दादी माँ
दादी माँ
एक दिन एक छोटी लड़की सुगंधा अपनी दादी के पास लेटी हुई है। दादी उसे बहुत सारी कहानी सुना रही है दादी की कहानी सुनते सुनते नींद आ गई है और सो गई है। दादी अपना चश्मा उतार के रख देती है फिर वह भी सो जाती हैं। सुगंधा को सुबह उसकी मम्मी उठाती है और स्कूल के लिए तैयार कर देती है सुगंधा के पिताजी भी तैयार हो जाते हैं सुगंधा अपने पिताजी से कहती है "पापा आज इतनी जल्दी कैसे तैयार हुए कहां जा रहे हो " तभी कमरे में से दादी भी निकाल कर आती है वह भी तैयार खड़ी है अपनी दादी को देखकर सुगंधा कहती है" दादी जी आप भी कहां जा रही हैं जो इतनी जल्दी तैयार हो गई हो " सुगंधा की दादी सुगंधा के पास आकर सर पर हाथ फिर करके कहती हैं" बेटी मैं गांव जा रही हूं गांव में शादी है कुछ दिन वहाँ रह कर वापस आ जाऊंगी तब तक सुगंधा अपनी मां का ख्याल रखना " यह सुनकर सुगंधा कहती है "दादी जी मैं भी आपके साथ गांव चलूंगी "" तभी सुगंधा के पिताजी कहते हैं नही बेटी तुम्हारे स्कूल का पढ़ाई का समय चल रहा है जब पेपर खत्म हो जाएंगे छुट्टियां पड़ जाएंगे तब तुमको भी गांव ले चलेंगे " दादी सुगंधा के सर पर हाथ रखे रहती हैं "बेटी मैं तुमको जो साहस की कहानियां सुनाती हूं इसलिए साहस से अपनी मम्मी का ख्याल रखना " यह सुनकर सुगंधा फुला कर कहती हैं " चिंता मत करो दादी जी मैं अपनी मम्मी का ख्याल रखूंगी' यह कह के सुगंधा स्कूल चली जाती है सुगंध के पिताजी और दादी गांव चले जाते हैं सुगंधा स्कूल में क्लास में पढ़ रही है लंच में सब लोग खेलने बाहर आ जाते हैं सुगंधा भी लंच में खेलने लगती हैं तभी सुगंधा की नजर स्कूल के पार्क में कोने पर पड़ती है जहां पर कुछ लोग कुछ छुपा कर भाग जाते हैं यह देखकर सुगंधा को बड़ा अजीब लगता है "कि आखिर क्या सामान छुपा कर लोग भाग गए हैं " सुगंधा यह बात अपनी सहेलियों को बताती है इसकी सहेलियां कहती है" नहीं हम देखने नहीं जाएंगे हमको तो डर लगता है और हो सकता है वैसे ही कूड़ा फेंक गये हो चलो लंच खत्म हो गया क्लास में चलते हैं" सुगंधा अपनी सहेलियों से कहती है इतना डरपोक भी नहीं होना चाहिए मेरी दादी कहती है हमेशा साहसी बनकर रहो मैं तो देखने जाऊंगी आखिर उन्होंने क्या फेंका है तभी उसकी सहेली कहती है रुको हम भी साथ चलते हैं तभी सुगंधा कहती है" रुको पहले यह बात अपनी क्लास की टीचर को बताते हैं कहीं कोई खतरा हुआ तो दिक्कत खड़ी हो सकती है" सुगंधा दौड़ कर अपनी क्लास की टीचर के पास जाती है और सारी बात बता देती है क्लास टीचर अपने प्रिंसिपल को बताने जाती है प्रिंसिपल और टीचरों को लेकर पार्क के कोने की ओर जाते हैं वहां पर देखते हैं कुछ बैग रखे हुए हैं प्रिंसिपल तुरंत पुलिस को फोन करते हैं पुलिस आ जाती है पुलिस उन बैगों को चेक करती है तो उसमें बहुत सारे पैसे रखे हुए हैं पुलिस वाले कहते हैं" ऐसा लगता है कोई चोर चोरी करके आया हुआ है और अब चोरी के पैसे को यहां छुपा कर भाग गया है ताकि रात में जाकर चुपचाप उठा कर ले जाए " तभी प्रिंसिपल कहता है "यह तो हमारे स्कूल की बच्ची की नजर पड़ गई और उसने हमको बता दिया तो हमने आपको बता दिया" पुलिस वाले कहते हैं" तुम्हारे स्कूल के बच्चे बड़े साहसी हैं और बहुत साहसी है वह लड़की जिसे बात तुमको बताई है " तभी स्कूल की टीचर कहती है" यह बेटी है जिसका नाम सुगंधा है " पुलिस वाले सुगंधा को कहते हैं" शाबाश बेटी तुम बहुत साहसी बेटी हो " तभी सुगंधा कहती है "यह सब साहस मेरी दादी जी ने मुझे साहस की कहानी सुना कर सिखाया है " उसकी बात सुनकर प्रिंसिपल कहता है" शाबाश बेटी तुम्हारी दादी बहुत अच्छी है आप कहां है तुम्हारी दादी " सुगंधा कहती "मेरी दादी गांव गयी हुई है " प्रिंसिपल कहता है "जब तुम्हारी दादी गांव से आ जाएगी तो हम सब मिलने जरूर जाएंगे और उनसे कहेंगे एक हफ्ते में एक कहानी हमारे बच्चों को जरूर सुनाएं ताकि स्कूल के सब बच्चे साहसी बन सके " ये सुनकर सुगंधा कहती है "जरूर सर मैं अपनी दादी से सबको मिलवाऊगी " पुलिस वाले पूरा सामान लेकर चले जाते हैं स्कूल की छुट्टी के बाद सुगंधा अपने घर पर आती है और सारी घटना अपनी मां को बताती है सुगंधा की मां सुगंधा के सर पर हाथ रख कर कहती हैं" मेरी बेटी सुगंध साहसी लड़की है " यह सुनकर सुगंधा कहती हैं "मुझको साहसी मेरी दादी ने बनाया है इसलिए सबसे साहसी मेरी दादी है " सुगंधा की मां हंसने लगती है।