Shikha Pari

Tragedy

4.2  

Shikha Pari

Tragedy

कोई भी मिल जाएगा

कोई भी मिल जाएगा

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"बहुत जल्दी मेरी शादी होने वाली है मैंने पहले ही कहा था पापा से आ कर बात कर लो पर तुमने मेरी एक बार भी नहीं सुनी हमेशा यही कहते रहे कर लूंगा कर लूंगा हम 4 साल से रिलेशनशिप में है मैंने अपने घर वालों को कभी नहीं बताया और फिर डर कैसा हम दोनों है तो रिश्तेदारी में है अगर हमारे रिश्तेदारों को यह परिवार को पता भी चल जाता तो शायद हमारी शादी बहुत आसानी से हो जाती, बस तुम्हारे पास पैसे ही तो नहीं थे इतना कहते ही आरुषि की आंखों में आंसू थे।

सुरेश उसकी तरफ टकटकी लगाकर देख रहा था सुरेश उसकी तरफ टकटकी लगाकर देख रहा था -"आरु तुम किसी और की हो जाओगी इतनी आसानी से तुमने तो मुझसे कहा था कि तुम मुझसे शादी करोगी और मेरे अलावा फिर किसी से शादी नहीं करोगी मैं जानता हूं शायद मैं कभी कह नहीं पाया तुम्हारे घर पे आकर पर मेरी नौकरी भी तो ठीक नहीं चल रही थी मैं तुम्हें वो खुशियाँ नहीं दे पाता आरु लेकिन इतनी जल्दी तुमने उन लोगों से हाँ ही कह दिया।"

"जल्दी व्हाट डू यू मीन सुरेश 5 साल इंतजार किया मैंने तुम्हारा तुम तो कभी भी आगे बढ़ने की सोच ही नहीं सुरेश से पूरी पूरी गलती तुम्हारी है और शादी तो शादी एक समझौता है एक न एक दिन एक बंधन में बंधी जाते हैं और आज तुम भी मुझसे ऐसा कह रहे हो , सत्यम की मिलें चलती हैं अच्छा लड़का है, मुझे पता है सुरेश तुम भी कहीं और शादी कर ही लोगे सुरेश मुस्कुराया आज इन 5 सालों में आरुषि ने उससे वह बातें कही थी कि सुरेश ने कभी सोची भी नहीं थी आरुषि की आंखें नम थी सुरेश की आंखों से आंसू गिर रहे थे दोनों एक दूसरे को देख रहे थे शायद अब दोनों कभी नहीं मिलेंगे।

6 महीने बाद

"तुमने मुझे मिलने के लिए क्यों बुलाया सुरेश? मैंने तुमसे पहले ही कहा था कि अब मैं तुमसे कभी नहीं मिलूंगी मेरी शादी हो जाएगी"

सुरेश कुछ नहीं बोल रहा था उसके हाथ में गिफ्ट था।

आरुषि की नजर उसके हाथ पे पड़ी यह सब क्या है सुरेश ? "तुम्हें पता है हम दोनों के बीच में इस तरीके की कोई बात नहीं होनी चाहिए मेरी इंगेजमेंट हो चुकी है सुरेश और ठीक 1 महीने बाद मेरी शादी है मैं अब इस तरीके की कोई भी बात तुमसे नहीं करना चाहती"

तभी फोन की घंटी बजती है उधर से आरुषि के मंगेतर सत्यम का फोन होता है आरुषि हंसती खिलखिलाती हुई दूर जाकर फोन उठाकर बात करने लगती है सुरेश उसे ध्यान से देख रहा होता है सुरेश को भी ध्यान से देखता है उस गिफ्ट में क्या था सुरेश बहुत देर तक आरुषि को सत्यम से बात करते हुए देखता रहता है जब सुरेश को लगता है कि आरुषि बहुत ज्यादा खुश है, चुपचाप वहां से चला जाता आरुषि बात करने के बाद लौट के उसी जगह पर आती है और सुरेश को अपने पास नहीं पाती है एक लंबा इंतजार दोनों की जिंदगी में और एक नया मोड़ ठीक 1 महीने बाद शादी के 1 महीने बाद आरुषि सुरेश को फोन करती है।

सुरेश के कानों को यकीन नहीं होता कि आरुषि है जो मुझसे बात करने के लिए मुझे फोन कर रही है सुरेश सकपकाया था फोन पर बोलता है -" आरू मेरा मतलब है आरुषि तुम ?"

"सुरेश मैं तुमसे मिलना चाहती हूं कुछ जरूरी बात है तुमसे कहना है सुरेश कुछ रुका फिर बोला -"नहीं आरुषि अब मुझे तुमसे नहीं मिलना और अब मिलने का क्या फायदा ? "

"आरुषि सुरेश से कहती है सुरेश बहुत जरूरी बात है कुछ नहीं तो एक अच्छा दोस्त समझ कर ही मुझसे मिल लो सुरेश तैयार हो जाता है आरुषि और सुरेश एक कैफे में कॉफी पी रहे होते हैं सुरेश कहीं और देख रहा होता है और आरुषि सुरेश के सामने सुरेश के चेहरे पर क्या बात है सुरेश तुम तो मेरी तरफ देख भी नहीं रहे हो तो बात कैसे करोगे ?

"आरु मेरा मतलब है आरुषि आप क्या कहना चाहती हो तुमने अपनी मनपसंद शादी कर ली और शादी के बाद तुमने मुझसे कहा था कि अब तुम कभी नहीं मिलोगी उसके बाद भी तुमने आज फोन किया और मैं तुमसे मिलने भी आया।"

"सुरेश इतना भी नहीं पूछोगे कि क्या बात है मैं तुमसे क्यों मिलना चाहती थी।"

नहीं मैं कुछ नहीं पूछूंगा तुम अपने मन से कुछ भी बता दो तो चलेगा।"

आरुषि चुप हो गई फिर सोचकर बोलने लगी "सुरेश सत्यम सत्यम की नौकरी छूट गई है सुरेश उसके पास बिल्कुल पैसे नहीं है और आप अपने घर में भी मैं यह नहीं बता सकती सब सोचते हैं कि सत्यम बहुत अच्छी कमाई कर रहा है उससे मेरे पापा को धोखा दिया सुरेश शादी तय हो गई शादी हो गई और शादी होते ही सत्यम ने अपनी मिल बंद कर दी लोग बताते हैं कि वह मिल किसी और की थी सत्यम ने मेरे पूरे घर को धोखा दिया और मुझे भी समझ नहीं आता इतना बड़ा सच अब किससे कहूं क्या करूं सत्यम से बात करने की कोशिश करती हूं तो मुझसे बहुत लड़ते हैं घर का सामान उठा उठा कर सकते हैं और उसमें उनकी मम्मी और बहन और सब साथ देते हैं।"

"यह सब बातें तुम मुझे क्यों बता रही हो आरुषि यह सब बातें तो तुम्हें अपने घर में बतानी चाहिए थी।"

" हां लेकिन सुरेश तुम मेरे अच्छे दोस्त भी तो हो मैंने सोचा शायद तुम मेरी बात समझोगे।"

इतने में ही सुरेश का फोन बज उठता है किसका फोन है सुरेश ? मां का है, राधिका को डॉक्टर के पास ले जाना है उसकी तबीयत नहीं ठीक है राधिका, राधिका कौन है सुरेश? आरुषि मैं यही बताने उस दिन भी आया था लेकिन तुम तुम सत्यम के प्यार में इतना खो चुकी थी कि तुमने मेरी बात भी नहीं सुनी

"तुम्हें याद है मेरे घर के सामने एक दायमा रहती थी"

" हां सुरेश मुझे अच्छे से याद है वही दायमा जो तुम्हारे घर झूठे बर्तन और वह कपड़े   .......

"हां हां बस बस उन्हीं की बात कर रहा हूं मैं वह अब इस दुनिया में नहीं है , बस एक दिन अचानक से बेहोश हो गयीं उनके बाद राधिका भी दायमा की तरह घर-घर बर्तन धोने जाती थी 1 दिन बर्तन धोने जा रही थी कि रात के समय कुछ लड़कों ने उसे छेड़ दिया वो बुरी तरह रोने लगी पुलिस स्टेशन पहुंची लेकिन वहां भी वह लड़के पैसे देकर छूट गए घर आकर बहुत रो रही थी बहुत परेशान थी कहीं भी जाती थी लोग उस पर बुरी नजर रखते थे मैंने उसे अपनाने का फैसला किया है आरुषि, और मैंने उससे सगाई कर ली और शादी भी।

"क्या सुरेश क्या कर रहे हो राधिका से शादी ? "

राधिका अच्छी लड़की है, माँ ने मेरा इस फैसले में साथ दिया और हम तीनों ही खुश हैं बहुत खुश हैं राधिका को पैसे का कोई लालच नहीं वह मेरे साथ बहुत खुश है, वह बच्चे की मां भी बनने वाली है बहुत जल्द  माँ ने इसलिए फोन किया था मैं जा रहा हूं मेरी राह देख रही होगी राधिका और हां वह गिफ्ट लाया था जो मैं उस दिन तुम्हें देने आया था दरअसल वह गिफ्ट नहीं था मेरी और राधिका की तस्वीर थी मैंने सोचा कि मैं तुम्हें दिखाऊंगा और तुम्हें बता दूंगा कि मैंने भी राधिका से शादी करने का फैसला कर लिया है लेकिन उस दिन तुमने मेरी नहीं सुनी ठीक है मैं कभी तुम्हारे घर में अगर कुछ कह नहीं पाया लेकिन उस वक्त आरुषि मैं तुमसे सच में बहुत प्यार करता था मैं बस यही सोचता था कि मेरे गरीब घर में तुम आकर कैसे रहोगी लेकिन जब सत्यम जैसा अच्छा लड़का और अमीर लड़का तुम्हारे जिंदगी में आ गया तो मुझे लगा कि शायद मेरा कोई जगह नहीं है मेरी पत्नी राराधिका मेरा इंतजार कर रही है मुझे जाना होगा तुम अपना ख्याल रखना।"

आरुषि की आंखों से आँसू बह रहे थे वह सुरेश को जाते हुए देख रही थी जब तक वो आंखों से ओझल नहीं हो गया और सोच रही थी मैंने ऐसा क्या किया हाँ एक बार मैंने ही तो सुरेश से कहा था मुझे भूल जाओ तुम्हें कोई भी मिल जाएगा उसे मिल गया कोई।


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