Kumar Vikrant

Crime Thriller

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Kumar Vikrant

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कत्ल : भाग- ३ तीसरी लाश

कत्ल : भाग- ३ तीसरी लाश

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"सुनो ब्योमकेश बाबू जब तक तुम्हारा कोई निजी काम न हो मुझे इस पुलिस स्टेशन, किसी भी थाने या पुलिस चौकी के आसपास नजर न आना। महिपाल ये दोनों इस थाने के आस-पास भी नजर आये तो पुलिस के काम में बाधा पहुँचाने के जुर्म में अरेस्ट करके जेल भेज देना।" पुलिस कमिश्नर अपने सरकारी कार में बैठते हुए इंस्पेक्टर महिपाल से बोला, "और सुनो ये सब इंस्पेक्टर सरिता वाला मामला, आत्महत्या या मर्डर जो भी है, शाम चार बजे तक सुलझा कर मुझसे मिलो नहीं तो इंस्पेक्टर धर्मा की तरह सस्पेंड होने के लिए तैयार रहो।

इंस्पेक्टर महिपाल के माथे पर पसीना छलक आया उसने गुस्से के साथ ब्योमकेश बख्सी और अजीत की तरफ देखा जो अपनी कार में सवार हो रहे थे। अचानक ब्योमकेश बख्सी मुड़ा और जोर की आवाज में बोला, "इंस्पेक्टर महिपाल अगर इस हत्या या आत्महत्या को सुलझाना है तो लूप वीडियो चलने के टाइम जो भी थाने के कंट्रोल रूम में था उससे सख्ती से बात करो, अगर तुम्हारा थाने के सिस्टम को हैक किया गया है तो साइबर सेल वालो को बुला लो नहीं तो इससे ज्यादा देखने के लिए तैयार रहो।"

"अजीत सीधे बूरा बाजार चलो………." ब्योमकेश बख्सी ने कार चलाते अजीत से कहा।

"क्या करना है वहाँ?" अजीत कार को मुख्य मार्ग की तरफ बढ़ाते हुए बोला।

"कालू मल की बीवी अपने घर में फाँसी ले कर मर गई है………" ब्योमकेश बख्सी अपने मोबाइल की स्क्रीन देखते हुए बोला।

"लाश जमीन से पाँच फ़ीट ऊँचे लटक रही होगी?" अजीत ने पूछा।

"यही बात है, विल टाइम्स का क्राइम रिपोर्टर राणा वहीं है उसने मुझे लाश की फोटो व्हाट्सप्प की थी जिसे देख कर मै सोच में पड़ गया था।" ब्योमकेश बख्सी ने जवाब दिया।

"लाशों के इस तरह पाँच फ़ीट ऊँचे झूलने का पैटर्न क्या कहता है?" अजीत ने कार को तेजी से ड्राइव करते हुए पूछा।

"इस पैटर्न के बारे में अभी कुछ भी कहना मुश्किल है, लेकिन ये सिर्फ शुरुआत है, अभी दोपहर तक तीन लाशें मिल चुकी है; शाम तक कुछ और मिल सकती है। शहर में कोई बड़ी वारदात भी हो सकती है।" ब्योमकेश बख्सी विचारपूर्ण मुद्रा में बोला।

"ये बात पुलिस को बता देनी थी………" अजीत बोला।

"तुम्हें लगता है कि पुलिस हमारी कोई बात सुनने को तैयार है?" ब्योमकेश बख्सी ने पूछा।

"नहीं………लेकिन कुछ तो करना चाहिए हमें………." अजीत चिंतित स्वर में बोला।

"फ़िलहाल तो कालू मल की बीवी की लाश को नजदीक से देखने का मौका मिल जाए हो सकता है कोई जरूरी बात पता लग जाए।

बूरा बाजार पुराने विल सिटी के हलवाई हट्टे का ही एक हिस्सा था। बाजार की सड़कें बहुत ही संकरी होने के कारण उसमें दोपहर की भीड़ में कार ले जाना आसान नहीं था इसलिए अजीत ने हलवाई हट्टे के बाहर मेन सड़क पर ही कार पार्क कर दी और वो दोनों पैदल ही बूरा बाजार की तरफ चल पड़े। बूरा बाजार में ज्यादातर दुकानें बूरा व खंडसारी की थी। ज्यादातर दुकानों के ऊपर रिहायशी मकान थे जिनमें अमूमन नीचे बने दुकान के मालिक या किरायेदार रहते थे।

कालू मल की दुकान के ऊपर ही उसकी रिहायश थी। ब्योमकेश बख्सी और अजीत जब वहाँ पहुँचे तो वहाँ पुलिस ने घेरा बना रखा था और भीड़ को दूर रहने की चेतावनी दी जा रही थी।

एक सब इंस्पेक्टर ने ब्योमकेश बख्सी और अजीत को देखते ही कहा, "जो देखना है दूर से ही देखो, ज्यादा ताक-झाँक करोगे तो जेल की हवा खाओगे।

"ज्यादा परेशान मत होइए दरोगा जी, आप लोग अपना काम करिये हम कुछ नहीं कर रहे है।" ब्योमकेश बख्सी हँसते हुए बोला।

थोड़ी दूर विल टाइम्स का क्राइम रिपोर्टर श्याम राणा खड़ा था, वो उन्हें देख कर उनकी तरफ चला आया और बोला, "ब्योमकेश बाबू अधेड़ कालू मल ने छह महीने पहले अपनी उम्र से आधी निशा से शादी की थी, दोनों की ज्यादा बनती नहीं थी। कालू मल कह रहा था कि उसने सुबह निशा के साथ ही नाश्ता किया था और उसके दुकान पर आने के एक घंटे बाद ही काम वाली महरी रोते-चिल्लाते नीचे आई कि मैडम जी ने फाँसी लगा ली है।"

"तुमने लाश देखी?" ब्योमकेश बख्शी ने पूछा।

"मेरा घर पास के ही नया बाजार में है, खबर मिलते ही मैं चला आया और पुलिस के आने से पहले जो देख सका देख लिया और कुछ फोटो भी लिए।" श्याम राणा ने जवाब दिया और फोटो ब्योमकेश बख्शी को दिखाने लगा।

"जिस कमरे में लाश लटकी मिली वहाँ कोई ऐसा फर्नीचर था जिससे फाँसी लेने के लिए चार या पाँच फ़ीट ऊँचे चढ़ा जा सके?" ब्योमकेश बख्शी ने पूछा।

"नहीं वहाँ उस कमरे में सिर्फ एक फोल्डिंग कुर्सी थी जो बमुश्किल ढाई फ़ीट ऊँची होगी, यही माना जा रहा है कि फाँसी लेने में उस कुर्सी की ही मदद ली गई।" श्याम राणा ने जवाब दिया।

"जिस रस्सी से फाँसी ली गई वो कैसी थी?" ब्योमकेश बख्शी ने पूछा।

"फाँसी के लिए रस्सी नहीं एक नायलोन की प्लेन साड़ी का प्रयोग हुआ है, जो मरने वाली की ही थी।" श्याम राणा ने जवाब दिया।

तभी पुलिस डेड बॉडी को एक सफ़ेद कपडे में लपेट कर नीचे लाई और मुर्दा गाड़ी में डेड बॉडी को लेकर चली गई।

पुलिस के जाते ही ब्योमकेश बख्शी श्याम राणा से बोला, "मैं कालू मल को पहचानता नहीं हूँ, मुझे उसके पास ले चलो एक बहुत जरूरी बात पूछनी है।

"वो तो पुलिस की गाड़ी के पीछे-पीछे ही चला गया......." शयाम राणा छटती हुई भीड़ को देखते हुए बोला।

"ये तो मुश्किल हो गई, पुलिस के पीछे जाने का कोई फायदा नहीं है। अजीत अब ग्रीन पार्क वाली लड़की बरखा के ऑफिस चलते है........." ब्योमकेश बख्शी ने श्याम राणा से रुखसत लेकर अजीत से कहा।

तभी श्याम राणा का एक फोन आया और फोन सुनने के बाद वो ब्योमकेश बख्शी के पास आया और बोला, "गजब हो गया ब्योमकेश बाबू........."

ब्योमकेश बख्सी और अजीत उसकी बात गौर से सुनने लगे।


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