प्रेम
प्रेम
प्रेम किसी से भी कहीं भी हो सकता है कभी सोच समझकर प्रेम नहीं होता जब भी होता है आंधी की ही तरह आता है और आपको हिलाकर रख देता हैं ये लम्हा तो सबकी जिंदगी में आता है प्रेम मे पड़ना, फिर वो दौर आता है जब प्रेम मुश्किल हो जाता है दौड़ सा लगता है रोज़ हम भागते हैं उसके पीछे भागते हैं फिर सोचते हैं कब तक भागना है?
आसान था सबकुछ फिर एकदम से मुश्किल हो गया बंदिशे तोड़ना आसान नहीं प्रेम पाना आसान नहीं आसान होता है बस प्रेम में पड़ना आसान होता है किसी का अच्छा लगना, किसी को अपने हिसाब से चुनना फिर एक दूसरे के सुख में दुख में साथ देना सबकुछ दो लोगों के बीच में आसान होता है आसान नहीं होता है जब दो से ज़्यादा लोगों का जुड़ना प्रेम आसान है मुश्किल दूसरे बना देते हैं!