Harish Bhatt

Inspirational

3.7  

Harish Bhatt

Inspirational

वक्त

वक्त

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106


वक़्त से दिन और रात

वक़्त से कल और आज

वक़्त की हर शह ग़ुलाम

वक़्त का हर शह पे राज

वक्त का क्या भरोसा। वक्त बदले या ना बदले। क्या मालूम किस करवट बदलेगा वक्त। अच्छाई की और करवट ली तो अच्छा वरना फिर और बुरा। तब ऐसे में वक्त के बदलने का इंतजार करने से अच्छा है खुद ही बदल जाना। खुद को अपडेट करते हुए अपने लक्ष्य को हासिल करने की ओर अग्रसर हो जाना। यह सही है कि दिन हो या रात वक्त ही तय करता है। माना कि वक्त की झोली कभी खाली नहीं रहती। कुछ ना कुछ हमको वक्त देता जरूर है। लेकिन वक्त हम को क्या देगा या नहीं देगा यह हम खुद ही तय करते हैं। अचानक कुछ नहीं होता बस परिस्थितियां वैसी ही बनती जाती है जैसा हम चाहते हैं। सब कुछ पहले से नहीं होता है फिर भी कुछ तो तो रहता ही है और अपने तय समय पर वह हमारे सामने आ जाता। जैसे कि मौसम लगभग हर 3 माह बाद करवट लेता है सर्दी गर्मी और बरसात अपने तयशुदा वक्त पर आते और जाते रहते हैं। बचपन जवानी और बुढ़ापा अपने तय वक्त पर ही रंग दिखाते है। अपवाद अलग बात है। बहाना कुछ भी हो सकता है प्रयास तो हमारा ही होता है जो रिजल्ट के रूप में परिवर्तित होता है और हम कहते हैं कि वक्त ही ऐसा था। जब हमको खुद अपने पर ही विश्वास नहीं होता तब वक्त का क्या भरोसा किया जा सकता है। वक्त अपनी एक समान रफ्तार से गुजरता रहता है वह अपनी और प्रकृति के साथ कोई समझौता नहीं करता है। बस हमको ही वक्त के साथ तालमेल बैठाने की आवश्यकता होती है। वक्त सबसे ज्यादा ताकतवर है उससे बड़ी ताकत और कोई नहीं है। इसीलिए वक्त किसी के साथ कोई समझौता नहीं करता है। हमको ही उसके साथ साथ चलना होता है।


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