Sanjay Kumar

Inspirational

4  

Sanjay Kumar

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सपने

सपने

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अजय अपनी दुकान से वापस आता है और खाना खाकर सो जाता है चाय पीकर बाहर बाथरूम में जाकर तैयार हो जाता है और नाश्ते की टेबल पर बैठ जाता है तभी उसकी पत्नी जाकर नाश्ता लगा देती है नाश्ता करने लगता है पास में उसका 10 साल का बेटा बैठा हुआ है और अपने पिताजी से जिद कर रहा है "पापा कल छुट्टी है हम सब घूमने चलेंगे " अपने बेटे की जिद देखकर अजय कहता है "ठीक है कल हम लोग घूमने नहीं चलेंगे पर कल छुट्टी है अपने घर की सफाई करेंगे सफाई करने के बाद हम लोग एक रेस्टोरेंट में खाना खाने चलेंगे" इस पर अजय की पत्नी रहती है "यह बात सही है घर की सफाई होनी चाहिए क्योंकि जल्दी दीपावली अभी आ रही है " इस अजय का बेटा भी खुश होकर कहता है "हां ठीक है

पापा कल हम कमरों की सफाई करेंगे और दादा जी वाले कमरे की भी सफाई करेंगे जहां पुराने जमाने के खिलौने भी रख उनको भी साफ करेंगे " अजय कहता है "हां ठीक है उसे कमरे की भी सफाई करेंगे जहां मेरी बचपन के खिलौने रखे हुए हैं मेरे पिताजी मुझे बहुत प्यार करते थे हमेशा मेरी हर चीजों को संभाल कर रखते थे पर वक्त ने समय से पहले उन्हें हमसे ले लिया पर आज भी उनकी याद है मेरे साथ हमेशा है और उनके आशीर्वाद से हम आज अच्छा जीवन जी रहे हैं" अजय का बेटा तुरंत कहता है "जैसे पापा आप भी मेरे खिलौने को संभाल कर रखते हैं इसका मतलब आप दादा जी जैसे ही हैं " अपनी बेटे की बात सुनकर आए हंसने लगता है फिर नाश्ता करके दुकान पर चला जाता है दूसरे दिन सब घर की सफाई में लग जाते हैं फिर दादा जी वाले कमरे की सफाई करने लगते हैं अजय का बेटा सफाई करते-करते एक बक्से में से एक क्रिकेट का बैट उठा लेता है और अपने पिताजी के पास ले आता है वह बैट अपने पिता के हाथ में देकर कहता है "पिताजी यह देखो कितना सुंदर बैट हैं " अजय बैट को अपने हाथ में लेता है और उसे बैट को देखकर पुराने सपनों में खो जाता है जहां पर उसके पिताजी उसे क्रिकेट के बैट से खिला रहें हैं अजय क्रिकेट खेल रहा है अपने बेटे के क्रिकेट खेलने पर अजय के पिताजी कहते हैं "देखना बड़ा होकर देश के लिए क्रिकेट खेलेगा" अजय भी खुश होकर कहता है "पिताजी मैं भी देश के लिए क्रिकेट खेलूँगा

बहुत बड़ा क्रिकेटर बनूँगा " तभी अजय का बेटा पीछे से कंधे से पिताजी को जो झंझोर देता है वह कहता है "पिताजी आप कहां खो गए बैट को देखकर " अजय की आंखों में आंसू होते हैं अपने बेटे के कंधे पर हाथ रख कहता है "कुछ नहीं बेटा अपने में पुराने सपनों में खो गया मेरे पिता का सपना था कि मैं एक बहुत बड़ा क्रिकेटर बनु पर पर अचानक पिताजी का एक्सीडेंट होने दे सब कुछ खत्म हो गया मेरे सारे सपने टूट गए अपनी मां की करने मदद दुकान पर जाने लगा फिर दुकान को संभालना लगा। फिर शादी हो गई फिर हमारे जीवन में बेटा तुम आ गए पुराने सब सपना भूलकर नई दुनिया में लग गए ।" बैट हाथ में लेकर आपने पिता से कहता है "पिताजी मैं क्रिकेट खेलूँगा और अपने दादाजी का सपना पूरा करूंगा "

अजय का बेटा बैट को अपने सीने से लगा लेता है। तभी पीछे से अजय की पत्नी हाथ रखे रहती है "अरे कहाँ खो गये किस सपनें में खो गये हैं " अजय अपनी पत्नी के हाथ को पकड़ कर कहता है "कुछ नहीं अपने बेटे के बचपन में खो गया " अजय की पत्नी कहती है "जल्दी से तैयार हो जाओ स्टेडियम चलना है आज हमारे बेटे का मैच है वह देश के लिए खेल रहा हैं " अजय की आंखों से आंसू निकल रहे हैं और वह आंसू बता रहे हैं कि अजय का बेटा देश के साथ-साथ अपने दादाजी के सपने को पूरा करने के लिए भी खेल रहा है अजय उठता अपने पिता की तस्वीर के पास जाकर कहता है हाथ जोड़कर कहता है "पिताजी आपका सपना आपका नाती पूरा कर रहा है उसको आशीर्वाद दें वह देश की जीत के लिए हमेशा क्रिकेट के खेलें।" तभी अजय की पत्नी आ जाती है दोनों गेट से बाहर निकलते हैं।


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