Reetu Singh Rawat

Abstract

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Reetu Singh Rawat

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माँ बाप के लिए सच्ची मुहब्बत

माँ बाप के लिए सच्ची मुहब्बत

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कुछ समय पहले घर के पास एक मंजर देखते हुए मैं पूछ बैठी कुछ काम करते लोगों से कि यहाँ क्या हो रहा है तो पता चला कि साहब के पिता श्री की बरसी है खूब सुंदर तरीके से सज्जा हुआ था जैसे कोई पार्टी हो, शायद बड़े बड़े लोग आ रहे है सोचने लगीं की काश हम सब मरे हुए लोगों के लिए दिखावा कितना करते हैं और ज़िंदा के लिए कुछ नहीं,

काश जिंदा रहते हम सब यह समझ ले कि उनके मरने के बाद कुछ भी कर लो कुछ फल नही मिलेगा और अगर सच्चे मन से करना ही है तो बच्चों की तरह उनका जन्मदिवस बनाकर उनकी जिंदगी खुशियों से भर सकते है वो खुशी उनके साथ मनाकर हम भी खुश हो सकते है वो खुशी उनके जीते जी उनको मिल सकती है

बरसी का खाना नहीं ,उसकी की जगह जन्मदिवस मनाना कर हम खुशी दे सकते हैं हम अपने बच्चों का बर्थडे और उनकी खुशी के लिए लाखों रुपए खर्च करते है फिर वो जो जिन्होंने बिना सोच समझे हम पर लाखों रुपए न होते हुए भी कर्ज लेकर हमे काबिल बनाने में खर्च कर दिए तो क्या, हम उनके बूढ़े होने पर जो अब फिर से बच्चे की तरह हो गए हैं उनकी खुशी के लिए कुछ तो ऐसा कर सकते है कि वो भी सोचे कि वो भी इस घर का आज भी हिस्सा है।

बच्चों और बीबी का जन्मदिन तो सब को याद है पर माँ बाप वा दादी दादा जी का जन्मदिन कितने लोग मनाते है खुशी के लिए कोई भी दिन चुन सकते है हम सब ,हम सब इसकी शुरुआत कर सकते हैं मैं भी इस की शुरुआत करुँगी आप चाहे तो, आप भी कर सकते है, तेरहवीं और बरसी का खाना खिलाना ही है तो उनको खिलाये जिनको खाने के लिए कोई नहीं बुलाता है यही सच्ची भावना माँ बाप को खुशी देगी और आप को दिल से आशीर्वाद, आप सब का धन्यवाद जिन्होंने पढ़ा और मेरी भावना को समझा। 


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