कौन......
कौन......
कौन कहता है आसमान में छेद नहीं हो सकता दोस्तों।
एक पत्थर तबियत से उछाल कर तो देखो।
पुष्पा ने पूछा आज कहां पत्थर उछाल रहे हो।
आज किसे पत्थर उछालने को कह रहे हो।
मैंने कहा पुष्पा हमारे देश में बेरोजगारी नहीं है।
बावजूद इसके कुछ लोग बेरोजगारी का रोना रोते रहते हैं।
वह जब भी मीडिया से मुखातिब होते हैं चिल्ला चिल्ला कर यही दर्शा रहे होते हैं।
हमारे भारत देश में कितनी बेरोजगारी बढ़ गई है।
हमारे देश में बेरोजगारी का आलम इतना बढ़ गया है।
जिससे वह हाथो मे 10 से 12 हजार का मोबाइल रखते। परंतु वे सब बेरोजगार है।
इस बेरोजगारी में भी वह अपने मोबाइल के पूरे खर्चे उठाते है।
उसके पश्चात भी पप्पू उसे विदेशों में उगल देता है।
पप्पू उसे विदेशों में उछाल देता है। भारत देश में बेरोजगारी बढ़ रही है।
पुष्पा ने कहां अपने देश की बुराई विदेशों में नहीं करनी चाहिए।
बात जब सच और झूठ की हो। तो पहले उसे अपने घर में कसौटी के पैमाने पर नाप लेना चाहिए।
कहीं ऐसा ना हो एक व्यक्ति विशेष से नफरत की आग पूरे देश में लग जाए।
पुष्पा ने पूछा आप ऐसा क्यों कह रहे हो।
पप्पू विदेशो में देश की बुराई करेगा।
यह मैं नहीं कह रहा देशी विदेशी न्यूज़ चैनल पप्पू का लाइव प्रसारण करके बता रहे हैं।
देख लीजिए विदेशों में पप्पू किस प्रकार भारत देश की छवि बिगाड़ने में लगा हुआ है।
मैने कहा वह पप्पू है। मैने नही कहा वह स्वयं से कहता है, मैं पप्पू हु।
जब कोई पप्पू होता है वह कभी भी कही भी कुछ भी बोल देता है।
हालाकि उसकी बात को कोई इतनी गंभीरता से नहीं लेता।
परंतु एक अफवाह झूठ किस कदर दूसरे के दिलो दिमाग पर असर डालता है। उसे एक उद्धरण से समझा जा सकता है।
मैंने कहा पुष्पा जिस प्रकार एक विज्ञापन बार-बार हमारे सोचने की शक्ति पर प्रहार करता है।
जिसके परिणाम स्वरूप हम उस विज्ञापन के प्रचार के कारण वह उत्पाद खरीद लेते हैं।
जिस लक्स कोजी से देश के महानायक अमिताभ बच्चन को सर्दी में भी गर्मी का एहसास होता है।
वह स्वयं से सर्दियों में स्वेटर शॉल हीटर और लंबे लंबे गरम कोट का इस्तेमाल करता है।
परंतु हम उस विज्ञापन के परिणाम स्वरूप सर्दियों में भी गर्मी का एहसास के कारण खरीद लेते हैं।
ठीक उसी प्रकार यह झूठा प्रचार देश माने या ना माने।
परंतु जो राजनीति कूटनीति की अच्छी समझ रखते हैं।
वह इस बात का फायदा हमारे देश के लोगों को भड़काने में कर सकते हैं।
वह भी पप्पू की नासमझी के कारण।
हमारी भारतीय परंपरा में अक्सर बड़े बुजुर्गों से सुना जा सकता है। औलाद हो एक हो परंतु ने हो।
परंतु पप्पू की नासमझ से भरे वक्तव्य के पश्चात देश झूठे बदनाम हो जाएगा।
पुष्पा ने कहा क्या आप इसलिए नाराज है।
पप्पू ने विदेश में मन घड़ंत बोल कर देश को बदनाम करने की कोशिश की है।
या इसके पीछे कुछ और ही वजह है।
मैने कहा पुष्पा वैसे पप्पू ही नही किसी के कुछ भी बोलने से कोई फर्क नहीं पड़ता देश में।
परंतु नाराजगी तब बड़ जाती है। जब कोई पप्पू अच्छे कार्यों की प्रशंसा नही करता।
हां इतना अवश्य है देश में बेरोजगारी को लेकर टूल किट के तहत जो बेरोजगारी का चीखना चिल्लाना बद दस्तूर जारी है।
यह नाराजगी का विशेष कारण है। बे वजह देश को बदनाम करने का षड्यंत्र अच्छा नहीं कहा जा सकता।
जिस व्यक्ति विशेष ने सत्ता संभाल रखी है। उसके विरोध मे झूठ फैलाना अच्छी राजनीति नहीं है।
जो व्यक्ति विशेष कल तक चाय बेचता था।
आज वह बहुत ही शानदार तरीके से देश को चला रहा है।
बस यही बात टूल किट और पप्पू को फूटी आंख नहीं भा रही।
पुष्पा आपकी और उनकी आंखे खोलने के लिए जो आज बताने जा रहा हु।
वह आप ही नही दुनिया का वह शिक्षित युवा वर्ग और अशिक्षित युवा वर्ग यह अच्छी तरह समझ ले।
गीदड़ के झुंड से शेर नहीं डरा करते।
हौसले बुलंद हो तो व्यक्ति दूध की नदियां बहा सकता है, बेरोजगारी तो क्या चीज है।
हौसले बुलंद हो तो व्यक्ति दूध की नदियां बहा सकता है। बेरोजगारी तो चीज क्या है।
हौसले बुलंद हो तो व्यक्ति छैनी और हथौड़ी से विशाल काय पर्वत को काट कर समाज कल्याण के लिए सड़क बना सकता है।
जी हां आप सही समझी दशरथ मांझी पेशे से मजदूर। जिन्होंने साबित कर दिया।
हौसले बुलंद हो तो क्या कुछ नहीं किया जा सकता बेरोजगारी तो चीज क्या है।
जो अपने आप को प्रेरित रखते है। वह यह तक नहीं जानते बेरोजगारी किस चिड़िया का नाम है।
पुष्पा ने पूछा आप क्या कहना चाहते हो।
मैंने कहा पुष्पा मैं कुछ भी नहीं कहना चाहता। परंतु कहे बिना रहा भी नहीं जाता।
पुष्पा बात ऐसी है जो लोग बेरोजगारी का रोना रोते हैं।
उन्हें हम यह बता दे एक व्यक्ति ने जहां चाह वहां राह की तर्ज पर बेरोजगारी को धता बताकर बेरोजगारों के लिए एक प्रेरणा स्रोत मिसाल रखी है।
यदि बेरोजगारी को रोजगार में परिवर्तित करना है।
तो आप अपनी साइकिल के द्वारा एक लघु उद्योग शुरू कर सकते हैं।
इस विचार को सिर्फ और सिर्फ वही व्यक्ति रोजगार में बदल सकता है।
जिसका पेट भूखा हो इस विचार को सिर्फ और सिर्फ वही व्यक्ति रोजगार में बदल सकता है। जिसकी जेब खाली हो।
यदि मीडिया के सामने बेरोजगारी को बढ़ा चढ़ा कर दर्शाया जाए। तो उससे कोई भी व्यक्ति रोजगार प्राप्त नहीं कर सकता।
यदि कोई व्यक्ति सड़कों पर आकर बेरोजगारी का रोना रोता है।
तो उससे वह रोजगार प्राप्त नहीं कर सकता।
यदि कोई व्यक्ति सड़क पर आकर बेरोजगारी का रोना रोता है।
तो उस व्यक्ति को सुनील के विचार से अपने आप को प्रेरित करना होगा कि वह सड़क पर आकर सुनील की तरह अपनी साइकिल पर सैंडविच बना बना कर बेच सकता है।
वहीं दूसरी तरफ जो भी बेरोजगारी का रोना रोते हैं। सड़क पर आकर वह सड़क पर अपनी साइकिल पर रोटी और सब्जी के द्वारा लोगों का पेट भर सकते है।
जिसके परिणाम स्वरूप वह कम से कम यह साबित कर देंगे। सड़कों पर ही पैसा बिखरा हुआ है। सड़कों पर ही व्यापार बिखरा हुआ है।
कर लो आसमा मुट्ठी पर बन जाओ अंबानी अडानी लक्ष्मी मित्तल टाटा बिरला।
सिर्फ समझना यह है किसी भी व्यापार को करने के लिए पहल करनी ही होगी।
यदि आप भी सुनील और अनिल के इन विचारों से सहमत हैं।
तो आप भी जिंदगी में कभी बेरोजगारी का रोना नहीं रोएंगे।
पुष्पा इसीलिए कह रहा हूं हमारे देश में सरकारी नौकरी को ही रोजगार माना गया है।
जबकि व्यक्ति में यदि चाह हो तो वह प्राइवेट कंपनियों में काम करके अपनी रोजी रोटी कमा सकते है।
यदि व्यक्ति में व्यापारी बनने की चाह हो।
तो वह अपने छोटे-छोटे कामों के द्वारा सफल व्यापारी बन सकता है।
इसमें किसी प्रकार की कोई दो राय नहीं है। इसमें किसी प्रकार का कोई संदेह नहीं है।
दोस्तों आपको कोई भी राजनीतिक पार्टी आपको कोई भी विद्यालय आपको कोई भी महाविद्यालय यह नहीं समझाएगा।
आप छोटे-छोटे रोजगार से भी बहुत बड़े व्यापारी बन सकते हैं।
आप छोटे-छोटे रोजगार से भी बड़े उद्योगपति बन सकते हैं।
दोस्तों हमारा अगला लेख पढ़ना बिल्कुल ना भूलें।
जो आपके उज्जवल भविष्य से जुड़ा हुआ है।
छोटे रोजगार को ही बड़े रोजगार में बदला जा सकता है। जैसे हम छोटे से बड़े हुए हैं।
ठीक उसी प्रकार छोटे से व्यापार को करके ही हम साबित कर सकते हैं।
हममें सामर्थ्य हैं देश में बेरोजगारी खत्म करके।
अपना रोजगार स्थापित करके लाखों लोगों को रोजगार दे सकें।
यह प्रेरणा स्रोत सलाह नेक सलाह सिर्फ और सिर्फ लेखक मान सिंह नेगी ही आपको दे सकता है।
दोस्तों दूसरों को दोष देना सबसे आसान तरीका है। अपनी असफलता को छुपाने का।
परंतु दूसरों के लिए मिसाल बनना सबसे कठिन काम है।
इसलिए अपने छोटे रोजगार से शुरुआत करके उद्यमी बनने का प्रयास कीजिए।
मेरी कहानियां आपके उज्जवल भविष्य को दीप की तरह मार्गदर्शन देंगी।
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आप सब मेरी अगली कहानी पढ़ना ना भूले 256। एक बेहतर कल के लिए। एक बेहतर समाज के लिए।
