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Harish Bhatt

Tragedy

3.8  

Harish Bhatt

Tragedy

कोरोना का कहर और आपसी व्यवहार

कोरोना का कहर और आपसी व्यवहार

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कोरोना काल में ऐसा भी क्या आर्थिक संकट की एक या दो महीने का बेकअप भी नहीं है। मार्च से पहले करोड़ों-अरबों का बिज़नेस करने वाले भी छाती पीट रहे है कि धंधा चौपट हो गया है। सोचने वाली बात है कि जब हाई क्लास बिज़नेस करने वालों के ये हाल है तो उन बेचारे दैनिक दिहाड़ी वालों का क्या हाल होगा। जिनमे से ज्यादातर ने बैंक का मुंह ही न देखा होगा। कोई तो बैंक को मुंह ही नहीं दिखा रहा है। मजेदार बात है इन दिनों कोरोना वारियर्स की, जो अपनी सुविधा के हिसाब से सेंटा क्लोज बने घूम रहे है। वो तो भला हो उन मीडिया कर्मियों का जो इनको हाईलाइट करके हीरो बना रहे है। वर्ल्ड हिस्ट्री में ये ऐसा मौका है जब मेडिकल साइंस का आमना-सामना किसी ऐसे वायरस से हुआ है, जिसका कोई तोड़ नहीं है। जब इम्युनिटी के भरोसे ही कोरोना को यमलोक भेजना हो तो तब मेडिकल फाइटर की एनर्जी को इस लड़ाई में खपाने से अच्छा होगा कि कोरोना वायरस से इतर अन्य पेसेंट के इलाज़ में लगा दिया जाए।

आजकल बारि

श के मौसम में डेंगू अलग आ खड़ा हुआ है। आश्चर्य कि बात है जिन योद्धाओं और हथियारों के बल पर आज तक डेंगू धड़ाम नहीं हुआ। वो उस वायरस के पीछे लग दिए है, जिसका कोई ओर-छोर ही नहीं। जिसने एक गांव नहीं, शहर नहीं, देश नहीं, बल्कि पूरी इंसानियत को उसकी हैसियत दिखा दी। कोरोना काल का ये दौर सिर्फ और सिर्फ प्यार-मुहब्बत के बल पर ही गुजारा जा सकता है। जबकि हो रहा है बिलकुल इसका उलट, हर कोई एक दूसरे से ऐसा व्यवहार कर है जैसे वही कोरोना का पितामह हो और उसकी अपनी कोई जिंदगी नहीं।

कोरोना से बचाव में मुंह पर मास्क, हाथों को सेनेटाईज़ करना, सोशल डिस्टेंसिंग की आवश्यकता के बीच दिलों में बढ़ती दरारों पर ध्यान देना होगा, क्योंकि कोरोना को तो एक ना एक दिन हारना ही है। लेकिन फिर दिल मिलेंगे या नहीं इस बात संशय बना ही रहेगा। प्रशंसा चाहे कितनी भी करो लेकिन अपमान बहुत सोच-समझकर करना चाहिए, क्योंकि अपमान वो उधार है जिसे हर कोई अवसर मिलने पर ब्याज सहित चुकाता है।


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