STORYMIRROR

Shikha Pari

Tragedy

3  

Shikha Pari

Tragedy

मजबूत बेटियाँ

मजबूत बेटियाँ

3 mins
276

 हम चार बहने थी और मैं सबसे छोटी. घर में जैसे फूल खिलता है वैसे वैसे ही मुझे मेरे पिताजी ने रखा था फूलों की सेज पर हमेशा से सोई थी, कांटो का अंदाजा भी नहीं था. हम चारों बहनें हंसती खेलती अपने बगिया में बहुत खुश थीं. तीन बहनों की शादी होने के बाद मेरे पिताजी काफी उदास रहने लगे थे ,क्योंकि मैं सबसे छोटी थी इसलिए मां-बाप का ख्याल मुझे ही पूरा रखना पड़ता था ।

समय कठिन आया और समय अच्छा भी लेकिन एक दिन ऐसा समय आया जो हमने कभी नहीं सोचा था मेरी मां की हालत बहुत गंभीर थी हम उन्हें अस्पताल ले जाने वाले थे लेकिन उन्हें डायबिटीज का अटैक आ गया और वह बेहोश हो गईं . जल्दबाजी में हम उन्हें अस्पताल ले गए. वह बच गईं ईश्वर की कृपा थी शायद उन पर लेकिन दो ही दिन बाद मेरे पिता खत्म हो गए. हां ,मां अस्पताल में बीमार थीं और पिता घर पर खत्म हो चुके थे . हमने मां से यह बात छुपा कर रखी कि पिताजी अब इस दुनिया में नहीं हैं . जब मां होश में आईं तो पिताजी को बार-बार पूछती थीं। हमेशा कहते कि पापा बाहर हैं कभी कह देते कि पापा सो रहे हैं कभी रजाई को खूब ऊपर पहाड़ जैसा करके कह देते कि पापा वहां सो रहे हैं।

 मां बार-बार सोचती थी कि पिताजी सामने क्यों नहीं आ रहे हैं ?

मैं इतनी बीमार हूं आखिर क्यों वह सामने नहीं आ रहे । तीन चार महीने बाद एक दिन मां को एहसास हुआ कि आप शायद पिताजी इस दुनिया में नहीं हैं .समाज ने दबाव बनाया कि मां को पहले बता देना चाहिए था लेकिन हमने अपनी मां की हालत देखते हुए उन्हें कुछ नहीं बताया था. पिताजी के जाने का गम अब हमारे साथ मां को भी झेलना था हमारे घर से खुशियां उजड़ चुकी थीं। छोटी चीजों के लिए हम जहां पिताजी को एक बार कह देते थे और वह हाजिर हो जाती थी वहीं अब खुद ही जाना पड़ता था . वह पैर जो घर से बाहर नहीं निकलते थे अब सड़कों पर लंबी लंबी यात्रा कर रहे थे।

 मन में बहुत सारे विचार थे ,लड़कियों का घर था, लोगों ने बहुत सारे सुझाव दिए. मुझे आज भी याद है कि एक बार मेरे पड़ोसी ने जो मेरी बहुत अच्छी सहेली थी उनके पिताजी ने एक बार जब मैं उनके घर गई तो मुझसे कहा "अब तो तुम लोग अपनी गाड़ी बेच दो चलाने वाला कोई नहीं है. तुम्हारे पिताजी थे तो चले गए यह बात सुनकर बहुत दुख हुआ और उस दिन के बाद मैं कभी भी उनके घर नहीं गई समाज के ताने और आस-पड़ोस की बातें सुनना और उनको झेलना मामूली बात थोड़ी ना है।

 कुछ दिनों के बाद कई लोगों ने सुझाव दिया कि हमें इस घर को बेच देना चाहिए क्योंकि अब पिताजी तो है नहीं और कोई दूसरा लड़का भी इस घर में नहीं है तो क्यों ना हम घर को बेच दें. लेकिन हमें यह सुझाव बिल्कुल पसंद नहीं था क्योंकि हमें अपने पिताजी की आखिरी निशानी बचाकर रखनी थी।


 पिताजी ने हमेशा हमसे कहा था कि बेटा चाहे कुछ हो जाए यह मकान तुम्हारा है और तुम लोग का ही रहेगा . हमेशा कभी भी कोई भी परेशानी होगी यह मकान रहेगा इसमें आकर तुम लोग रह सकती हो. मुझे आज भी याद है वह बात सच हमने अपने पिताजी के घर के लिए बहुत कुछ झेला है और आगे भी झेलते रहेंगे लेकिन इस मकान को छोड़ेंगे नहीं शायद बहुत मुश्किल होता है एक लड़की, नारी, स्त्रियों को अकेले जीना लेकिन मैं लड़कियों से यही कहना चाहूंगी कि हमें अपने को इतना मजबूत बना लेना चाहिए कि सामने वाला हमसे कुछ भी बोलने से पहले सौ बार सोचे और अगर वह ऐसा नहीं सोच रहा है तो अपने को और मजबूत करो ताकि सामने वाला इस बात से डरे कि सामने तुम खड़ी हो।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy