Amit Singhal "Aseemit"

Drama Romance Fantasy

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Amit Singhal "Aseemit"

Drama Romance Fantasy

माला के बिखरे मोती (भाग १०३)

माला के बिखरे मोती (भाग १०३)

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          यश वर्धन ठाकुर के परिवार में कुछ महीने सामान्य रूप से गुज़र गए हैं। लेकिन यश वर्धन के घर में अब कुछ अलग ही होने वाला है। लेकिन शायद हमेशा की तरह कुछ बुरा या तनावपूर्ण इस बार नहीं होगा।

     आज की सुबह चिड़ियों के चहकने की आवाज़ के साथ शुरू हुई है। लेकिन चिड़ियों के चहकने की यह आवाज़ तो रोज़ ही कोठी के बगीचे से आती ही है। यह बात और है कि मन में तनाव हो या मन किसी और जगह लगा हो, तो चिड़ियों के चहकने की इस आवाज़ पर ध्यान नहीं जाता है। 

     आज सुबह जब काया और छाया जागी हैं, तो चिड़ियों के चहकने की इसी आवाज़ से जागी हैं। न जाने क्यों, आज ये दोनों रोज़ के अपने जागने के समय से पहले ही जाग गई हैं। शायद कल रात दोनों बहनें थोड़ा जल्दी सो गई थीं। इसलिए पूरी रात सुकून भरी गहरी नींद में सोकर सुबह जल्दी जाग गई हैं।

     नींद से जागकर दोनों अपने कमरे की खिड़की पर आकर खड़ी हो गई हैं और खिड़की से बाहर दिख रहे सुंदर फूलों से भरे बगीचे को मुस्कुराते हुए चेहरों पर चमकती हुईं आँखों से निहार रही हैं। तभी उनको कौवे के "काँव काँव" की आवाज़ सुनाई दी है। छाया चहककर बोली,

     "लगता है कि आज हमारे घर में कोई मेहमान आने वाला है!"

     छाया की बात सुनकर शरारत भरी हँसी के साथ काया बोली,

     "बहन, इसका मतलब यह भी तो हो सकता है कि हमारे जीवन में कोई नया मेहमान आने वाला हो!"

छाया (काया को छेड़ते हुए): तू तो हमेशा अपने सपनों के राजकुमार के बारे में ही सोचती रहती है! तुझे तो हर जगह तेरे सपनों का राजकुमार ही दिखता है।

काया: बहन, शायद ऊपरवाले ने इस कौवे के ज़रिए आज हमें यही इशारा दिया हो। क्या ही कह सकते हैं!

छाया: होने को तो कुछ भी हो सकता है बहन। चल, अब जल्दी से नहा धोकर तैयार हो जाते हैं। फिर सबके साथ नाश्ता करना है।

     काया और छाया नहाने के लिए अपने अपने वॉशरूम की ओर जा ही रही थीं कि काया के फ़ोन की घंटी बजी है। काया इतनी सुबह अपने फ़ोन पर किसी की कॉल आने पर थोड़ी हैरान है। उसने आगे बढ़कर अपने फ़ोन की स्क्रीन देखी है, तो उस पर "गौरांग कॉलिंग" लिखा हुआ आ रहा है। काया ने खुश होते हुए अपने फ़ोन की स्क्रीन छाया को दिखाई है। छाया भी गौरांग का काया के लिए फ़ोन आया देखकर खुश हुई है। छाया ने काया को फ़ोन स्पीकर पर करने को कहा है। तो काया ने ऐसा ही किया है और गौरांग की कॉल उठा ली है। अब काया और गौरांग में बातचीत शुरू हुई है।

काया (एक्टिंग करते हुए): हेलो।

गौरांग: हेलो, काया बोल रही हो? कैसी हो?

काया (मन ही मन हँसते हुए): जी हाँ, मैं काया बोल रही हूं। मैं ठीक हूं। लेकिन आप कौन बोल रहे हैं?

गौरांग: ओह कम ऑन काया! तुमने मुझे नहीं पहचाना?

काया (अपनी हँसी हो दबाते हुए): जी नहीं, मैंने आपको बिल्कुल नहीं पहचाना है? प्लीज़, आप सीधे सीधे मुझे अपना नाम और पता बताइए।

गौरांग: मैंने यह तो सुना था कि अगर फ़ोन पर सामने को हमारी आवाज़ पहचान न आए, तो वह हमसे हमारा नाम तो पूछता है। लेकिन तुम मेरा पता क्यों पूछ रही हो? तुम तो मुझे जानती ही नहीं हो!

काया (हँसते हुए): अरे इडियट...तुम मुझे अपना पता बताओगे, तभी तो मैं तुमसे मिलने आ पाऊंगी!

गौरांग: लेकिन, तुम किसी भी अंजान व्यक्ति से ऐसे ही मिलने चली जाओगी क्या?

काया: अगर अंजान व्यक्ति होता तो उससे मिलने मैं बिल्कुल नहीं जाती! लेकिन अपने कॉलेज के दोस्त से तो मिलने आ ही सकती हूं...हाहाहा! तुम अब भी नहीं समझे क्या! मैं मज़ाक कर रही थी गौरांग! तुम्हारा नंबर मैंने फ़ोन में सेव किया हुआ है स्टूपिड...हाहाहा!

गौरांग: ओह, अच्छा...हाहाहा! मैं अब समझा! कॉलेज वाली तुम्हारी नॉटीनेस अभी तक क़ायम है। बहुत अच्छी बात है। तुम्हारी इसी नेचर के लिए तो मैं तुम्हें पसंद करता हूं।

काया (शर्म से लाल होते हुए): अच्छा, ऐसा है क्या! अच्छा, तुम यह तो बताओ कि तुम इंडिया कब आए? अंकल आंटी कैसे हैं? 

गौरांग: मेरे डैड और मम्मा दोनों बढ़िया हैं। तुम बताओ, तुम्हारे घर में सब कैसे हैं? मुझे अब भी याद है कि तुम बहुत बड़ी ज्वॉइंट फैमिली में रहती हो। अच्छा, यह तो बताओ, छाया कैसी है? छाया तो मुझे बिल्कुल भूल ही गई होगी!

     जो छाया अब तक चुप होकर स्पीकर पर काया और गौरांग की सारी बातें ध्यान से सुन रही थी, अब बातचीत में अपना नाम आते ही गौरांग से चहककर बोली,

     "हाँ, मैं तो तुम्हें बिल्कुल भूल चुकी हूं...हाहाहा! मुझे तो तुम्हारा नाम भी याद नहीं है गौरांग। मुझे तो यह भी याद नहीं है कि हम कॉलेज में एक साथ पढ़े थे। मुझे तो यह भी याद नहीं है कि तुम्हारे डैड इंडियन और तुम्हारी मम्मा रशियन हैं। मुझे तो यह भी याद नहीं है कि तुम आधे इंडियन हो और आधे रशियन हो। मुझे तो यह भी याद नहीं है कि तुम इंडिया में पैदा हुए थे और यहीं पर रहकर बड़े हुए हो। मुझे तो यह भी याद नहीं है कि तुम्हारे लुक्स भले ही रशियन हों, लेकिन तुम्हारा दिल हिंदुस्तानी है और तुम बिल्कुल हमारी तरह शुद्ध हिंदी बोलते हो। मुझे तो यह भी याद नहीं है कि कॉलेज के बाद तुम रशिया चले गए थे...हाहाहा! देखो, तुम जो भी हो, मुझे तुम्हारे बारे में कुछ भी याद नहीं है...हाहाहा!"

गौरांग (खुशी से उछलते हुए): हाय छाया, कैसी हो? मुझे माफ़ कर दो डियर। तुम्हें तो मेरे बारे में सब याद है।

छाया: गौरांग, चलो मैंने तुम्हें माफ़ किया। अरे डियर, याद क्यों नहीं होगा! अपने दोस्तों को कोई इतनी जल्दी भूलता है क्या?

गौरांग: हाँ, यह बात तो सच है। अपने सच्चे दोस्तों को कोई कभी नहीं भूल सकता है। वैसे भी, तुम्हारे अंदर जो यह अपनेपन का गुण है, इसी की वजह से मैं तुम्हें पसंद करता हूं।

छाया (शर्म से लाल होते हुए): अच्छा जी! चलो, यह सब छोड़ो! तुम फ़ोन पर ही सारी बातें करते रहोगे या कहीं मिलने का भी सोचा है? (क्रमशः)


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