मेरे अपने
मेरे अपने


रवि की नौकरी के आज 5 दिन हो गए थे मां बाप से झगड़ कर रवि ने यह फैसला लिया था पिताजी चाहते थे कि वह घर की दुकान लेकर लेकिन रवि के सिर पर नौकरी का भूत सवार था।
रवि के सारे दोस्त नौकरी कर रहे थे तो अगर वह दोस्तों के साथ नौकरी ना करता तो उसे सब यही कहते कि तू अपने बाबू जी से डरता है रवि खुद को डरपोक नहीं दिखाना चाहता था ऐसा नहीं था कि रवि नौकरी सिर्फ इसलिए करना चाहता था क्योंकि उसने बहुत ज्यादा पढ़ाई कर ली थी असली पढ़ाई तो पिताजी गांव में करवा रहे थे खूब बड़ी आढ़त की दुकान खूब पैसा लेकिन संभालने वाले सिर्फ रवि के पिताजी और दादाजी ,दादाजी की उम्र ज्यादा , थी जिससे अब रवि के पिताजी रवि पर निर्भर थे ।
रवि को तो झूठी नौकरी और झूठे दोस्त में अपनी जिंदगी नजर आ रही थी मां बाप से रवि ने 1 महीने से बात नहीं की थी मां का फोन फिर भी आ जाता था लेकिन बापूजी बापूजी रवि से गुस्सा थे वजह थी कि रवि अपने दोस्तों के साथ मिलकर अपने परिवार को भूल ही गया था।
शराब पीना, सिगरेट पीना, दोस्तों के साथ घूमना और उन्हीं के साथ पार्टी करना उसका शौक था शहर में रहना रवि का सपना, रवि ने सिर्फ इंटर पास किया रवि अपनी दुनिया में खोया रहता था ग्रेजुएशन की डिग्री भी पूरी नहीं की, उसके सारे दोस्त ग्रेजुएशन कर चुके थे लेकिन रवि फेल हो गया, फिर भी बाबूजी ने उसे कुछ नहीं कहा बाबूजी की यही उम्मीद थी कि रवि अब घर की दुकान संभालेगा। लेकिन रवि को तो किसी दोस्त की सहायता से उसे एक अच्छी नौकरी मिल भी गई, महीने के 8000 तनख्वाह ,खाना बनाना उसे आता नहीं था इसलिए अक्सर बाहर ही खाना खाता था या फिर किसी दोस्त के घर चला जाता था,रवि अपनी सारी तनख्वाह दोस्तों पर लुटा देता था, उसके दोस्त ही उसकी ज़िन्दगी थे,शराब और सिगरेट में दिन गुजर जाते थे। यह सब कुछ चलता रहा रवि ने जैसे तैसे छह-सात महीने यूं ही काट लिए।
देश में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा था, रवि की माँ ने फोन किया कि वो घर लौट आये ।रवि ने मना कर दिया।
रवि को लगा कि वो दोस्तों के साथ है और सुरक्षित है।रवि की माँ घबरा रही थी, रवि के बाबूजी से बोली -"जाइये आप रवि को लेआइये।बाबूजी तैयार हो गए।लेकिन तभी लॉकडौन लग गया। रवि ने सामने रह रहे दोस्त से मदद ली दोनों साथ में रहने लगे थोड़ा बहुत राशन खरीद कर दोनों काम चला रहे थे।
रवि जैसे तैसे दिन काट रहा था ,लेकिन अब राशन खत्म होने लगा था, रवि ने कई दुकानों में राशन पूछा सब बन्द था जिस दोस्त के साथ रह रहा था वो अपने मामा के यहाँ चला गया। रवि अपने दोस्त के साथ उसके मामा के यहाँ 2 दिन तक रुका ,लेकिन फिर तीसरे दिन वापिस आने का सोचने लगा, लॉकडौन में दोस्त के मामा, मामी रवि को देखकर मुँह बना रहे थे।रवि वापिस आ गया।उसके कई दोस्त उस शहर में थे उसने सोचा किसी न किसी के यहाँ तो जगह मिल ही जायेगी। काफी देर रात होने के कारण रवि ने किसी भी दोस्त के यहाँ न जाने की सोची।
दूसरे दिन सुबह रवि अपने दोस्त के पास गया, उसके रूम पर ताला लगा था, फोन किया तो वो घर जा चुका था ।रवि लौटकर रूम पे आ गया, तभी सामने रहने वाली आंटी दिख गई, रवि ने उनसे अपनी मुसीबत बताई आंटी ने डेली खाना देने का वादा किया,70 रु की थाली सुबह शाम किसी तरह एक महीना बीत गया। अब सैलरी भी आधी आने लगी, रवि परेशान था।माँ बाबूजी से भी लड़ाई कर ली रवि ने।
एक दिन रवि आंटी से खाना लेने गया लेकिन आंटी के घर के सामने पुलिस खड़ी थी, बांस बल्ली लग रही थी, रवि चौंक गया, घबराकर उसने पूछा , आंटी को करोना पॉजिटिव है रवि घबरा गया,
पुलिस ने पता लगाया कि आंटी कई घरों में खाना पहुंचा रही थी, जब रवि ने बताया पुलिस को कि वह भी आंटी के हाथ का बना खाना खा रहा था तो उसे भी पुलिस अस्पताल जांच के लिए ले गई दुर्भाग्य से रवि भी कोरोना पॉजिटिव निकला रवि अकेले उस शहर में घबरा गया पुलिस ने जब किसी अपने करीबी को फोन करने के लिए कहा कि रवि ने अपने कई दोस्तों को फोन लगाया लेकिन कोई भी कोरोना सुनकर उसके पास नहीं आया । रवि थाने में अकेला बैठा रो रहा था पुलिस ने उसे एक आइसोलेट कमरे में डाल दिया जहां कोई नहीं था रवि को अपना फोन चलाने की परमिशन मिल गई थी डरते डरते उसने घर पर फोन कीजिए मां ने जब फोन उठाया रवि ने काम की आवाज में बताया कि उसे कोरोना हो गया है।
मां के पैरों के तले जमीन खिसक गई मां जोर जोर से रोने लगी बाबूजी को जब पता चला तो वह और रवि की मां दोनों उसे लेने दूसरे की गाड़ी से शहर पहुंच गए रवि दूसरे दिन मां बाप को सामने देख कर चौक गया उसने कहा मां मुझे यकीन नहीं हो रहा कोरोना पॉजिटिव सुनने के बाद सारे दोस्तों ने साथ छोड़ दिया लेकिन आप लोग इस बीमारी के बारे में सुनने के बाद भी मेरे सामने खड़े हैं बाबूजी ने रवि को गले से लगाया और उसको इलाज कराने शहर के अस्पताल ले गए उस दिन रवि को समझ में आ गया था कि मां बाप से बढ़कर दुनिया में कोई नहीं है।