Surjmukhi Singh

Drama Romance Others

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Surjmukhi Singh

Drama Romance Others

किसी की अमानत हो तुम-3

किसी की अमानत हो तुम-3

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"अरे यार …कुछ कर , देख ट्रेन उसके नजदीक आते जा रही है और वह पागलों की तरह उसी की तरफ बढ़ रही है ,प्लीज यार… उसे बचाने के लिए कुछ सोच…!" दीपक ने बहुत परेशान होकर पृथ्वी की तरफ देखा तो पृथ्वी खुद कुछ सोचने में गुम था।


"तु रुक, मैं कुछ करता हूं …!"पृथ्वी कुछ सोचता हुआ आगे आया!


"प्लीज यार …जो भी करना है जल्दी कर…, एक सेकंड भी हम देर नहीं कर सकते !"पीहू के तरफ ट्रेन आते देखकर दीपक की धड़कनें बढ़ रही थी!


पृथ्वी ने एक नजर मुस्कुराते हुए दीपक की तरफ देखा और सामने आ रही ट्रेन की तरफ देखकर दौड़ लगा दी, जिसे देखकर दीपक मुस्कुराया।


पृथ्वी बहुत तेज कदमों से प्लेटफार्म के ऊपर दौड़ रहा था और सामने से आ रही ट्रेन पल-पल पीहू के करीब आती जा रही थी और पीहू को तो जैसे कुछ होश ही नहीं था कि, इस वक्त उसकी सारी उम्मीदें टूट चुकी थी, ना वह अपने पिता के पास लौट सकती थी, ना ही अब ऋषभ उसे लेने आने वाला था और अगर जिंदा रही तो रेंजर के आदमी उसे चैन से जीने नहीं देंगें। इसलिए उसने अपनी जिंदगी खत्म कर लेने की सोची और आगे बढ़ती रही।


पृथ्वी प्लेटफार्म पर दौड़ता हुआ अचानक ट्रेन की पटरी पर दौड़ने लगा।


"हे मिस… सामने से ट्रेन आ रही है, हे सुनाई नहीं देता क्या …?मैंने कहा हटो सामने से…!" पृथ्वी दूर से ही पीहू को आवाज लगने लगा, पर वह उसे अनसुना कर आगे बढ़ती ही जा रही थी, अब ट्रेन और पीहू के बीच में कुछ ही मीटर की दूरी थी!


पृथ्वी उसके ना रुकने पर समझ गया कि, वह बिल्कुल भी नहीं रुकेगी ! अब उसे ही कुछ करना होगा तो उसने अपनी कदमों की रफ्तार और बड़ाई , फिर भी वह अभी उससे दूर ही था ,लेकिन ट्रेन पीहू के करीब आती जा रही थी।


अब पीहू और ट्रेन के बीच 10-15 कदम का ही अंतर रहा हो ,जिसे देखकर पृथ्वी ने दो-तीन लंबी चलांग लगाए और पीहू को धकेलते हुए ट्रेन की दूसरी साइड रेल की पटरी में जा गीरा, लेकिन अचानक गिरने से दोनों ही संभाल नहीं पाए, पीहू का सिर रेल की पटरी से जा टकराया और वह बेहोश हो गई। पृथ्वी को भी कलाई और पैर पर चोट आई ,लेकिन उसे खुद से ज्यादा पीहू की फिक्र थी।


ट्रेन अभी अपनी रफ्तार में उसके सामने से गुजर रहा था । पृथ्वी संभाल कर खड़ा हुआ ,उसने मुड़कर पीहू की तरफ देखा जो की बारिश में पूरी तरह भीगी हुई थी , उसका कपड़ा उसके शरीर में चिपक चुका था, वैसे वह भीगने पर भी शादी के लाल जोड़े में बहुत खूबसूरत लग रही थी।


 वह उसके करीब गया ,उसने उसका सर उठा कर अपने पैर के ऊपर रखा, जब उसकी नजर पीहू के चेहरे पर पड़ी तो एक पल के लिए वह खो सा गया।


अचानक ट्रेन की आवाज सुनकर वह उसके चेहरे के सम्मोहन से बाहर आया।


"हे मिस …आर यू ओके…!" पृथ्वी ने पीहू का चेहरा थपथपाते हुए पूछा! वह पूरी तरह बेसुध थी, उसके माथे पर एक चोट का गहरा निशान पड़ चुका था, मोटी मोटी पलके, तीखे नैन नक्श और उसके गुलाबी होठों को देखकर पृथ्वी बार-बार सम्मोहित होने लगा था।


"पृथ्वी तू ठीक है …?और वह मैडम…?!" ट्रेन के पूरी तरह गुजर जाने पर दीपक भागते हुए उनके पास आया ! उसने बहुत परेशान होकर उन दोनों की तरफ देखा तो पृथ्वी ने भी मुड़कर उसकी तरफ देखा।


"यार… टाइम नहीं था संभालने का …,उसे ट्रेन के सामने से तो हटा लिया, लेकिन गिरते वक्त सब कुछ हाथ से निकल गया और इसे चोट लग गई…!" पृथ्वी ने अपनी सफाई में कहा और निराशा भरी नजरों से पीहू की तरफ देखने लगा!


"इट्स ओके यार…,, सर पर जरा सी छोटी लगी है,, अगर तू आगे आकर इसे नहीं बचता तो मैडम दुनिया से चली जाती …!"दीपक ने एक नजर पीहू को फिक्रमंद होकर देखा!


"चल पहले इनका ट्रीटमेंट करवाते हैं बाद में कोई दूसरी ट्रेन देखेंगे आज की ट्रेन तो गई पृथ्वी दूर जाती हुई ट्रेन को एक नजर निराशा से देखता रहा।


"यू आर राइट ब्रो …अपने पास दूसरा रास्ता भी नहीं है…,, पहले इनका इलाज करवाते हैं! बाद में घर लौटने का कुछ सोचेंगे,, वैसे भी आज के लिए तो देर हो ही चुका,, अब अंकल से हमें डांट खाने से दुनिया की कोई ताकत बचा नहीं सकती,, तू क्यों न किसी का भला करके ही डांट सुन ले…!" दीपक ने यह बोलकर एक गहरी सांस ली और पीहू की तरफ देखने लगा!


"अबे …अब देख क्या रहा है? चल इसे लेकर हॉस्पिटल …!"पृथ्वी ने उसे घूरते हुए कहा! उसके पलकों से पानी की बड़ी-बड़ी बूंदें टपक रही थी, वह दोनों पानी से पूरी तरह भीगे हुए थे, क्योंकि बारिश अभी तक थमी नहीं थी !


"हां , तो चलना, हॉस्पिटल लेकर चलते है इसे। मैंने कब कहा कि मैं नहीं जाऊंगा!" दीपक ने अटकते हुए हुए उससे नज़रें चुराते हुए कहा!


"हां, मैं भी वही कह रहा हूं, उठा इसे लेकर हॉस्पिटल चलते हैं …!"पृथ्वी ने हाथ बांधते हुए कहा!


"यू आर राइट…, बट जान तूने बचाया है, तो अस्पताल तक तू ही ले चल, तब तो पूरा क्रेडिट तू ले पाएगा…!" दीपक ने खुद को बचाते हुए मुस्कुरा कर कहा!


"मतलब, तू इसे उठाकर नहीं लेकर चलेगा!" पृथ्वी एकदम गंभीर होकर बोला!


"सॉरी भाई…! लेकर तो मैं चलता ,लेकिन वह क्या है ना, सुबह से मेरे कंधे में जरा सी मोच आ गई है,, तो मैं कोई भी वजनदार चीज उठा नहीं सकता। यह मिस देखने में तो बहुत खूबसूरत है, उतनी ही वजन भी होगी इनकी …!"दीपक पीहू को गौर से देखकर बोला! पृथ्वी उसके मन में क्या चल रहा है यह समझ गया।


पृथ्वी ने जली हुई नजरों से दीपक की तरफ देखा और पीहू को अपनी बाहों में उठाकर आगे चल पड़ा ,थोड़ी ही देर में वह लोग पास के एक अस्पताल में पहुंचे और पीहू को ट्रीटमेंट के लिए डॉक्टर के साथ भेज दिया, वह अभी बेहोश थी।



राजावत मेंशन



एक आलीशान मेंशन के अंदर बहुत चहल-पहल मची हुई थी। कई सारे नौकर हैवी लगेज को उठाकर बड़े से हाल में इकट्ठा कर रहे थे ,इसी बीच किसी की ऊंची आवाज में चिल्लाने की आवाज में आ रही थी।


"क्या कर रहे हो तुम लोग…? जरा हाथ तेज नहीं चला सकते ? एक छोटा सा काम को करने के लिए तुम्हें 30 मिनट का समय लग रहा है,, जिसे 1 मिनट में हो जाना चाहिए।" निभा राजावत नौकरों के ऊपर चिल्ला रही थी!


"क्या गजब हो गया निभाजी …! क्यों बेवजह नौकरों पर चिल्लाएं जा रही हैं आप? बेचारे अपना काम कर ही तो रहे हैं…!" बिजनेसमैन उमेश राजावत वहां दाखिल हुए!


"एक्सक्यूज मी… आपको यह बेचारे नजर आ रहे हैं,, सुबह से इन्हें काम दिया है… शाम होने को आया अभी तक इन्होंने अपना काम पूरा नहीं किया …एक मामूली सा लगेज इनसे उठाया नहीं जाता और आपको यह बेचारे नजर आते हैं…!" निभा जी व्यंग में मुस्कुराते हुए बोली!


"ओके नहीं कहता इन्हें बेचारा… पर आप बताइए आप इतनी जल्दबाजी में कहां जाने की तैयारी कर रही हैं…? और लगता है पूरा मेंशन अपने साथ ले जाने का इरादा है…!" उन्होंने एक नजर हाॅल में बिखरी चीजों पर डालते हुए कहा।


"जी हां, हम आज ही रूस वापस लौट रहे हैं, हमेशा हमेशा के लिए बहुत मुश्किल से आज उस मनहूस लड़की से पीछा छुड़ाने का मौका मिला है। जिसे मैं हरगिज भी गवाना नहीं चाहती,, गार्डन ऋषभ को लेकर आते ही होंगे,, थोड़ी देर बाद हमारी फ्लाइट है,, मैं उसे लेकर यहां से हमेशा हमेशा के लिए चली जाऊंगी!"


"व्हाट यू मीन …? आप इस तरह ऐसे… अचानक कैसे जा सकती, वह भी ऋषभ को लेकर क्या वह आपके साथ जाने के लिए तैयार है…?!" उन्होंने हैरान होकर निभा जी की तरफ देखा!


"नो …,वह बिल्कुल भी तैयार नहीं है,, लेकिन मैं उसे किसी भी हाल में यहां से लेकर जाऊंगी!" उन्होंने सख्त भाव अपने चेहरे पर लाते हुए कहा!


"अगर ,वह तैयार ही नहीं है, तो आप उसे क्यों लेकर जा रही हैं …?!"उमेश जी गंभीर होकर उनके सामने आए!


"क्योंकि ,आज सही मौका है,, इस वक्त रेंजर की पूरी फैमिली का ध्यान पीहू की फैमिली पर है,, इसलिए हम आसानी से यहां से जा सकते हैं! आज मैंने अपने बेटे से उसे लड़की को हमेशा हमेशा के लिए दूर करने का फैसला ले लिया है, जब से वह ऋषभ की जिंदगी में आई है, उसकी बातों में बहककर अपनी जिंदगी खतरे में डाल रहा है। अगर उसने पीहू से शादी की तो रेंजर और उसकी फैमिली उसे जिंदा नहीं छोड़ेंगे,, जो मैं नहीं चाहती …!"उन्होंने बहुत सीरियस होकर कहा!


"यह तुम सही नहीं कर रही, यह उन बच्चों के साथ बहुत गलत है!" उमेश जी उनके सामने आकर आगे बोलते ही जा रहे थे कि, अचानक उनका फोन बज उन्होंने अपनी जेब से अपना फोन निकाल और कॉल आंसर किया!


उन्होंने फोन अपने कान पर लगाया और दूसरी तरफ की प्रतिक्रिया सुनाने लगे, लेकिन उन्होंने जो सुना वह उनके लिए असहनीय था, उनके हाथ से फोन छूट कर फर्श पर बिखर गया, वह धम से सोफे पर बैठ गए,, उन्हें इस तरफ परेशान होकर बैठते देख निभा जी भी बहुत हैरान हो गई!


"क्या हुआ …आप इस तरह बैठ क्यों गए…? कौन था फोन पर…?!" उन्होंने बहुत जिज्ञासा भरी नजरों से उनकी तरफ देखकर पूछा!


"हम , हमारे ऋषभ का एक्सीडेंट हो गया है …उसकी हालत बहुत सीरियस है…!" उन्होंने अटकत हुए कहा! उनके मुंह से ऋषभ के एक्सीडेंट के बारे में सुनकर निभा जी के पैरों तले जमीन खिसक गई!


"इसी बात का डर था मुझे…, आखिर रेंजर ने हमारे बेटे को निशाना बना ही लिया उसे लड़की के वजह से… बेचारा हमारा बेटा इस हाल में पहुंचा है…! मैं उसे कभी माफ नहीं करूंगी …!"उन्होंने बहुत गुस्से में पीहू को याद करते हुए कहा!


बाकी अगले भाग में…!


क्रमशः




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