माँ जोर ना कराह
माँ जोर ना कराह
माँ तू जोर से ना कराहाना लोगो को पता चल जायगा कि तू बीमार है और लोगो को पता चल जायगा कि मैं तेकी परवाह नहीं करता।
यह बोल सोमेश के थे, माँ जो बहुत बीमार हैं, बस बुदबुदा कर बोली बेटा मैं भी नहीं चाहती कराहना पर तबीयत ठीक नहीं है ना बस कराहट निकल जाती है।
यहाँ बातचीत माँ बेटे के बीच में हो रही हैं।
रही सही कसर बहू ने निकाल दी। लगभग हाथ नचाने के अंदाज में बोली कि, हाँ हाँ मैं तो पागल हूँ ना दिन भर सेवा करो फिर सुनो कि कोई देखभल नहीं होती। माँ नहीं चाहती थी कि रोज की तरह लड़ाई झगड़ा पर उस दिन तो होना तो कुछ और ही था।
बात बढ़ती गयी कि उसका अंक इतना बुरा होगा कोई सोच भी ना पाया, आवेश में सोमेश ने माँ के मुँह पर तकिया रख दिया।
माँ अपनी माँ के साथ कोई ऐसा कर सकता है पर कई बार हम आवेश में यह सब कर जाते हैं पर वही हुआ।
माँ थोड़ा छटपटाई फिर शांत हमेशा के लिये। जीवन मरण से परे यह है कलयुगी बेटा।
