प्रेरणा जीवन की
प्रेरणा जीवन की
आज फिर चाँद को अपने दरवाजे तक उतर आया देख चंदा को याद आने लगा उसका बीता हुआ कल। हाँ, कल की ही तो बात लगती है जब उसकी और सूरज की सगाई हुई थी। सूरज उसके बचपन का साथी। सगाई के अगले दिन ही सूरज निकल गया था, सीमा पर दुश्मनों से मोरचा लेने। सगाई से एक रात पहले ही तो सूरज मिलने आया था उसे तारों की छाँव में, पूर्णिमा का चाँद पूरा उतरा था। उस रात, देखा उसने सूरज को आखिरी बार जी भरकर। वादा किया था सूरज ने उससे जल्दी आने का, पर कैसे पूरा किया उसने अपना वादा?
पंद्रह दिन बाद ही तिरंगे में लिपटा उसका शरीर ही मिला था चंदा को। आखिर इस जहाँ में सूरज और चाँद मिले भी कब है? चंदा ने भी सूरज की यादों को दिल में बसाये उसकी यूनीफॉर्म को ही माला पहना दी और जीने का मकसद बना लिया था। सूरज के अधूरे छोड़े काम को पूरा करना और आज वो सेना में भर्ती भी हो गयी थी। पहली पोस्टिंग भी उसकी वहीं थी जहाँ खोया था उसने अपने सूरज को। चंदा अस्त होते सूरज को देख मुस्कुरायी क्योंकि उसका सूरज उससे दूर होकर भी उसके पास था उसकी प्रेरणा बनकर।
