Priyanka Gupta

Drama Fantasy Others

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Priyanka Gupta

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मैं जिन्न हूँ, भारतीय गृहिणी नहीं day-19 the magic cup

मैं जिन्न हूँ, भारतीय गृहिणी नहीं day-19 the magic cup

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"क्या बहू धीरे -धीरे हाथ चलाती हो ?हम जब तुम्हारी उम्र के थे तो कितना काम कर लेते थे तुम्हारे बाबूजी कब से चाय के लिए इंतज़ार कर रहे हैं।" रीमा की सासु माँ ने कहा।  

"जी, मम्मी जी।" रीमा ने बाबूजी के हाथ में चाय पकड़ाते हुए कहा।  

"सुनो,  बाबूजी चाय पीकर नहाने जाएंगे।  पूजा की तैयारी भी कर देना।" सासू माँ ने कहा।  

"जी, मम्मी जी।" सास -ससुर के कमरे से बाहर जाते हुए रीमा ने कहा।  

"भाभी, मेरे ऑफिस जाने का टाइम हो रहा है।  नाश्ता कब मिलेगा ?",रीमा के देवर ने डाइनिंग टेबल पर बैठे हुए ही रीमा से कहा।  

"बस भैया, अभी 5 मिनट में लगाती हूँ।" रीमा ने जल्दी -जल्दी अपने पैर पूजाघर की तरफ बढ़ा दिय थे।  

रीमा को पूजाघर की साफ़ -सफाई करनी थी।  रीमा की सास को पूजाघर और रसोई में शांता यानि की घेरलू सहायिका का प्रवेश नागवार था।  सासु माँ और ससुरजी के पूजाघर में प्रवेश से पहले ही रीमा को साफ़ -सफाई करनी थी।  

रीमा पूजा की तैयारी करके फटाफट किचन में घुस गयी थी।  

"भाभी, क्या करते रहते हो ? आप की वजह स रोज़ देर हो जाती है। जब मैं कॉलेज जाता था, तब मम्मी तो मेरा नाश्ता और टिफ़िन मेरे तैयार होने से पहले ही रख देती थी। ",देवर की उँगलियाँ फ़ोन पर चल रही थी और जुबान भाभी की कमियाँ गिना रही थी।

देवर को ऑफिस सुबह जल्दी जाना होता था। देवर के चले जाने के बाद, रीमा अपने 4 वर्षीय बेटे को स्कूल भेजती थी। उसके बाद रीमा के पति ऑफिस जाते थे। घर में हर व्यक्ति को सब कुछ हाथ में चाहिए था। सास -ससुर को हमेशा नाश्ते में परांठे चाहिए थे, देवर और उसके पति को पोहा, उपमा जैसा हल्का नाश्ता चाहिए था। पति और देवर को अगर लंच बॉक्स में एक सब्जी दे दो तो उनका शाम तक मुँह उतर जाता था।

"मम्मी, आप तो हमेशा दाल और सूखी सब्जी लंच बॉक्स में रखकर देती थी।" पति आते ही रीमा की सासु माँ को कहते।

"हाँ मम्मी, मुझे तो चावल के बिना लंच भाता ही नहीं।" देवर भी शुरू हो जाते।

"रीमा, सारा दिन घर पर आराम करती हो। कमाने वाले को ढंग का खाना तो लंच बॉक्स में दे दिया करो।" रीमा की सास शुरू हो जाती।

"जी मम्मी।" रीमा चुपचाप उठकर किचन में चली जाती थी। रीमा सुबह सूर्योदय से पहले जाग जाती ताकि समय पर सब कुछ अच्छे से हो जाए। लेकिन कुछ न कुछ कमी रह ही जाती थी, इतना करने के बाद भी कोई खुश नहीं होता था। तारीफ तो दूर की बात है, उसे आलोचना ही सुनने को मिलती।

"काश मैं कुछ समय के लिए गायब हो पाती।  मुझे भी कोई अलादीन का चिराग मिल जाता।" रीमा कई बार सोचती।  

आज सुबह जैसे ही रीमा उठी, रीमा के कानों में शब्द पड़े "क्या हुक्म है मालकिन ?"

"तुम कौन हो ?",रीमा ने डरते हुए पूछा।  

"अलादीन के चिराग वाला जिन्न।" जिन्न ने कहा।  

"क्या ?" रीमा ने वापस अपनी आँखें मली।  

"हाँ।  आप कितना मुझे याद करती थी, आज हाज़िर हो गया तो आप इतनी हैरान परेशान क्यों हो ?",जिन्न ने कहा।  

"लेकिन तुम्हारे तो सिर पर बाल भी हैं और तुम्हारी पूँछ कहाँ हैं ? मेरे पास तो कोई चिराग भी नहीं है।" रीमा ने कहा।  

"कल आप जो सेकण्ड हैंड मिक्सर लायी थी, वही मेरा घर था। आज के जमाने में चिराग कहाँ हैं ? नयी तकनीकी के इस्तेमाल से मेरे सिर पर बाल आ गए।  उड़ने के लिए मेरे पास अब पुष्पक विमान है।  यह सब छोड़ो, आप तो हुक्म दो।  अब आपकी बातों से मैं बोर हो रहा हूँ।" जिन्न ने कहा।

"मुझे वर्ल्ड टूर पर जाने की बड़ी इच्छा है।  मुझे वर्ल्ड टूर पर भेज दो और पीछे से मेरे घर की देखभाल कर लेना।  वैसे भी मैं तो कुछ करती ही नहीं हूँ।" रीमा ने कहा।  

"जो आदेश मालकिन।  आप मेरा पुष्पक विमान ले जाओ।" जिन्न ने कहा।  

"यह कारू की थैली है।  आपको जब भी पैसे की जरूरत हो, इसमें हाथ डालकर निकाल लेना।  इस थैली का इस्तेमाल आप केवल 15 दिन के लिए ही कर सकती हो और जैसे ही लालच करोगी, यह थैली गायब हो जायेगी।" जिन्न ने एक पोटली रीमा को पकड़ाते हुए कहा।  

"यह घूँघरू भी अपने पास रखिये।  जब भी आपको मेरी मदद चाहिए हो, इसे दोनों हथेलियों के बीच रखकर बजा देना।" जिन्न ने घुँघरू देते हुए कहा।  

"अब आप जाओ।" जिन्न ने बाहर खड़े पुष्पक विमान की तरफ इशारा करते हुए रीमा से कहा।  

"अरे, अगर तुम्हें मेरी जरूरत हुई तो ?",रीमा ने पूछा।  

"मैं पुष्पक विमान को अपने दिमाग से नियंत्रित कर सकता हूँ।  आपको बुला लूँगा।" जिन्न ने कहा।  

"अरे मेरे परिवार को यह मेरा लिखा हुआ नोट दे देना।" रीमा ने पास ही रखे कागज़ पर पेन से कुछ लिखकर देते हुए कहा।  

रीमा अपने टूर पर चली गयी।  कुछ ही देर में रीमा की सासु माँ ने चाय के लिए रीमा को आवाज़ लगाई, "रीमा, रीमा।  कहाँ हो ?आज अभी तक उठी भी नहीं। "

"वह तो वर्ल्ड टूर पर गयी।  आपके लिए यह नोट है।" जिन्न ने सासु माँ के पास जाकर कहा।  

"मेरे पीछे से यह आपकी देखभाल करेंगे।  इनकी जाति की चिंता मत करना, यह तो देवता तुल्य हैं।" सासु माँ ने जिन्न को ऊपर से नीचे तक देखते हुए कहा।  

"आने दो इसे।  इसका वर्ल्ड टूर तो मैं करवाती हूँ।" सासु माँ बुदबुदाई।  

"मालकिन के लिए कुछ मत बोलना, नहीं तो।  बाकी आपका सारा काम में करूँगा।" जिन्न ने अपनी आँख से अंगारे से बरसाते हुए कहा।  


"अच्छा, ऐसा करो सबको बेड टी दो, बच्चों को उठा दो और जल्दी से स्कूल के लिए तैयार कर दो। नाश्ते में आलू परांठा,पोहा, मेरे दोनों बेटे और पोते का टिफ़िन पैक कर दो। ......................." सासु माँ की बात पूरी होने से पहले ही जिन्न ने कहा, "मैं जिन्न हूँ, भारतीय गृहिणी नहीं। पता नहीं मालकिन इतना सब कैसे कर पाती थी। मैं उन्हें अभी बुलवाता हूँ "

"बहू, तुम तो एक जिन्न से भी ज्यादा काम करती हो।  अब से हम मिलकर सब काम करेंगे और घर के पुरुषों की भी कामकाज में मदद लेंगे।" वापस लौटी, रीमा को देखते ही, रीमा की सास ने कहा।  

"अब मेरे लिए क्या हुकुम है ?" जिन्न ने कहा।  

"तुम वापस मिक्सर में जाकर रहो।" रीमा ने हँसते हुए कहा।  


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