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Man Singh Negi

Children Stories

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बूढ़ी मां

बूढ़ी मां

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बूढ़ी मां 

गोली से भी तेज चलती है कलम

लेखक मान सिंह नेगी 

मां तो मां होती है, वह ना जवान होती है ना बूढ़ी होती है। 

मैने सुना है, अपने भी सुना होगा। 

मां पिता ब्रह्मांड स्वरूप देवतुल्य है। 

जैसे भगवान गणेश ने भगवान शिव पार्वती के चक्कर लगा कर साबित कर दिया था। 

तीन लोक चौदह भवन दसों दिशाओं कहने का तात्पर्य समस्त  ब्रह्माण्ड माता पिता ही है। 

पुष्पा ने कहा आज किस बात को लेकर ज्ञान दिया जा रहा है। 

मैने कहा कुछ नहीं बस दिल ❤️ में बैठे बैठे ख्याल आ गया।
 
अम्मा जिस प्रकार से दुकानदारी में हमारा हाथ बटा रही है। वह प्रशंसनीय ही कहलाएगा। 

पुष्पा ने कहा अम्मा को रेट का मालूम नहीं है। 

वह ग्राहक से कहती है। उस पर मूल्य देख ले। 

यदि कोई उनको चुना लगाएगा तो हमारा नुकसान हो सकता है। 

मैने कहा पुष्पा आप सही कह रही हो।

लेकिन उनका 70 साल की उम्र में भी काम करना यह साबित करता है। 

उनकी इच्छा शक्ति कितनी प्रबल है। 

आज भी वे काम करने के लिए आतुर। हां उन्हें समान की कीमत का अंदाजा नहीं है। 

वह ग्राहक से अक्सर कहती है। उसका मूल्य समान पर लिखा हुआ है। 

इसमें दोनों तरह के ग्राहक शामिल है। एक वो जो वास्तव में हमको ही नहीं। किसी को भी चुना नहीं लगाएंगे। 

ठीक इसके विपरीत दूसरे ग्राहक को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। 

वह वास्तव में चुना लगाना जानते है। 

हां इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता। वे इतने शातिर होते है दूसरे के आंखों से काजल चुरा ले और उन्हें पता भी ना चले। 

लेकिन हमारी मां आज भी अपने जमाने में जी रही है। उनकी सोच आज भी पुराने वाले समय की है। जहा चोरी बेइमानी के लिए कोई स्थान नहीं था। 

वह आज भी समान की कीमत उतनी ही आंकती है। जितनी उनके समय में थी। 

पुष्पा ने कहा वह सब कुछ अच्छा करती है। इस उम्र में हमारे साथ उनका काम करना अच्छा लगता है। उनकी वजह से मैं दिन में एक दो घंटे आराम भी कर लेती हु। 

मां ने हमेशा हमारा हाथ बटाया है। 

मैने कहा ऐसी मां सबको मिले जो घर की स्तिथि को जानकर काम में हाथ बटाती हो।

इस उम्र में इनका काम करना सराहनीय है। 

इतिश्री


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