Sanjay Kumar

Inspirational

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Sanjay Kumar

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खेती

खेती

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एक किसान ने अपने बेटे को पढ़ने के लिए शहर भेज दिया वहाँ वह बड़ी मेहनत से पढ़ता है और अपनी पढ़ाई पूरी करके अपने गांव वापस आता है अपने बेटे को देखकर किसान बहुत खुश हो जाता है बेटा खाना खाकर अपने पिता के पास बैठता है किसान अपने बेटे के साथ बहुत सारी बातें करता है बात करते-करते किसान का बेटा अपने पिता से कहता है "अब मैं शहर में जाकर नौकरी करूंगा वहीं एक बस जाऊंगा और कुछ दिनों के बाद आपको भी अपने शहर बुला लूंगा " अपनी बेटे की बात सुनकर किसान हंसने लगता है और अपने बेटे से कहता है" बेटा मैं शहर जाकर क्या करूंगा मेरे बुजुर्गों ने खेती की है मैं यहां रह कर खेती करूंगा और वैसे भी मैंने सुना है शहर में बहुत घुटन रहती है और मैं घुटन भरी जिंदगी नहीं जी पाऊंगा उसे शहर से तो मेरा गांव ही भला है।"

फिर बाप बेटे दोनों सोने चले जाते हैं सुबह किसान जल्दी उठकर खेत पर चला जाता है बेटा सोता रहता है तभी किसान पत्नी आकर अपने बेटे को जगाती है बेटा जाग जाता है किसान की पत्नी अपने बेटे से कहती है" अजय बेटा लो दूध पी लो " अजय अपनी मां से कहता है" मां मुझे सुबह-सुबह दूध अच्छा नहीं लगता है आप एक कप चाय बना दो चाय मुझे बहुत अच्छी लगती है" किसान की पत्नी कहती हैं "ठीक है बेटा मैं तेरी चाय बना देती हूं " किसान पत्नी रसोई में जाकर चाय बना कर ले आती है किसान की पत्नी अपने बेटे अजय को चाय दे देती है अजय चाय पीने लगता है पीते पीते अपनी मां से कहता है "माँ में शहर में नौकरी करने जाऊंगा और नौकरी करने के बाद तुमको भी शहर बुला लूंगा पिताजी को बुला लूंगा पर पिताजी शहर जाने की मन कर रहे हैं।"

यह सुनकर किसान की पत्नी कहती है "बेटा मैं भी अपने गांव को छोड़कर नहीं जा सकती हूं क्योंकि यह गांव नहीं है हम लोगों का परिवार है और परिवार को छोड़कर शहर में जाना हमारे बस की बात नहीं है तुम जाना चाहो तो जा सकते हो" यह सुनकर अजय भी खामोश हो जाता है कुछ दिन रहने के बाद उसका नौकरी कॉल लेटर आ जाता है कॉल लेटर को पकड़ अजय बहुत खुश होता है अपने परिवार को बताता है रात में सब लोग बिस्तर लगाकर सो रहे होते हैं किसान बाहर सो रहा होता है अजय अपनी खाट पर लेटा हुआ है और अपनी मां से कहता है "मैं मां आपसे एक बात पूछूं। "

अजय की मां कहती है "पूछो बेटा क्या पूछना चाहते हो" अजय अपनी माँ से कहता हैं मां जब से मैंने होश संभाला है सब लोग बताते हैं तुम्हारे पिता बहुत पढ़े लिखे हैं यदि मेरे पिता इतने पढ़े लिखे हैं तो शहर में नौकरी करने क्यों नहीं गए" यह सुनकर अजय की मां कहती है बेटा यह बात सच है कि तुम्हारे पिता हो जमाने की बहुत पढ़े-लिखे व्यक्ति हैं पर वह अपनी धरती से बहुत प्यार करते हैं शबनम शहर जाकर नौकरी करने के लिए कहा तो उन्होंने कहा मैं किसान का बेटा हूं खेती से ही परिवार चलाऊंगा यदि सब किसान शहर चले गए तो शहर वालों को रोटी कहां से मिलेगी और तुम्हारे पिता शहर नहीं गए अपने पांच बीघा खेती को करते-करते आज 50 बीघा खेती कर ली है उसे खेती से तुमको तुम्हारे सब बहन भाइयों को पढ़ा रहे हैं" यह सुनकर अजय कुछ नहीं कहता है खामोश होकर सो जाता है सुबह जल्दी उठ जाता है और अपने पिता को जगाता है अपनी बेटे की आवाज सुनकर किसान जग जाता है और अपने बेटे से कहता है।

"बेटे तुम इतनी जल्दी कैसे जाग गए " अजय अपने पिता का हाथ पकड़ता है और कहता है "चलो पिताजी खेत पर चलते हैं" किसान अपनी बेटे से कहता हैं "पर बेटा तुम तो शहर में जाकर नौकरी करना चाहते हो तुम्हारी नौकरी का कॉल लेटर भी आ गया है खेत पर जाकर क्या करोगे " यह सुनकर अजय हंस के कहता है "पिताजी खेत पर जाकर खेती करूंगा आपके साथ और नए युवाओं को प्रेरणा दूंगा कि अपने गांव को छोड़कर शहर की ओर ना भागे। हम खेती में से भविष्य बना सकते हैं नई-नई तरह की फसलों को उगा कर और शहर जाकर नये नये खेती की जानकारी करके सब किसान भाइयों को बताऊंगा ताकि वह भी खेती में नए-नए प्रयोग करके अपने देश को महान बना सकें आज मेरी समझ में आ गया पढ़ाई का मतलब क्या होता है" अपने बेटे की बात सुनकर गर्व से किसान का सीना चौड़ा हो जाता है उसकी आंखों में आंसू है पर आज आंसू ख़ुशी के आंसू है दोनों बाप बेटे खेत की ओर चले जाते हैं।


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