Shikha Pari

Abstract Drama

4.4  

Shikha Pari

Abstract Drama

खनक

खनक

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रोज की तरह आज भी रात के 11:00 बजे थे मानसी के कमरे से जोर जोर से आवाज आ रही थी।बहुत कुछ गिर रहा था उस कमरे में बर्तनों की खनकती आवाज, कुछ पार्टियों की भी आवाज थी बीच-बीच में मानसी और अर्जुन की भी आवाज थी रोजमर्रा की जिंदगी की तरह यह आवाज भी अब रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन चुकी थी अगल-बगल के लोगों को भी अब इस आवाज की आदत पड़ चुकी थी।

किसी ने भी जानने की कोशिश नहीं की कि मानसी के कमरे से ऐसी आवाजें रात में क्यों आती है क्योंकि किराए का घर था इसलिए आपस में किरायेदारों की बनती नहीं थी कोई किसी के यहां कुछ भी पूछने के लिए तैयार नहीं होता था सब अपनी अपनी दुनिया में खोए रहते थे।

कुछ दिनों के बाद- 

मानसी का असली खिलाता चेहरा उदास था बहुत दिनों बाद में बालकनी में खड़ी थी बगल की ली ना ने उसे देखते ही आवाज लगा दी मानसी मानसी ने झट से लेना की तरफ देखा और दरवाजा बंद करते हुए अंदर जाने लगी लेकिन लीना ने मानसी का हाथ पकड़ते हुए अपनी तरफ खींचा और पूछा क्या हुआ मानसी ? 

 1 महीने से देख रही हूं तू कुछ ऊपरी ऊपरी है जब शुरू में इस घर में आई थी तब तो तू बहुत खुश रहती पति के साथ क्या हो गया तेरा चेहरा इतना उतरा हुआ क्यों रहता है मानसी चुप थी ऐसा लग रहा था जैसे वह कुछ भी सुनने के लिए के तैयार नहीं थी लीना ने फिर से उसे रोकने की कोशिश की की मानसी नहीं रुकी और वह हाथ छुड़ा के अंदर जाने ही वाली थी  मानसी बहुत जोर जोर से रोने लगी लीना को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था।

रीना ने फिर से मानसी से पूछने की कोशिश करी मानसी ने आप रोते हुए अपने आंसू पूछे और कहा मैं एक औरत हूं ना इसलिए हाथ उठाना आसान है रीना मर्द होती तो शायद मेरे पति मेरे ऊपर हाथ उठाने से पहले 2 बार सोचते लीना चौक गई बोली क्या बोल रही है तू क्या अर्जुन भैया ने तेरे ऊपर हाथ उठाया मानसी की आंखें झुकी हुई थी उसकी गर्दन पर एक लाल रंग का निशान था मालती ने उस निशान को दिखाते हुए  कहा हां लिना अर्जुन ने मेरे ऊपर हाथ उठाया और वह हमेशा ऐसे ही करते हैं कभी भी कोई भी बात हो चिल्लाना समान फेकना और मेरे ऊपर हाथ उठाना यह सब आम बात है।

लीना चौक गई लीना को बहुत तेज गुस्सा आया वह चिल्लाते हुए बोली तो इतना सब कुछ कैसे सह रही है क्यों ?

लीना मेरे पास अब कोई भी चारा नहीं है पति का घर छोड़ कर मैं कहां जाऊं मायके में भाई मुझे रखेंगे नहीं, किसी भी कीमत पर यहां से अगर चली गई। 

तो लीना चुपचाप सुन रही थी उसकी आंखें फटी की फटी रह गई उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे मानसी की यह हालत देख कर लेना को बर्दाश्त नहीं हो रहा था।

फ़िर एक दिन दिन अर्जुन घर पर आया मानसी कहीं भी दिखाई नहीं पड़ रही थी घर का आधा सम्मान भी घर से गायब था अर्जुन को लगा कि शायद चोरी हो गई।

एकदम से दरवाजे के बाहर आकर चिल्लाने लगा चोर चोर चोर रात का समय था लोग बाहर निकल कर आए अर्जुन घबराकर जोर जोर से चिल्ला रहा था मानसी मानसी कहां चली गई मेरे घर का सामान सब कहां चला गया अर्जुन चिल्लाते हुए बाहर आया था लीना खड़े होकर उसे देख रही थी अर्जुन के बहुत ज्यादा चिल्लाने पर लीना उसके पास गई और उसने अर्जुन से चुपचाप कहा अर्जुन तुम्हारे घर में चोरी हुई है लेकिन घबराओ मत कोई चोर आकर यह सब चुराकर नहीं ले गया मानसी खुद ही सारा सामान जो तुम इधर से उधर करके फेंकते थे जिन बर्तनों से तुम्हें तकलीफ थी वह सब मानसी ले जा चुकी है, जिस मानसी पर तुम हाथ उठाते थे आज वह मानसी हमेशा के लिए इस घर से उस सारे सामान को लेकर चली गई है तुम आराम से घर में अकेले रह सकते हो और हां अब तुम्हारे पास ऐसा कोई सामान नहीं है और ऐसी कोई चीज नहीं है जिससे तुम्हें परेशानी हो।  अब तुम आराम से हमेशा के लिए रह सकते हो।


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