pointless
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तुम हमेशा अपने पति को पॉइंटलेस कर देती हो।
क्या तुम्हें अहसास है जैसे दिन भर का काम करके रात तक तुम पूर्ण रूप से थक जाती हो।
क्या तुम्हारा पति अपने अपने कार्यालय में गुहिया छिलता है।
थोड़ा अपने पति के बारे में सोच कर तो देखो।
क्या वह सिर्फ परिवार के सदस्यों के लिए ATM 🏧 मशीन है।
क्या वह उस बाग में जाता है जहां पैसा उगता है।
बस महीने बाद वह सारे पैसे बाग से तोड़कर तुम्हे और परिवार के सदस्यों की जरूरतें पूरी करता है।
क्या तुमने कभी उस जुबान वाले बेजुबान पति को दो पाटो के बीच में तिल तिल करते मरते हुए देखा है।
ऋतु ने कहा हां हां मार लो ताने। तुम्हें ताने के सिवाय आता ही क्या है।
तुम्हारे लिए जितना भी कर लो कम है। तुम्हें अपना कलेजा भी काटकर दे दूं । तब भी तुम यही कहोगे यहां से टेडा कटा है।
मैं कुछ कह पता उससे पहले ऋतु की सहेली लता बोली ऋतु कभी तुमने अपने पति हरीश के बारे में सोचा है।
दिनभर वह कार्यालय में खटता रहता है।
शाम को जब वह घर आ कर अपने कपड़े उतार कर रखता है।
तब सबसे पहली प्रतिक्रिया तुम्हारी यही होती है।
देखो घर को मैने कितना सजा कर रखा था। आते ही सारा गुड़गोबर कर दिया।
तुम्हे मालूम है हरीश चाह कर भी तुम से कुछ नहीं कहता।
वह मन मसोस कर रह जाता है। यह सोचकर यदि तुम्हे कुछ कहा तो ताली बजाना अनिवार्य हो जाएगा।
यदि ताली बजी तब अड़ोस पड़ोस में घर की कहानी को चटखारे लगा कर पूरे मोहल्ले में एक दूसरे को सुनाया एवं समझाया जायेगा।
हरीश के घर में जो खिचड़ी पक रही है। उसका आनंद हर कोई उठाएगा।
ऋतु के आगे उसकी सहेली का ज्ञान उस प्रकार अधूरा पड़ रहा था।
जैसे भैंस के आगे बिन बजाना। क्युकी ऋतु कुछ समझने को तैयार ही नहीं थी।
उसने अपनी सहेली को कहा तुम नहीं जानती रमा इन्होंने मुझे दुखी कर रखा है।
जब भी ये घर में रहते है। तब ये घर को अस्त व्यस्त कर देते है।
मैंने पूछना वह घर को कैसे अस्त व्यस्त कर देते है।
उससे पहले रमा ने ही पूछ लिया क्या ये घर में कूड़ा करकट फैलाते है।
ऋतु बोली नहीं ऐसा नहीं है। रमा ने कहा फिर क्या परेशानी तुम्हें हो रही है।
ऋतु बोली कभी इन्हें कहती हूँ । तुम ये समान ला दो। तो साफ मना कर देते है।
रमा ने कहा ऋतु शायद तुम्हें पता नहीं। या हो सकता है पता होगा परंतु तुम समझना नहीं चाहती शाम तक सर का दही हो जाता है। शाम तक शरीर पूरी तरह टूट जाता है।
ऋतु ने कहा मैं दिन भर घर पर आराम करती हूँ ।
लता ने कहा आराम तो नहीं करती। परंतु बात बात आर आने पति को चाह कर भी ना बोलने देना।
उन्हें बात बात पर टोकना पॉइंटलेस करता है।
उनके भी घर आने पर ज्यादा नहीं थोड़े अरमान होते है।
वह भी कुछ लगना चाहते है। परंतु तुम्हारी खट पट से वह चाह कर भी कुछ नहीं कह पाते।
तुम अपने पति को विशेषकर जब वह ड्यूटी से लौट कर आते है।
तब अपने मीठे बोल से उनकी थकान हर लिया करो।
कहते है ना बनिया गुड ना दे परंतु गुड वाली बात अवश्य करता है।
इतिश्री
