Sonia Goyal

Abstract Drama Fantasy

4.5  

Sonia Goyal

Abstract Drama Fantasy

लिखें जो ख़त तुझे

लिखें जो ख़त तुझे

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यह कहानी है छिमूर गांव की बिंदिया की। बिंदिया के घर में वो और उसकी मां ही थे। उसके पापा की मौत हो चुकी थी। इसलिए वह अपने चाचा चाची के साथ रहते थे। उसकी चाची का व्यवहार उन लोगों के लिए अच्छा नहीं था। पर उसके चाचा बिंदिया से बहुत प्यार करते थे। इसलिए उन्होंने उसे दसवीं तक पढ़ाई भी करवाई थी। आगे की पढ़ाई के लिए गांव से दूर जाना पड़ता। इसलिए बिंदिया ने दसवीं तक ही पढ़ाई की। उसके बाद बिंदिया घर के कामों में ही अपनी मां का हाथ बंटाने लगी। उसकी चाची घर का कोई काम नहीं करती थी। सारा काम बिंदिया और उसकी मां से ही करवाती थी। बिंदिया की चाची के बुरे व्यवहार के साथ-साथ वो लालची भी थी।

 एक बार पास के ही गांव से एक सत्तर साल के बूढ़े के यहां से बिंदिया के लिए रिश्ता आया। वो एक जमींदार था तो उसके ‌पास बहुत पैसे थे। इसलिए बिंदिया की चाची ने ये शादी करवाने के अच्छे पैसे लिए उससे और उसके साथ बिंदिया की शादी तय कर दी। वह बिंदिया की मां की तो पहले ही नहीं सुनती थी और इस बार उसने अपने पति को भी चुप करवा दिया। अब बीच में बोलने वाला कोई नहीं था तो ये शादी तय हो गई।

शादी से पहले बिंदिया ने उसको एक खत लिखा, क्यूंकि तब मोबाइल नहीं हुआ करते थे। उसने उस खत में लिखा.......

सादर प्रणाम

जैसा कि आप जानते है कि कुछ दिनों में हमारी शादी होने वाली है। पर मैंने आज तक आपको नहीं देखा इसलिए इस खत के माध्यम से आपसे अपने दिल की बात कहना चाहती हूं। मैं आपसे शादी एक ही शर्त पर करूंगी अगर शादी के बाद मेरी मां भी हमारे साथ रहेगी। इसके अलावा मुझे और कुछ भी नहीं चाहिए। अगर आपको ये शर्त मंजूर है तो मुझे इस खत का जवाब दे देना। मैं आपके खत का इंतजार करूंगी।

बिंदिया

   ये खत उसके होने वाले पति को न मिलकर गलती से किसी और के पास पहुंच गया। जब उसने वो खत पढ़ा तो बिंदिया की सोच से काफी प्रभावित हुआ और उसने इस खत का जवाब खुद देने की सोची। कुछ दिनों के बाद बिंदिया के लिए एक खत आया। बिंदिया ने उस खत को पढ़ा। उस खत में लिखा था... ‌

प्रिय बिंदिया

मुझे तुम्हारा भेजा हुआ खत मिला। जानकर खुशी हुई कि जिससे मेरी शादी होने वाली है वह इतने सरल विचारों वाली है और मैं तुमसे वादा करता हूं कि हमारी शादी के बाद तुम्हारी मां हमारे साथ ही रहेगी। अब बिना किसी चिंता के खुशी-खुशी शादी की तैयारियां करो।

तुम्हारा होने वाला पति।

बिंदिया वो खत पढ़कर बहुत खुश हुई और शादी की तैयारियों में लग गई और देखते-ही-देखते शादी का दिन भी आ गया। बिंदिया लाल जोड़े में दुल्हन बनकर तैयार थी। कुछ समय में बारात भी आ गई। सब सही जा रहा था। बिंदिया को मंड़प में लाया गया। जब बिंदिया ने अपने दूल्हे को देखा तो वहीं स्थिर रह गई। क्यूंकि उसने तो इस चीज की उम्मीद भी नहीं की थी कि उसका होने वाला पति इतनी उम्र का होगा। पर फिर उसने इसी बात को अपनी किस्मत मान लिया और आकर मंड़प में बैठ गई। पर भाग्य को कुछ और ही मंजूर था। शादी चल ही रही थी कि तभी बिंदिया के दूल्हे की दिल के दौरे से मौत हो गई।

उसकी मौत के बाद लोग बिंदिया के बारे में तरह-तरह की बातें बनाने लगे कि कैसी अपशगुनी लड़की है। पहले पिता को खा गई और अब शादी से पहले ही अपने दूल्हे को। कुछ लोग ये तक बोल रहे थे कि अब इससे शादी करेगा कौन। बिंदिया का रो रोकर बुरा हाल था। तभी भीड़ में से अचानक एक लड़का आगे आया और बोला मैं करूंगा इससे शादी। बिंदिया के परिवार वालों ने भी समाज के डर से बिना कुछ सोचे बिंदिया की शादी उस लड़के से कर दी।

 शादी करके बिंदिया अपने ससुराल आ गई। उसके साथ जो कुछ भी हुआ वो उस सबसे बाहर ही नहीं निकल पा रही थी। जिससे बिंदिया की शादी हुई थी वो भी एक भला लड़का था। उसने बिंदिया को इस सबसे बाहर निकलने के लिए समय दिया और एक अच्छे दोस्त की तरह उसका ख्याल रखने लगा। कुछ दिनों बाद वह बिंदिया की मां को भी अपने साथ रहने के लिए ले आया। बिंदिया अपनी मां को देखकर बहुत खुश हुई और उनकी वजह से धीरे-धीरे वह इस सदमे से भी बाहर आ गई।

 एक दिन बिंदिया घर की सफाई कर रही थी। सफाई करते-करते उसे अलमारी से एक खत मिला। जब बिंदिया ने उसको खोलकर पढ़ा तो हैरान रह गई क्यूंकि वो वही‌ खत था जो उसने अपने होने वाले पति के लिए लिखा था। शाम को जब उसका पति घर आया तो बिंदिया ने उससे उस खत के बारे में पूछा तो उसने बिंदिया को बताया कि,"ये खत गलती से मेरे पास आ गया था और जिसने भी ये खत लिखा था मुझे उसकी सोच बहुत अच्छी लगी इसलिए मैंने उसे इस खत का जवाब भी दिया था और ये खत संभाल कर रख लिया था।"

उसकी बात सुनकर बिंदिया ने जवाब वाला खत उसके सामने करके पूछा,"कहीं आप इस खत की बात तो नहीं कर रहे।"

जैसे ही उसने वह खत देखा तो उसने हैरानी से बिंदिया से पूछा,"इसका मतलब वो खत वाली लड़की तुम ही हो ?"

 बिंदिया मुस्कुराते हुए बोली,"जी वो मैं ही हूं।"

 दोनों बहुत खुश थे कि उनका खत वाला इत्तफाक ही उन्हें एक दूसरे के जीवनसाथी के बंधन में बांध गया।


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