Lokesh Gulyani

Horror

1.7  

Lokesh Gulyani

Horror

कोमल

कोमल

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"तुम जैसे कंजर यार मिल जाये तो दुश्मनों की क्या ज़रूरत है। पता है अभी तक मेरे रौंगटे खड़े है। आगे से पार्टीज़ में कोई भूतिया कहानी नहीं सुनायेगा, कहे देती हूँ।" कोमल ने अपने दोस्तों पर तड़ी झाड़ते हुए ग़ुस्सा किया।


"हाँ-हाँ भई नहीं सुनायेंगे अब तुम्हें भी नाराज़ कर दिया तो फिर इस जगह से भी महरूम हो जायेंगे। एक पूरे शहर में तू ही तो है जो फ्लैट में अकेली रहती है।" निष्ठा बोली।


"पर यार कुछ भी कहो, वो जो आख़िरी वाक्या मनु ने सुनाया न, बाय गॉड बड़ा डरावना था। ज़रा सोचो एक अकेली बिल्डिंग शहर से कटकर जंगल के पास और उसके अंदर पाँचवे माले के 13 नंबर अपार्टमेंट में भटकती, वो टेढे सिर की भूतनी। बाप रे! मुझे तो आज रात नींद नहीं आने वाली। निष्ठा आज तू मेरे यहाँ चल के सो।" अपराजिता ने निष्ठा से तकाज़ा किया।


"अरे यार! घर नहीं चलना क्या? इतना टाइम हो गया। लो फ़ोन भी आ गया मम्मी का। हाँ, हेलो! जी मम्मी, कोमल के यहाँ से बस निकल ही रहे थे। मैं हूँ, निष्ठा है, अपराजिता और मनु है। हाँ! पंद्रह मिनट में पहुँच जाऊँगी।” जूही बोली।


"यार तुम लोग अभी और नहीं रुक सकते क्या।" कोमल ने थोड़ा चिरोरी करते हुए पूछा।


"क्यों डर लग रहा है?"


"है, हाँ।"


"चल फट्टू, रोज़ तो यही रहती है। पूरे फ्लोर की अकेली मालकिन बनकर। तुझे कोई डरायेगा न तो वो तू ही होगी। चलो यार निकले अब लेट हो रहे है।" मनु के कहने पर सब सहेलियां तेज़ी से नीचे उतर कर अपनी-अपनी स्कूटी और एक्टिवा पर चलती बनी, बस पीछे रह गयी कोमल सबको बालकनी से हाथ हिलाती हुई।


अचानक उसने गौर किया कि उसके फ़्लैट का नंबर भी तेरह ही है और इत्तेफ़ाकन वो पाँचवे माले पर ही रहती है और इस बिल्डिंग को कतई शहर के अंदर तो नहीं कह सकते। इस एहसास से कोमल बौखला सी गयी। उसने हड़बड़ाहट में अपना मोबाइल किसी को फ़ोन करने के लिए निकाला। उसमें एक SMS पहले से आया हुआ था।


"तुमने मुझे याद किया और मैं आ गयी तुम्हारी तन्हाई बांटने।" SMS किसने भेजा है ये कोमल को ठीक से नहीं दिख रहा था उसने अपनी गर्दन थोड़ी टेढी करके नाम पढ़ने की कोशिश की। उस मैसेज के अंत में कोमल ही लिखा था। एक हल्की 'कटाक' की आवाज़ आयी और फिर वो गर्दन कभी ठीक नहीं हुई।


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