लॉक डाउन के अनुभव मेरी कलम से
लॉक डाउन के अनुभव मेरी कलम से


इस समय जब कोरोना के डर से दुनिया घर मे सिमट गई है ,हर कोई अलग अलग अनुभवों से गुजर रहा है ,लॉक डाउन के पन्द्रह दिन पूर्व ही बड़ी बेटी के घर से वापिस आये थे हम ,गनीमत सही समय पर आ गए नहीं तो बंगलोर के बन्द फ्लैट में उस चीज को अनुभव नही कर पाते जो आज आप सबसे बता रही हैं।
जहाँ दिन भर गाड़ी मोटर की आवाज ,धूल और धुँए से सड़के आबाद रहती थी ,कॉलोनी की और शाम होते ही बच्चों के खेलने ,दौड़ने कूदने के स्वर गुंजित होते आज निशब्द हो गईं । और यह सन्नाटा मन को डरा रहा था ।
पर दूसरी सुबह ,घर के बाहर आती चिड़ियो के चहचहाने की आवाज से मन के तार बजने लगे , कभी इतने ध्यान से नहीं सुनी उनकी आवाज ,तुरन्त बाहर निकल कर देखा ,बगीचे में घोंसला बना कुछ चिड़िया दिन भर आना जाना कर रहीं मन को इतना सुकून मिला बयान नही कर सकती ।
लगा ईश्वर इशारा कर रहे हैं यही जीवन है और तभी मन मे एक नई उमंग पैदा हो गई , सुबह के मेडिटेशन ने उसे और मजबूती दे दी फिर जो सिलसिला शुरू हो गया पक्षियों और जानवरों को रोज कुछ न कुछ खाने देना है ,अपने आस पास जो भी जरूरतमंद हैं उन्हें भोजन बनाकर दे दो ,जितना आपसे हो सके उतना करो , घर पर रहकर सादा भोजन और उच्च विचार दिमाग मे अपनी जड़ें तेजी से फैलाने लगे ,मन अब बहुत खुश है कि पूरा परिवार साथ है और सभी अच्छे कार्यो में संलग्न हैं जिससे जो बन पड़ रहा ।
चारों ओर स्थापित फैक्टरियों के रात और दिन उगलते धुंवे से जहरीली हो गई हवा अब उनकी रफ्तार रुकने की वजह से शुद्ध हो गई है , एक अलग ही रूप प्रकृति का नज़र आ रहा है ।
इन सबके बीच ,काम के बढ़ते बोझ के बावजूद मेरे लेखन ने एक गति पकड़ ली है , मन को संतुष्टि मिल रही कि अपने शौक हम पूरा कर पा रहे हैं । तनाव कही नहीं है । यह भी लग रहा है कि लॉक डाउन समाप्त होते होते सबकी जीवन शैली बदलने वाली है ,लोगो को अब जीवन मूल्य अच्छे से समझ आएंगे ।
इस समय सबसे यही कहना चाहूंगी खुश रहो और खुश रखो सबको । लोगों से मिलो मत ,पर दूर रहकर प्रेम कम भी न होने देना ।