बदलता मौसम
बदलता मौसम
समय अपनी गति से चल रहा था पर सीमा के लिये तो मानो वक्त थम ही गया था, या वो ही समय के साथ चलने को तैयार नहीं थी।
राजेश की यादें उसका पीछा ही नहीं छोड़ती थी, जब चहकती रहती थी वो अपनी प्यारी सी बगिया में। फिर बच्चों की शादी और राजेश की बीमारी ने उसे अकेला कर दिया।
आज जब सफाई करने वाली अपनी बेटी को अपने साथ काम करने लेकर आयी, सीमा ने ठान लिया, करेगी वो अपने समय का सदुपयोग, सिखायेगी उसे और उस जैसे और बच्चों को भी लिखना, पढ़ना, सिलाई, कढ़ाई सब कुछ।