Prahlad mandal

Romance Inspirational

4.0  

Prahlad mandal

Romance Inspirational

कुल्हड़ वाली चाय और वो

कुल्हड़ वाली चाय और वो

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दोपहर का समय था और ठंड हवाएं तो शाम के तरह चल रही थी और वह इस ठंड हवाओं में भी बस की खिड़की वाले शीट पर अपने जुल्फों को फैलाये जैसे कि गर्मी बहुत हो वैसे ही बस की खिड़की से बाहर देखे जा रही थी और मैं और मेरा दोस्त संयोग वश उसी बस के ठीक पीछे - पीछे ही ठंड की वजह से धीरे धीरे से आ रहे थे। बाइक का हैडल मेरे दोस्त ने पकड़ा हुआ था और मैं इस ठंड की हवाएं की वजह से अपने कानों पर टोपी पहने कानों में इयरफोन लगाकर गानों का आनंद लिये जा रहें थे।

उसकी नजर शायद बहुत देर से उसी बाइक की तरफ जिसमें हम और मेरा दोस्त बैठे हुए थे। हम तो अपने गाने सुनने के धून में मग्न थे। मेरे दोस्त का भी नज़र उसपर बहुत पहले ही पड़ चुका था और वो मेरे कहने पर भी बस के आगे पीछे नहीं हो रहे थे। कुछ समय बाद उसका अचानक से इशारा मेरे तरफ होना मेरे दोस्त को थोड़ा दंग से लगा और वो उससे ही इशारे इशारे में कहती है पीछे वाले को बोलो। मेरे दोस्त ने मुझसे -

 अरे वो देखो बस के विंडो सीट वाली कुछ कह रही है।

 हम अपने कानों से इयरफोन निकालते हुए !!

 हां फिर से कहो! अरे वो देखो विंडो सीट वाली कुछ कह रही है। हमने उधर देखा तो वह बगल में बैठी अपनी सहेली से बात कर रही थी।

अरे!! बेवकूफ बनाने के लिए हम ही मिले हैं क्या??

नहीं यार!!!! वो अभी इधर ही देख रही थी, पता नहीं उधर क्यों घूर गई।

इतना कह ही रहे थे कि अचानक से बस होटल के पास रूक गई ! शायद वो बस लंबी सफर से आ रही थी इसलिए। अब वो बाइक को आगे क्या लेकर जाएगा, बस के बगल में लगाकर– चलो ना चाय पीते है

बाइक बस के बगल में लगाकर हम सब यानी कि मैं और मेरा दोस्त होटल की तरफ जाने लगे। हमने तो उसे देखा भी नहीं था फिर भी हमने होटल के तरफ जाते हुए एक बार खड़े होकर बस की उस खिड़की की ओर झांका तो देखा जैसे के तैसे वैसी ही बैठी हुई है जैसे हमने रास्ते पर अपने दोस्त के कहने पर देखा था वैसे ही वो अपनी सहेली से बात कर रही थी और उसके केश इस सिसकती ठंड में भी हवा में लहरा रही थी जैसे कि हवाओं से बात कर रही हो। मैं तो उसे बस एक ही नजर से देखा जा रहा था।

 तभी अचानक मेरे दोस्त ने मुझे झकझोरते हुए चलो ना खड़ा होकर क्या कर रहा है।

 फिर हम दोनों होटल में जाकर बैठ गए। पसंदीदा तो कुल्हड़ वाली चाय ही है इसलिए हमने सबसे पहले उस होटल में जाकर पूछा यहां चाय कुल्हड़ में दी जाती है या वो प्लास्टिक वाले कप में !!!

क्योंकि इस रास्ते से कम ही गुजरते थे और इस होटल में कभी ठहरे भी नहीं थे। उधर से आवाज आया ! ! जी कुल्हड़ में ही यहां चाय दी जाती है तब तो ये पसंदीदा है तब तो ठीक है, इतना कहकर हमने चाय मांगा और अपने सीट पर आकर बैठ गए। चाय लेकर एक व्यक्ति आये एक कुल्हड़ हमने और एक कुल्हड़ मेरे दोस्त ने उठाया। हमने तो चाय की एक चुस्की लिए ही थे कि तबतक एक दोस्त का फोन आ गया वो एक गीतकार हैं और एक गीत लिख रहे थे कुछ लाइनें नहीं बैठ रही थी उसने बोला देखो तो मिला पाओ तो हमने चाय से भरी कुल्हड़ टेबल पर रख दिया । और उसके भेजे हुए गीत की लाइनों को मिलाने बैठ गए और जल्दी से चाय को खत्म कर वहां से निकले यह कहकर की मैं पांच मिनट में आ रहा हूं !! मैं तो उस गीत को पूरा करने में लग गया। थोड़ी देर में ,

वो आकर बगल में ही बैठी हुई थी और मैंने जो चाय के कुल्हड़ टेबल पर रखें हुए थे वो भी उनके उंगलियों के सहारे उनके हाथ में लटकी हुई थी। मैंने सर उठाते हुए देखा। कुछ कहता भी कि ये झूठी चाय है, तबतक तो वो चाय की कुल्हड़ उनके नर्म होंठों से जा लिपट चुका था। अब तो बोलने से कोई फायदा भी नहीं था फिर भी हमने बोला अरे यार!!

 मैं दूसरा मंगा देता ये तो मेरी झूठी चाय थी ।

 वो मुस्कुराते हुए धीमी आवाज से ! तो क्या हुआ!!!

हमने तो जान बुझकर पी है।


 मेरे समझ में कुछ आ ही नहीं रहा था, अजब इंसान है ना जान है ना पहचान है फिर भी कहती हैं हमने जानबुझकर ही पिया है। मैं इधर उधर देखने लगा फिर मैंने होटल से ही बैठे बैठे झांक कर एक बार उस बस के तरफ देखा कि वो जो रास्ते में थी अभी भी बस में ही है क्या? वो तो बस पर नहीं थी

लेकिन मेरा दोस्त जो मेरे साथ था वो एक लड़की से बस के बगल में होटल के बाहर बैठे हुए हैं और दोनों की हंसी खुशी बातें चल रही है।

मैं तो एकाएक दंग सा हो गया कि यहां हो क्या रहा है ।

फिर वो जो मेरे बगल में बैठी हुई थी वो अचानक से बोल पड़ी !

वो जो उस लड़के के साथ दिख रहा है वो मेरी सहेली है। और हम दोनों पास खड़ी जो है उसी बस से आये है।

मुझे अब जाकर कुछ कुछ समझ में आ रहा था। मेरे मन में एक सवाल भी हड़बड़ा रहा था ! कहीं यहीं तो नहीं वो विंडो सीट वाली।

फिर मैंने एक सवाल उनसे पूछा कि आप मेरे दोस्त को कब से पहचानती हो!

हां बहुत दिन से जब से वो और मेरी सहेली रिलेशनशिप में आयी है तब से।

रिलेशनशिप !

हां रिलेशनशिप क्यों आपको नहीं पता है क्या मेरी सहेली से उनका रिलेशनशिप है।

मुझे तो पता नहीं था फिर भी

हां पता है,अच्छा वो यही लड़की है क्या!

जी हां!! आपका दोस्त ‌ कुछ रहा था कि आप कुछ कहने वाले हो हमसे !!

हम!!

हां आप ही

मैं तो सोचने लगा इससे मेरी पहली मुलाकात है और हम क्या कहेंगे। मेरे समझ में तो कुछ आ ही नहीं रहा था।

वो खुद से बोलना शुरू कर दी!! आपको हम बहुत दिनों से जानते हैं और आपकी कविताओं को पढ़ते भी हैं आपके दोस्त आपकी कविताएं कहानियां को मेरी सहेली को भेजते हैं और मेरी सहेली हमको।

खैर ये सब छोड़िए हमको आपसे बहुत महत्वपूर्ण बात करनी थी। मैंने कहां हां हां बोलिए !! तबतक बस का हार्न बजा और वो बिन कहे ही चल पड़ी। 


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