ख़ामोशी
ख़ामोशी
मैंने अपनी खामोशियों से पूछा था, चाँद सितारों से पूछा था, एक नाम मैंने वहाँ उन सितारों के बीच लिखा हैं,अंधेरी रात के साँयों में ठंड के आग़ोश में मैंने अपनी पलकों को उठाकर वहाँ दूर चाँद सितारों में ख़ुद को ख़ुद में देखा हैं।
कैसे उन मी0लों दूर अपनी जगह बनाऊँ मैंने अपनी ज़िंदगी को ज़िन्दगी से हर बार, बार-बार पूछा था, अहा से आह भर लिया अपनी ज़िंदगी को स्टोरी मिरर के नाम कर दिया।
कहाँ खयाल.?
फिर कहाँ ख़्यालों में खोया था, रुख भी रुख़सत करने लगी मुझसे अपनी ओर बढ़ने लगी पूछने लगी, ख़यालो में "हार्दिक" तू किसी के खोया हैं।
मैंने कहाँ.?
ख़याल मुझें मेरा ख़ुद से नहीं ख़ुद का में हूँ रखता, "मैं"..कैसे अपना ख़याल रखने लगा। घर खर्च औऱ मेहनत दुकान की मेरी मैं बस करता रहा दिन रात अपनी आहें भरता रहा।
शुरुआत थी...?
शुरुआत थी मेरी गरीबी में, अब भी हैं मेरी गरीबी में,पर बिना सोचें समझें बस कदम अपने बढ़ा रहा जैसे मानों चंद साँसें "हार्दिक" ख़ुद ही ख़ुद से कह रही हैं, जी ले दो पल ज़िन्दगी।
"साँसों में सांस अब घुमिलने लगी"
"तन्हा जो बात खुद से पूछने लगी"
"क्या करें हार्दिक बस इतना आसां"
"नहीं अपनी औऱ आहे बढ़ने लगी"
ख़यालो की दुनिया.?
ख़यालों की दुनिया मे खो गया, ख़ुद को समेटे ज़िन्दगी में अपनी गहरी खो गया, पूछता रहा दुनिया से क्या हूँ.? मैं...हाँ क्या हूँ मैं....जो आज " अपनी मंजिलहार्दिक" इस मुक़ाम पर पहुँच रहा हैं।
"वक़्त के जैसे वक़्त पर हालात"
"सही नहीं यह वक़्त जो हार्दिक"
"ख़याल करें फिर जीवन में कोई"
"हो सही तू ढूंढ़ ले मंज़िल कोई"
ढूंढ़ रहा.?
ढूंढ़ रहा था अपनी मंज़िल फिर एक एहसास हुआ, मुझें फिर एक दीदी मिली जिसने मुझे राह दिखायी। मुझें सीखाया स्टोरी मिरर पर लिखना,जीवन में मेरी फिर खुशियां लौट आईं।
वक़्त नहीं.?
कहता हूँ मैं.. वक़्त नहीं होता हम सबके पास कोई, पर हम वक़्त से पहले पहुँच जाते हैं उन्नति के शिखर पर, जब भरोसा हो किसी पर तो वो अपनी मजिंल की औऱ ख़ुद-ख़ुद हमें खींच कर ले जाता हैं।
स्टोरी मिरर.?
स्टोरी मिरर एक ऐसा प्लेटफार्म जो सबसे अच्छा सबसे बढ़िया फ़ेसबूक इंस्टाग्राम व्हाट्सप्प ट्विटर से अच्छा हैं। स्टोरी मिरर पर लिखना एक ख़ास अनुभव हैं। स्टोरी मिरर हमारे भारत देश का सबसे अच्छा प्लेटफॉर्म हैं।
