कठपुतली
कठपुतली
आज फिर उसे अश्विन के साथ आफिसियल डिनर पर जाना है ।उसे कल रात ही सासू माँ ने हिदायत दे दी है ।गुलाबी सिल्क की साड़ी उसे पहननी होगी साथ ही जड़ाऊँ कुंदन का सैट।
साथ ही हिदायत भी दे दी है आखिर उसके मायके की तरह कोई नौकरी पेशा परिवार नहीं है इंदौर के सबसे बड़े परिवार की बहू है वो । खुद उसने एमबीए किया है शादी से पहले नौकरी भी की है।पर अब वो कठपुतली बन सिर्फ उनकी बातें सुन रही है । जानती है वो आज भी औरतें उसे देख कर कानाफूसी करेंगी उसकी किस्मत पर रश्क करेंगी । पर वो खुद नफ़रत करती है अपनी इस जिंदगी से
जहाँ वो न तो अपनी इच्छा से खा सकती है और न ही पहन सकती है
चाहे सब उससे जले पर आखिर है तो वह एक कठपुतली ही अपने पति और सास के हाथ की।