Sanjay Kumar

Children Stories

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Sanjay Kumar

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मेहमान

मेहमान

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एक राजा का दरबार लगा हुआ था बहुत सारे लोग बैठे हुए थे तभी एक-दूत एक चिट्ठी लेकर आया चिट्ठी को देखकर दूत से पढ़ने को कहा दूत ने चिट्ठी को पढ़ा और कहा कि आपके राज्य में हमारे यहां के एक मेहमान आने वाला है उसकी देखभाल करना आपकी जिम्मेदार ही है यदि हमारे मेहमान को किसी प्रकार की कोई समस्या हुई या उसने शिकायत करी तो हमारे राजा आपके राज्य पर आक्रमण कर देंगे यह सुनकर राजा बड़ा दुखी हुआ क्योंकि उसका राज छोटा था और जिस राजा का दूत आया था वह बहुत बड़ा राज्य था पास में राजा का बैठा मंत्री संजय कहता है "महाराज आप चिंता ना करें" दूत की तरफ इशारा करके कहता है "जो अपने राजा से कह देना आपका जो भी मेहमान आएगा उसका सत्कार होगा " तभी दूत कहता है "ठीक है मैं अपने राजा साहब को आपकी बताई हुई बात बता दूंगा पर हमारा जो मेहमान आएगा वह अचानक आयेगा किसी को बताया नहीं कि वह उसे राज्य से आया है " यह सुनकर राजा कहता है फिर हम उसको कैसे पहचानेंगे इस पर दूत कहता है "इस बारे मुझे नहीं जानकारी है जितना मुझसे कहा उतना बता दिया मैं चलता हूं" तभी मंत्री संजय कहता है 'दूत से क्या चिंता ना करें आपका जो भी मेहमान आएगा हम खुद पहचान लेंगे इसकी चिंता ना करें " दूधराज से चला जाता है उसके जाने के बाद राजा अपने मंत्री संजय से कहता है" तुम कैसे पहचानोगे वह मेहमान कौन है" इस पर संजय मंत्री कहता है "महाराज आप चिंता ना करें आपका राज जरूर छोटा है पर आपके यहां के लोग बहुत अच्छे हैं और आप अपने राज्य में इतनी मेहनत करते हैं सब आपका साथ देंगे " राजा मुस्कुरा के कहता है "अब तुम मेरे राज की जिम्मेदारी मेरे मंत्री संजय की है " इस पर मंत्री संजय मुस्करा के कहता है "जब मेरा राजा इतना अच्छा होगा तो मैं क्यों ना मदद करूंगा आखिर मैं भी इस राज में रहता हूं इसका नमक खाता हूं और इसकी रक्षा करना मेरी जिम्मेदारी है "

मंत्री संजय उठता है और राजा से कहता है "आज से राज्य के में गेट की चौकीदार की जिम्मेदारी मेरी है " मंत्री संजय राज्य के गेट पर चला जाता है वहां चौकीदारी का भेष धारण करके बैठ जाता है और आने वाले लोगों पर नजर रखता है 2 दिन के बाद एक बैलगाड़ी जिसमें चार-पांच औरतों बैठी हुई है राज्य जो चली आ रही है गेट पर चौकीदार सब रोक लेते हैं और कहते हैं "आप लोग कहां से आए हो हम लोग आपको नहीं पहचानते हैं और यह औरत को पड़कर सब औरत क्यूँ बैठी हुई है " उनकी बातचीत को सुनकर मंत्री संजय वहां पर पहुंच जाता है और तुमको गौर से देखने लगता है फिर कहता है "यह बहन इतना चिल्ला क्यों रही है" इस पर औरत कहती है "इसके बच्चा होने वाला है हम दूसरे राज्य से हैं आस-पास कोई जगह ना देखते हुए हम आपके राज्य में आ गए हैं " यह सुनकर मंत्री संजय कहता है अरे यह तो बड़ी समस्या है आप इन्हें तुरंत हमारे वैध जी के पास ले जाएं दूसरे राज्य से आए हुए हमारे मेहमान होते हैं और उनकी सेवा करना हमारी जिम्मेदार रही है और जिसके बच्चा होने वाला है वह हमारी बहन जैसी है तुरंत सैनिकों को इशारा करके उन्हें तुरंत वैध के पास ले जाते हैं वैध महिला वैध को इशारा करके इलाज करने के लिए कहता है महिला वेद अपने साथ दायी को लेकर कमरे में पीड़ित को ले जाती है और एक बच्चे को जन्म देती हैं बाहर आकर महिला वैध और दायी बताती है कि एक बेटी का जन्म हुआ है बाहर सभी महिला खड़ी है जो ऊपर वाले को देखकर कहती है "बहुत इतना अच्छा राज्य है कि हमारी इतनी मदद की है " वहां पर मंत्री संजय भी आ जाता है और पता करता है की स्थिति क्या है वहां पर वैध बताता है कि बेटी पैदा हुई है यह सुनकर मंत्री संजय बहुत खुश होता है कहता है "अरे इस खुशी में लड्डू बनते हैं सबको लड्डू खिलाए जाएं क्योंकि हमारे राज में एक बेटी का जन्म हुआ है " सैनिक लड्डू लाते हैं चारों तरफ लड्डू बांट देते हैं

और महिलाओं को भी खिलते हैं तब मंत्री संजय कहता है आप हमारे मेहमान है आप यहां रुके हैं जब तक पीड़ित सही ना हो जाए मंत्री संजय अपने सैनिकों से इशारा करके कहता है उनकी देखभाल और उनकी रहने की व्यवस्था की जाए वह मिला कर दिन रूकती है 4 दिन के बाद बच्चे को लेकर अपने राज्य की ओर चलने लगती है तभी मंत्री संजय अपने राजा के साथ आकर हाथ जोड़कर कहता है "हमारे से किसी प्रकार की कोई गलती हो तो उसके लिए क्षमा कर देना और अपने राजा जी से कह देना कि हमारे छोटे से राज्य पर किसी प्रकार का कोई आक्रमण ना करें।

हमने उनके मेहमान की अच्छी तरह देखभाल की है और यदि कोई कमी रह गई हो तो उसके लिए भी हमें माफ करते हैं" यह सुनकर महिलाएं कहने लगती हैं आपने कैसे पहचान लिया कि हम अब आपके राज्य में राजा जी के कहने पर मेहमान बन कर आए हैं " इस पर मंत्री संजय कहता है हमारे राज्य में आने से पहले भी एक राज्य पड़ता है और वहां पर कोई वैध ना हो ऐसा हो नहीं सकता उसे राज्य को पार करने के बाद ही हमारे राज्य में आया जाता है आपकी बैलगाड़ी के पहियों को देखकर मैं समझ गया था कि आप बड़े राज्य से आई हैं क्योंकि पहियों पर वहां का चिन्ह लगा हुआ है" यह सुनकर महिलाएं कहती हैं "राजा साहब आपके यहां इतना बुद्धिमान मंत्री है तो आपके राज्य को कभी कोई नुकसान नहीं कर सकता आपका मेहमान आपकी सेवा से संतुष्ट होकर जा रहा है और ऊपर वाले से दुआ करते हैं कि यह राज्य हमेशा खुशहाल बना रहे" यह कहकर महिलाये चलने लगते हैं बैलगाड़ी से अपने राज्य की ओर जाने लगती है राजा और उसका मंत्री संजय वापस अपने दरबार की ओर चलने लगते हैं।


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