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Kunda Shamkuwar

Abstract

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Kunda Shamkuwar

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लक्ष्मण रेखा

लक्ष्मण रेखा

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कल माँ मुझे मेरी बचपन की कहानियाँ सुना रही थी।कैसे मैं रामायण की कहानियों को सुनते सुनते सो जाया करती थी।

मैंने पूछा,सच? माँ ने आगे कहा, "तुम्हे कैकेयी का श्राप, राजपुत्र राम का वनवास, बाल हनुमान का सूरज को खाने के लिए जाना,दस चेहरें वाला रावण,सोने का हिरण,सीता का लक्ष्मण रेखा पार करना और हनुमान का लंकादहन यह सब बहुत रंजक लगता था। यह सब सुनते सुनते तुम नींद की आगोश में चली जाया करती थी। 

माँ ने आगे कहा,"लंका में सीता को बंदी बनाकर रखने की बात पर बचपन मे तुम मुझे हमेशा सवाल किया करती थी कि अगर सीता लक्ष्मण रेखा पार ना करती तो यह सब नही होता न माँ?"और माँ जोर जोर से हँसने लगी।

मैंने माँ को कहा,"माँ, वह लक्ष्मण रेखा सीता के अलावा रावण के लिए भी तो थी न?जैसे सीता ने उसे लाँघना नही चाहिए था ठीक वैसे ही रावण ने भी तो लाँघना नही चाहिए था न?

तबसे स्त्रियों के लिए हर घर का पुरुष चाहे वह भाई हो, बेटा हो या पति हो लक्ष्मण रेखा खींचने लगा है।लक्ष्मण रेखा को तब भी रावण ने नही माना था और न आज भी उसे कोई पुरुष मानता है।"

माँ उठते हुए कहने लगी,"तुम यूनिवर्सिटी में पढ़नेवाली लड़कियाँ न जाने क्या क्या कहती रहती हो?मुझ जैसे कम पढ़ीलिखी औरतें क्या कह सकती है भला?"

कहते हुए माँ चली गयी।उसके पास शायद ही इसका कोई जवाब भी हो......


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