किताबी ज्ञान
किताबी ज्ञान
रागिनी की दादी ने, उसे उनके पास से सरपट गुजरते देख कहा। "सुनो रागिनी अब कुछ ही हफ़्तों बाद तुम्हारी शादी होने वाली है।
इसलिए ऑफिस से आने के बाद कुछ देर हम लोगो के पास भी बैठा करो"।ताकि मैं ओर तुम्हारी माँ तुम्हे सफल गृहस्थी चलाने का हुनर भी सीखा सके।
दादी की बात सुन रागिनी ठिठक कर बोली,"ओ हो दादी आपकी बेटी एम.बी.ए तक पढ़ी और एक मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर है।"अब उसे भला....,रागिनी आगे कुछ कहती।
उसके पहले ही उसकी दादी बोली, बेटा अपने ससुराल के हर व्यक्ति को सुख देकर संतुष्ट करने वाला ज्ञान इस दुनिया की किसी किताब में नही मिलता। बल्कि ये तो सदियों से परिवार की बुजुर्ग महिलाएं ही परिवार की किशोरियों को विरासत के रूप में देती आयी है।
अपनी सास की बात सुन उसके समीप बैठी रागिनी की माँ मुस्कुरा दी और रागिनी आश्चर्य से उनकी ओर देखने लगी।