कोई नहीं देख रहा
कोई नहीं देख रहा


स्वतंत्रता दिवस का पावन पर्व। सुबह से टीवी चल रहा था। देश की आजादी के लिए वीर रणबांकुरों ने किस तरह अपनी जान का बलिदान किया, और कितनी कुर्बानियों के बाद हमने आजादी हासिल की, उद्घोषक इन सारी कहानियों को बता रहे थे। फिर देश के प्रधानमंत्री मोदी जी ने ध्वजारोहण किया और राष्ट्रीय गान की धुन बजने लगी।राष्ट्रीय गान की धुन बजने के समय माँ ने रोहित को जब सोफे पर बैठे देखा, तो उसे डाँटा-"जब भी राष्ट्रीय गान हो ध्वज के सम्मान में तुमको खड़ा हो जाना चाहिए..!" यह कहते हुए माँ ने उसको अटेंशन मुद्रा में खड़े होने को कहा।
रोहित माँ की बात मान कर खड़ा हो गया और राष्ट्रीय गान की समाप्ति पर मां से कहा-"यह क्या माँ। मैं आराम से बैठा था। और यहां पर अपने घर मे मेरे खड़े होने से क्या होगा..? और फिर कौन यहां देख रहा है, कि मैं इस समय खड़ा हूं या बैठा हूं..?"
माँ ने कहा-"कौन तुझे देख रहा है कि तू खड़ा है या बैठा है सिर्फ यही बात, एक दिन तुझको पतन के गर्त में ढ़केल देगी। इसी मानसिकता के कारण लोग गुनाह करते हैं, लड़कियों के साथ अभद्रता करते हैं, बुरे काम करते हैं, लोगों की जेब काटते हैं, चोरी छुपे शराब पीते हैं, गंदी हरकतें करते हैं..बस इसी बात को सोचकर, कि कोई नहीं देख रहा है..!
और बेटा, वैसे भी कोई देखे या ना देखे ,लेकिन ईश्वर हर पल हमें देखता है..हर पल हमारे साथ रहता है.. और हमें आगाह भी करता है, जब हम कुछ गलत काम करते हैं। इसलिए बेटा, कभी गलत काम ना करो..और आजादी का कभी दुरुपयोग ना करो। और कुछ गलत करने से पहले ये कभी न सोचो कि कोई देख नहीं रहा है..!
हम आजाद जरूर है
लेकिन हम आजाद अच्छे काम करने के लिए है... लोगों को प्यार बांटने के लिए है.. लोगों की मदद करने के लिए है..लोगों की तकलीफों को दूर करने के लिए है..! लोगों को दुख देने और उन्हें तकलीफ देने के लिए हम हम आजाद नहीं हुए हैं..!
आजादी हमें ईमानदार बनना सिखाती है। आजादी हमसे यह नहीं सिखाती, कि हम चोरी छुपे गलत काम करें.. बेईमानी करें.. झूठ बोले..और लोगों को सताएँ..उन्हें धोखा दे..!
आज आजादी के इस सुनहरे मौके पर तुम्हें यह संकल्प लेना चाहिए, कि तुम भी उन वीरों का अनुसरण करोगे, जिन्होंने देश के लिए अपनी जान दी। जिन्होंने देश के लिए अपना सर्वस्व लुटा दिया और जिनका नाम लेते ही आज भी श्रद्धा से हमारे सर झुक जाते हैं।
बेटा, देश पर मर मिटने वाले ये महान वीर रणबांकुरे आज इस दुनिया में नहीं है, फिर भी वो हमारे दिल में है.. तुम्हारे दिल में है..हम सबके दिल में है..और इसीलिए तुम्हें भी इन महान रणबांकुरों के जैसा ही बनना है, जिससे तुम्हारा नाम भी एक दिन इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाए और जन्म जन्मांतर..पीढ़ी दर पीढ़ी लोग तुम्हें याद करें..तुम्हारा यशगान करें, ठीक उसी तरह, जैसे आज भगत सिंह को लोग याद करते हैं..सुभाष चन्द्र बोस को लोग याद करते हैं और देश के अनगिनत महान सेनानायकों और शहीदों को लोग याद करते हैं।"
"तुमने ठीक कहा माँ। मैं प्रतिज्ञा करता हूं, कि आज से यह सोच कर कभी कोई गलत काम नहीं करूंगा कि कोई देख नहीं रहा है मुझे। मैं भी भगत सिंह और नेताजी सुभाष चंद्र बोस की तरह ही महान बनूंगा और देश के इतिहास के पन्नों में एक दिन अपना नाम भी दर्ज कराऊंगा..।