कलमकार सत्येन्द्र सिंह

Abstract Tragedy

4.4  

कलमकार सत्येन्द्र सिंह

Abstract Tragedy

कन्या

कन्या

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इस बार भी नवरात्रि में ही उनकी बहू की जचगी होनी थी।

सास आरती कर के निकली ही थी कि बेटी के मुंह से निकला कि नवरात्रि में कन्या आ जाए तो मज़ा आ जाए।

“कभी तो शुभ शुभ बोल दिया कर” – कहते हुए सास अस्पताल जाने की तैयारी करने लगी।


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