अधूरे खत

अधूरे खत

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नेहा बार बार उन चिट्ठियों को पढ रही है जो अब उसका अतीत बन चुकी थी।

राघव और नेहा बचपन से साथ साथ खेल कूद कर ही बड़े हुये थे ।बचपन की ये दोस्ती कब प्यार में बदल गयी पता ही नहीं चला और फिर जब राघव सीडीएस के लिए देहरादून गया तब शुरू हुआ संदेशों का सिलसिला और फिर ये सिलसिला लंबी लंबी चिट्ठियों में बदल गया और जब राघव ने एक वैलेन्टाइन पर गुलाब के फूल के साथ दिल का हाल लिख भेजा तो फिर नेहा की तो दुनिया ही बदल गयी रात दिन सोते जागते सिर्फ राघव ही उसके ख्यालों में रहता फिर 14 फरवरी को ही तो सगाई हुई थी उसकी और राघव की।

निश्चित हुआ था दो साल बाद जब नेहा की मेडिकल की पढ़ाई पूरी हो जायेगी तब दिसम्बर में शादी हो जायेगी फिर आया 14 फरवरी का वो मनहूस दिन जिस दिन नेहा जैसी कितनी ही ललनाओ की मांग सवरने से पहलें ही उजड़ गयी और आज नेहा ने देशसेवा हित खुद को भी समर्पित कर दिया है वो खुद सेना में भर्ती हो गयी है। राघव के अधूरे छोड़े काम को पूरा करने के लिए। 


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