी।

दूसरे तरफ से नव्या का सन्देश था शहान ने फ़ोन के इनबॉक्स को खोलके देखा “ मैं भी आपसे उतना ही प्यार करती हूँ।शहान मुस्कुराया।

दूसरे दिन शहान नव्या से मिलने उसके घर आया नव्या की नज़रें झुकी थीं आँखों का काजल गहरा था शहान ने हाथ बढ़ाते हुए कहा “आल द बेस्ट”।नव्या ने आगे की चार उँगलियाँ शहान की हथेली पे रख दी शहान के हाथ में पसीना था।” नव्या के गर्म हाथ भी शहान के हाथों का पसीना न सुखा पाए।

अचानक फ़ोन की घंटी बजी शहान ने बिना फ़ोन उठाये ही फ़ोन काट दिया ,वो कुछ परेशां सा लग रहा था।नव्या ने पूछा “ क्या हुआ किसका फ़ोन है ?’ किसी का नहीं।”शहान ने उत्तर दिया।तभी नव्या की माँ वहां आयी हाथ में एक पतेली थी जिसमे पुलाव था और एक कटोरा जिसमे छोले गर्म बने थे, पीछे से नौकरानी एक पतेली में रायता और दूसरी पतेली में कुछ खीरे काटके रखे थी।

“अरे ये सब ?” शहान ने चौंक कर कहा।

“नव्या ने हमें बताया था की आप कल बहुत भूखे थे, आजसे खाना यहीं खा लिया करिए”,नव्या के पिता ने उत्तर दिया।

शाम को शहान के पिता ने फ़ोन काट दिया,शहान ने भी फ़ोन रखते हुए खुद को बिस्तर पे गिरा लिया।वो बहुत टूटा सा था उसने फैसला किया वो सुबह होते ही नव्या से मिलेगा पता नहीं क्यूँ नव्या के पास अब उसे सुकून मिलने लगा था ।

शहान का चेहरा कुछ उतरा सा था । क्या बात है ? आप कुछ परेशां से हैं ?” नव्या ने पूछा।

शहान मुस्कुरा दिया, उसकी आँखों में आंसू भरे थे, चेहरा उतरा था, आंखे नम थीं, गला रुंधा था जब वो बोला,” तुम मुझे छोड़के तो नहीं जाओगी गुड़िया ?” नव्या ये सुनके कुछ चौंक सी गयी वो सोचने लगी आखिर बात क्या है।

“जी क्या हुआ ऐसा ? क्यूँ पूछ रहे हैं आप ये सब ?” नव्या ने पूछा। इतना पूछते ही शहान के सब्र का बाँध टूट गया और आसुओं की धार बहने लगी। नव्या ने शहान के चेहरे को आपने हाथ में ले लिया और शहान ने खुद को नव्या से चिपटा लिया।

शहान ने बताया “ मेरे पिता मेरी शादी ज़बरदस्ती एक व्यापारी की बेटी से करना चाहते हैं जिन्होंने मेरे पिता को कर्जा दिया था, मैं ये शादी नहीं करना चाहता हूँ कुछ समझ नहीं आ रहा है, और अब कोई भी नहीं है कहाँ जाऊं मैं ?” शहान रोते हुए कहा और एक छोटे से बच्चे की तरह नव्या से लिपट गया और उसके गोद में सर रखकर रोने लगा।”

आप परेशान मत हों, मैं हूँ ना, मैं आपसे प्यार करती हूँ, मैं निकालूँगी आपको इस मुसीबत से।

सुबह का वक़्त था, चिड़ियाँ बोल रहीं थी, सूरज पूरी तरह उग चुका था, शहान की माँ चाय बनाके रसोई से आ रहीं थी कि शहान के पिता ने चाय का कप उठाते हुए बोला, ”बस इसी महीने सगाई तय करली है, मैं और इंतज़ार नहीं कर सकता।”

शहान की माँ कुछ डर सी गयी,” जी एक बार तो शहान से पूछ लीजिये, मैं जानती हूँ वो ये निकाह नहीं करना चाहता, क्या कोई और उपाय नहीं हैं ?” चुप रहो तुम ? मैं क्या खुद उसके संग ऐसा कर रहा हूँ ? ऐसा नहीं है, जानती हो मैं कितना परेशां हूँ ? क्या एक बाप होके मैं भला ऐसा कर सकता हूँ ? नहीं बिलकुल नहीं, मजबूर हूँ मैं, शहान की माँ। इतना कहके वो चुप हो गए। शहान की माँ की आंखें नम थी।

“मैं बस आ रहा हूँ,”शहान ने फ़ोन काटते हुए बोला ,घर पंहुचा तो नव्या शहान का इंतजार कर रही थी, शहान उससे लिपट गया नव्या भी कुछ नहीं बोली पर मन ही मन समझ गयी की कुछ परेशां है शहान।” क्या बात है ?”,नव्या, वो इतना कहके चुप हो गया। नव्या ने शहान को धक्का दिया।” हटिये छोड़िये हमें दूर हो जाइये,आप मेरे प्यार के लायक नहीं है। हटिये, शहान ने नव्या को जोर से पकड़ा और उसे जोर से थप्पड़ मार दिया, नव्या ने देखा की उसका फ़ोन शहान के हाथ में था, ”कौन है ये राजेश ? क्यूँ फ़ोन कर रहा है तुम्हें ? नव्या कुछ समझ नहीं पाई उसने शहान से फ़ोन छीन लिया, शहान ने नव्या को उठाया जो सोफे पे गिर गयी थी और उसे उठाके माथा चूमते हुए बोला, “वाकई मैं तुम्हें बहुत प्यार करने लगा हूँ।” 

शहान चला गया। नव्या को कुछ समझ नहीं आया वो नाराज़ हो या फिर।

धीरे धीरे शहान और नव्या की मोहब्बत बढ़ने लगी, दोनों को एक दूसरे का साथ बहुत अच्छा लगने लगा, शहान और नव्या खूब देर रत तक पढ़ाई करते रहते, शहान नव्या को हमेशा कुछ न कुछ नया, पढ़ाने की कोशिश करता नेट की दुनिया की सैर नव्या ने शहान से ही तो सीखी थी, आज लिखना भी शहान ने सिखा दिया था उसे। घर की पुरानी अलमारी की धूल खाती नव्या की रचनाएँ अब इंटरनेशनल ब्लॉगिंग का हिस्सा बनने लगी थी

“चलो नव्या इस सन्डे मैं तुम्हें पहली डेट पे ले जाना चाहता हूँ ?”

जी डेट ?

पापा मम्मी से बताके कैसे ?” नव्या चुप हो गयी।

शहान ने जिद की “चलो ना नव्या ,प्लीज चलो ना”

नव्या ने हिम्मत बांधते हुए हाँ कह दिया।

“सुनिए मुझे नव्या और शहान का इतनी देर तक बात करना अच्छा नहीं लगता, पता नहीं कैसा लड़का है,ऊपर से मुसलमान, दुनिया थू-थू करेगी हम पे जी।”

-नव्या की माँ ने उसके पिता से कहा।

“ऐसा है क्या?अच्छा। देखता हूँ फिर नव्या को समझाते हैं।” नव्या के पिता ने जवाब दिया।

पेड़ के नीचे शहान नव्या का इंतजार कर रहा था, शाम का वक़्त था 6 बज रहे थे कि अचानक गुलाबी सलवार सूट में नव्या अँधेरे को चीरते हुए दिखी, वो मुस्कुरा रही थी दोनों ने एक दूसरे का हाथ पकड़ा और साथ साथ चलने लगे,चांदनी रात थी सितारे उनका आँचल थे ,घर के पास एक रेस्टोरेंट में दोनों पहुंचे, चंद बातें और साथ में चाट का चटपटा खट्टा-मीठा स्वादिष्ट स्वाद, बातों में और स्वाद भर रहा था। “काश इस वक़्त को यहीं रोक पाता” ,शहान ने नव्या का हाथ चूम लिया।

एक हफ्ते बाद नव्या के पिता कुछ सामान लेके लौटे घर कि उनका ड्राइवर खालिद बाहर कुर्सी पे बैठा था। “अरे तुम ! कैसे आना हुआ ?

जरा सामान उठा लाओ, नव्या के पिता ने सामान की ओर इशारा करते हुए कहा।

नव्या एक गिलास पानी लेके बाहर बरामदा में आयी। पापा को पानी देके जैसे ही अन्दर को मुड़ी, किसी के सवाल को सुनते हुयी रुक गयी। “जी क्या ?”,नव्या ने फिर से पूछा उससे।” कल मैंने तुम्हे शहान भैया के साथ देखा था।” नव्या के पिता हिचकिचा से गए और चौंकते हुए बोले “ क्या ?”,खालिद मुस्कुराया नव्या शर्मसार सा महसूस कर रही थी पिता के सामने। वो चुपचाप अन्दर चली आई और दरवाज़ा बंद करके जोर-2 से रोने लगी।

नव्या और शहान की मोहब्बत अब नव्या के मात पिता के सामने आ चुकी थी। माता पिता ने उसके और शहान के मिलने पे रोक लगा दी। मैं तुम्हारी शादी एक मुसलमान लड़के से नहीं करूँगा “मिश्राजी जी ने उसे डांटते हुए कहा।

नव्या की आंखें नम थीं। माँ-बाप की जिद के आगे उसे झुकना सही लगा। वो सोचती थी क्या खराबी है शहान में, हफ्ते भर पहले तो पापा-माँ शहान की कितनी तारीफ करते थे, क्या मजहब इंसान से बढ़के होता है?कई सवाल थे उसके । इन सवालों का जवाब शहान भी नहीं दे पाता था उसे। कॉलेज से लौटते वक़्त नव्या शहान से मिल लिया करती थी।

दिन गुजरने लगे, नव्या की बड़ी बहन की ससुराल वालों से झगड़े बढ़ने लगे। नव्या के माता-पिता उन झगड़ो में फंसते जा रहे थे , नव्या परेशां रहने लगी थी। अब ज़िन्दगी की उलझनों को सुलझाते -2 वो घर की उलझनों में उलझ गयी थी।

शाम का वक़्त था ,मिश्रा जी चाय पी रहे थे,ठंडी हवा चल रही थी,नव्या कमरे में पढ़ रही थी कि अचानक शहान ने उसे फ़ोन मिलाया ।

“मैं कल सुबह ही तुमसे मिलना चाहता हूँ, बहुत ज़रूरी बात है नव्या।” नव्या ने हाँ कह दिया। दूसरे ही दिन, सुबह का वक़्त था, चिड़ियाँ चहचहा रहीं थीं , फूल खिले थे ,शहान एक बगीचे में नव्या का इंतजार कर रहा था । नव्या कालेज का बैग टांगे आ रही थी।शहान वहीँ पास खडा था ।

”क्या हुआ ? बात क्या है ?”नव्या ने पूछा।

“मैं घर जा रहा हूँ नव्या 20 दिनों के लिए,सगाई करने,” शहान ने नव्या से कहा। नव्या का ये बात सुनते ही कलेजा फट सा गया

“क्या ?

“ये क्या कह रहे हो ?”, हाँ नव्या ये सच है, मेरी मजबूरी है, मैं प्यार हमेशा करता रहूँगा तुमसे नव्या पर अभी जाना बहुत ज़रूरी है, पापा की तबीयत बहुत ख़राब है उन्हे दमा का अटैक पड़ा है, माफ़ करो अभी गुड़िया मुझे लेकिन ये मत समझना मैंने तुम्हे धोखा दिया, मैं प्यार करता हूँ तुमसे और हमेशा करता रहूँगा,फिलहाल परसों जाना है। पापा को मेरी बहुत ज़रुरत है, बस इतना समझलो कि शहान एक चीज़ है जो बिक चुकी है, उसकी कोई इज्ज़त नहीं है,कोई मोल नहीं है उसका।इतना कहते हुए उसका गला रुंध गया।

“जोर से हँसी नव्या। “वाह क्या फ़िल्मी कहानी है तुम्हारी शहान, तुम्हें क्या लगता था मैं एक खिलौना हूँ, एक तमाशा हूँ, एक चीज़ हूँ जो इस्तेमाल किया और फेंका, निकल जाओ मेरी ज़िन्दगी से और शक्ल भी मत दिखाना। नव्या इतना कहता हुए वहाँ से निकल गयी। शहान मायूस, सा अपने हॉस्टल लौट आया।

2 दिनों तक शहान से नव्या ने बात नहीं की। शहान को अंदाजा नहीं था कि नव्या उससे इतनी बेरुखी करेगी, तीसरे दिन सुबह का वक़्त था, शहान मायूस सा अपना सामान बांध रहा था, नया सूट,नए जूते, नयी इत्र की बोतल, सब कुछ नया था लेकिन शहान वहीं पुराना था, चुपचाप गुमसुम, कुछ भी भा ना रहा था, उसके रूम के दोस्त ने शहान से चाय पीने को कहा, शहान ने चाय का प्याला मुंह से लगाया “चीनी कम है”, उसने कहा। रवी ने 2 चम्मच शक्कर और डालते हुए पूछा ?” चीनी तो ठीक है शहान तुम्हे इतना फीका क्यूँ लग रहा है ? मन नहीं है रवि रहने दो। ”बिस्कुट तो खा लो”, रवि ने फिर से कहा।

“नहीं मन नहीं है।”

बिस्कुट का पैकेट बैग में रख लेता हूँ, ट्रेन में खा लूँगा। 

टेम्पो में सामान रखते हुए शहान ने रवि को बाय बोला। स्टेशन के पास चौराहे पे टेम्पो रुकी, टेम्पो वाले को शहान ने बीस रुपये पकड़ाए ,उसने कहा फुटकर नहीं है, पैसे तुड़वाने का मन नहीं किया पांच रुपये ज्यादा देते हुए शहान ने उसे जाने को कहा। मन उदास था, प्लेटफार्म न। 1 से सात की तरफ जा ही रहा था कि कोई खड़ा दिखा स्टेशन पे, मासूम सी मुस्कान, बड़ी बड़ी आँखे, नीले कुरते में खुले आसमां सी।

“अरे ये तो नव्या है, शहान ने मन में कहा, पर ये यहाँ क्या कर रही है ? कहीं जा तो नहीं रही, मन फिर घबराया पर अब कैसे रोकूँ उसे नाराज़ है मुझसे क्या करूँ। तभी नव्या उसकी तरफ बढ़ी, हाथ में एक बैग था, जिसमें कुछ था।

नव्या ने हाथ में देते हुए कहा “ये लो खाने का डब्बा, ट्रेन का खाना मत खाना, सही नहीं रहता है बाहर कुछ खाना पीना। तुम्हारे मनपसंद छोले हैं”, साथ में तुम्हारे लिए बूंदी का रायता है। पापा की तबीयत ख़राब है, जाओ मोहब्बत का क्या है, मोहब्बत तो निभाने का नाम है, पाने का नहीं। ज़रूरी नहीं की हर मोहब्बत का अंजाम शादी से ही हो, कभी -2 दूसरों की खातिर इन्सान को खुद की ख्वाहिशों को मारना पड़ता है और फिर वो तो पिता है तुम्हारे। जाओ शहान जाओ। मैं यहीं इंतजार करुँगी तुम्हारा। ज़ल्दी आना।

आँखों में आंसू थे, वो सिसक रहा था। नव्या भी रो रही थी।” शायद हमारा सफ़र यहीं तक का था।

25 दिनों बाद शहर बरेली, सुबह के 10 बज रहे थे, ”अभी ना जाओ छोड़कर की दिल अभी भरा नहीं,” टेम्पो में बज रहा था, हरे सलवार कुर्ते में नव्या टेम्पो में सवार कॉलेज जा रही थी, उसके फ़ोन में मेसेज आया, ”मैं आज बरेली आ गया हूँ नव्या क्या हम शाम को कॉलेज के बाद मिल सकते हैं ?” शाम को 6 बजे के ही पास एक होटल में।

“माँ की तबीयत बिलकुल ठीक नहीं है, नव्या बहुत परेशां दिख रही थी। शहान ने कुछ सकुचाते हुए हाथ आगे किया पर फिर झटके से पीछे कर लिया, नहीं गुड़िया, अब मैं और तुम्हें धोखा नहीं देना चाहता ये गलत है, ज़ोया से सगाई करली है मैंने अब शायद हम दोनों का अलग रहना ही ठीक होगा परी। नव्या शांत थी बिलकुल चुप आँखों से आंसू गिर रहे थे पर वो एकदम खामोश थी, वो अचानक से उठी और चली गयी।

कई दिन बीत गए नव्या का कोई फ़ोन ना आया, शहान उसे फ़ोन करने की कोशिश करता तो भी वो बात न करती पर एक दिन अचानक शहान को नव्या का फ़ोन आया, रात के 9 बज रहे थे, शहान नव्या के घर पंहुचा, नव्या की माँ की हालत बहुत नाज़ुक थी, उन्हें अस्पताल ले जाया जा रहा था नव्या खड़े होके रो रही थी। शहान भी उन लोगों के साथ अस्पताल जा रहा था।

काली रात थी, एकदम सर्द ठंडी हवा, चेहरे को चीरते हुए हवा बह रही थी,अन्धेरा चीरते हुए सभी लोग अस्पताल पहुंचे। मिश्राजी की पत्नी को स्ट्रेचर पे लिटाया जाने लगा कि अचानक, माँ ! एक लम्बा सन्नाटा, नव्या चिल्लाई, मिश्राजी की पत्नी ने आंखे बंद कर ली थीं,

सब कुछ बदल चुका था, घर में खुशियों के सारे बादल जा चुके थे, नव्या बिलकुल खामोश सी रहने लगी थी, सब कुछ बदल गया था, वो अकेले बैठके सोचती रहती थी किसी से कुछ न कहती, शहान उससे अक्सर मिलने जाता था, खामोश नव्या को देखके वो उसे खुश रखने की कोशिश करता, नव्या को पढ़ाता, उसे आगे बढ़ने की हिम्मत देता, नव्या की ज़िन्दगी बदल चुकी थी, सब कुछ उससे छिन गया था, उसी खामोश ज़िन्दगी में शहान खनक डालने की कोशिश करता वो शायद सब कुछ भूल चुका था कि उसकी सगाई हो चुकी थी, वो किसी और से जुड़ने जा रहा था सब कुछ। धीरे धीरे नव्या को संवारना ही उसकी ज़िन्दगी बन गयी थी, दोनों एक दूसरे के लिए खुशियों का संसार बन गए। एक दूसरे के लिए जीने लगे उन्हें न ही किसी समाज, न ही किसी के पास होने का ख्याल रहता था अब। धीरे धीरे नव्या ने अपने पेपर दिए और पास होती गयी। अब नव्या के लिए शहान और शहान के लिए नव्या जीने लगी थी। ये था एक ऐसा रिश्ता जो इस संसार के सभी उसूलों, रस्मों से परे था।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Romance