Pawan Gupta

Horror Romance Tragedy

4.7  

Pawan Gupta

Horror Romance Tragedy

कर्ज़दार 4( हम मिल गए )

कर्ज़दार 4( हम मिल गए )

8 mins
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मेरे हाथो से पानी का भरा हुआ गिलास छूट कर लुढ़कता हुआ पापा के पैरो में जा लगा, मैं तो ये सब देख के अचेत हो गयी !

 मेरे पापा जिन्होंने मुझे इतने लाड प्यार से पाला वो आज मेरे फिलिंग को नहीं समझ सके, मैं किचन में ही पापा की कही हर बात सुन ली थी !

मैं खुद को संभाल ना सकी और किचन के बाहर आते आते मैं अचेत होकर गिर पड़ी, मैं चाहती थी कि पवन को अपना वास्ता देकर रोक लू पर इस विछोह के दर्द ने मुझे असहाय कर दिया था !

पवन के साथ पापा का व्यव्हार मुझसे सहा ना गया और मैं गिर पड़ी !

माँ- जाह्नवी बेटी ...हाय मेरी बेटी को क्या हुआ (रोती हुयी) किचन के तरफ भागी, पापा के भी चेहरे से चमक गायब थी, ये क्या हो गया था उनसे उन्हें भी समझ नहीं आया !

और ये वक़्त भी नहीं था उन बातो को समझने का ! 

पापा मुझे लेकर तुरंत हॉस्पिटल के तरफ भागे !

शाम तक मुझे होश आ गया था, पर मेरे आँखों के दोनों कोने भीगे हुए थे, ऐसा लगने लगा सब ख़तम हो गया !

मैंने 23 साल इंतजार किया पवन का !  

मैं पवन के लिए नियति से लड़ गयी, पर सच तो यही है, नियति से जीत न सकी !

पर ये भी सच है कि मैंने जो वादा किया है पवन से वो मैं पूरा नहीं कर सकी तो मैं फिर से जन्म लुंगी !

चाहे मुझे जन्म पर जन्म क्यों न लेना पड़े पर मैं अपना किया वादा निभाऊंगी !

इतने में पापा माँ मेरे वार्ड में आए और मेरे सामने बैठ गए, (पापा अपने दर्द को छिपाते हुए)चलो घर चलते हैं !

अब सब नार्मल हैं पर माँ के आंसू थम नहीं रहे थे,वो बार बार बोल रही थी,कि ये कैसा पागलपन हैं,क्यों कर रही है तू ऐसा !

मैंने माँ के हाथो को थामा और बोला कि माँ मैं ये सब जानबूझ के नहीं कर रही हु, ये मेरी नियति है, मैं किस दर्द से गुजर रही हु और कब से !

आप लोगो के पास वक़्त ही कहा है कि आप लोग सुनो !

अभी घर चलते हैं पापा हॉस्पिटल की सारी फार्मेल्टीस पूरी करके वार्ड में आ गए थे !हम घर पहुंचे पर अब पवन की यादो में पड़े रहने के सिवा कोई काम नहीं था !

 मैं कितनी भी कोशिस करती पर मुझसे कुछ अच्छा ना हो पता,अब खाना भी मेरे हलक के निचे उतरना बंद हो गया था, और मैं कमजोर होने लगी !

 माँ को लगा की कोई बुरी बला मेरे सर पर है.ये सोचकर वो अपने पहचान के एक पंडित जी को ले आयी पर ये कोई बाला या जादू तो था नहीं कि पंडित जी से कुछ हो पाता ! 

 पर पंडित जी ने माँ को सुझाया कि आपकी बेटी को कोई बाहरी कष्ट नहीं है.आप लोग अपने बेटी से बात करो सुनो उसकी बात सब उसके मन में है !

 माँ ने ये बात पापा को भी बताया, पर पापा इन बातो पर विस्वास नहीं करते थे, तो पापा ने माँ को डाट दिया और कहा हमारी बेटी ठीक है, सब उस पवन का किया धरा है, मैं उसे छोडूंगा नहीं ...!

 मैं अपने रूम मैं बेसुध सी पड़ी थी, मैंने पिछले 4 दिनों से कुछ भी नहीं खाया था, जिसके कारण मैं बहुत कमजोर हो गयी थी !

मेरे बेसूध मन ने जब पापा के मुँह से पवन का नाम सुना तो सचेत हो गया,और फिर मेरे कानो ने सुना कि मेरे पापा मेरे सच्चे प्यार को मेरे इस दशा का दोषी मानते है और वो पवन के साथ कुछ गलत करने की सोच रहे है, तो मैं सिहर सी गयी !

क्या पवन की गलती ये थी कि उसने मेरा २३ साल इंतजार किया !मैं तो मर गयी थी वो चाहता तो शादी कर लेता पर उसने सिर्फ मेरे प्यार के यादो के सहारे इतने दिन गुजार दिए और उसका सिला ये मिल रहा है उसे कि मेरे पापा उसे मेरी इस हालत का दोषी समझकर उसके साथ कुछ गलत करने के लिए बोल रहे है !

मैं दर्द से करहाते हुए बेड से उठी पर संभल नहीं पायी और गिर के बेहोस हो गयी !

माँ पापा दोनों दौड़े दौड़े आये और फिर मुझे हॉस्पिटल ले गए, हॉस्पिटल में दो दिनों के बाद मुझे होश आया पवन को भी पता चला मेरी हालत तो वो भी आया था पर पापा ने उसे भगा दिया !

वो रोता रहा कि एक बार देख के चला जाऊंगा,पर पापा ने गलत बोल के उसे भगा दिया वो रोता हुआ चला गया, ये बात माँ ने मेरे होश में आने के बाद बताई !

उस टाइम पापा हॉस्पिटल में नहीं थे, वो दवा लेने बहार गए थे, माँ ने पंडित जी की बात भी मुझे बताई और मुझसे प्यार से पूछा कि बेटी बात क्या है, सब बता मैं सब सुनूंगी और तेरी सहायता भी करुँगी,

मैंने माँ को सब शुरु से बताना शुरू किया !

माँ पिछले जन्म में मेरा नाम पूजा था, और मेरी मौत एक एक्सीडेंट में हो गयी थी, मैं पवन को तब से पसंद करती थी, पर कभी कह नहीं पायी पर मेरे मरने के बाद मेरी आत्मा ने उससे बात की और पवन ने बिना स्वार्थ के मेरी सहायता किया !

यही नहीं जब तक मेरे माता पिता जीवित रहे तब तक पवन उनसे जुड़ा रहा उसी बीच हम दोनों में प्यार हुआ !

हम दोनों एक दूसरे को महसूस करते थे फिर माँ पापा की भी मृत्यु हो गयी और अब पवन अकेला हो गया, मैं उसकी हालत देख के बहुत तड़पती थी माँ और सिर्फ मैं उसके मोह के कारण मुझे मुक्ति नहीं मिली थी !

उसे अकेला देख कर मैने उससे वादा किया कि मैं वापिस आउंगी !

मैं उसके प्रेम से मुक्त हो गयी कि अगले जन्म में मैं जल्द से जल्द उसे इस अकेलेपन से उसको आजाद कर दू,और यह तभी हो सकता था, जब मैं उसे उसकी पूजा लौटा दूंं !

उसके बाद मैं कई महीने सिर्फ हवा बनी घूमती रही,  फिर ईश्वर की मर्जी से मैं तीन दिन तक आपके आस पास चक्कर लगाती रही और सही वक़्त आने पर मैं आपके कोख में आ बसी !

 उस समय भी मुझे मेरा अतीत सब याद था , बस मैं पुरे नौ महीने ईश्वर से प्राथना करती रही कि पवन को दिया हुआ वादा मैं पूरा कर सकू और इसी तरह पुरे नौ महीने बीत गए और आपकी कोख से मेरा जन्म हुआ !

जन्म होते ही जब इस संसार में चल रही हवा ने मुझे स्पर्श किया तो मैं सब भूल गयी, और मैं दर्द मोह माया से तृप्त हो गयी और रोने लगी !

कई बार मुझे सपना आता था तो आप ही मुझे संभालती थी याद है न माँ ...!

 मैंने कभी सूट नहीं पहना पर पहली बार आप मेरे लिए सूट लायी तो मैंने उस सूट को पहनकर पूजा को महसूस किया  !

पर ये सब छड़ीक होता था, पल भर के लिए पूजा का एहसास होता था, फिर मैं नार्मल हो जाती थी , आपने ही कई बार मुझे संभाला है आपको तो याद ही होगा !

पर माँ पहली बार जब मैं स्कूटी लेकर वापस आयी थी हाथ में चोट था ! उस दिन पवन से मिली थी और उस दिन से मुझे सब याद आने लगा !

मैं उसके लिए तड़पने लगी,फिर हम दोनों एक दूसरे से मिलने लगे इसमें उसकी कोई गलती नहीं है वो तो मुझे पूजा ही समझते है !

इसलिए वो मेरे कहने पर पापा से मिलने आये थे, पवन बेगुनाह है फिर भी वो पापा की हर बात सुनते रहे !

उनका और पूजा का प्यार आज का नहीं हैं माँ आप समझने की कोशिश करो !

ये सारी बाते सुन कर माँ की आँखे भर आयी  मेरे पापा मेरे पास आकर बोले i am sorry बेटी मैंने सब सुन लिया है, मुझे ये सब नहीं मालूम था, मैंने गुस्से में बहुत कुछ गलत कर दिया है !

मैं खुद अपनी बेटी के दर्द को नहीं समझ सका, और यही नहीं उस भले इंसान के साथ भी गलत किया, बेटी तू मुझे माफ़ कर दे मैं सब ठीक कर दूंगा !

ये बाते सुन मेरे भी आँखों से आंसुओ की धारा निकल पड़ी,अब पापा माँ हम तीनो ही खुस थे, तभी पापा ने कहा -बेटी तू जल्दी से ठीक हो जा फिर हम तेरी सगाई पवन के साथ करवा देंगे पर उससे पहले तू मुझे पवन का नंबर दे दे कि मैं उससे माफ़ी मांग सकू !

 मैंने पापा को पवन का नंबर दिया और पापा ने पवन को फ़ोन किया !

हेलो पवन मैं जान्हवी का पिता बोल रहा हूंं !

जी सर(रोते हुए) 

पवन बेटा रो मत मुझे सब समझ आ गया है, तुम्हारी पूजा ने सब बता दिया है, मुझसे जो गलती हुयी है उसके लिए मुझे माफ़ कर दो और अस्पताल आ जाओ सब मिलना चाहते है !

पवन ये बाते सुनकर बहुत बहुत खुश हुए और ३० मिनट में वो अस्पताल पहुंचकर सबसे मिले !

पवन मेरे लिए प्रसाद भी लेके आये थे उन्होंने बताया कि जब पापा ने उन्हें मुझसे मिलने नहीं दिया था तो मन ही मन रोते हुए मंदिर चले गए !

वही ईश्वर से प्राथना करने लगे कि हे ईश्वर सब ठीक कर दो और पवन मंदिर में ही बैठे रही !

पापा ने पवन को गले लगा कर उनसे माफ़ी मांगी, पवन ने माँ पापा का आशीर्वाद लिया !

हमारी जिंदगी में सब ठीक हो गया, मैं भी सबका प्यार पाकर बहुत जल्द ही ठीक हो गई और कुछ ही दिनों में हमारी सगाई हो गई !

कुछ महीनोंं बाद हमारी शादी भी हो गई !

आज मैं आईएएस अफसर हु !आज हम एक है !

आखिर कर पूजा ने पवन से किये हुए वादे को निभाया ! पवन और पूजा का एक बेटा है, ह्रितिक ...और पूजा आज आईएएस अफसर है, अब ये तीनोंं बहुत खुश है ! 

और अपनी जिंदगी बड़े प्यार से बिता रही है !


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