दुख
लेखक मान सिंह नेगी
गोली से भी तेज चलती है कलम
दुख की परिभाषा क्या है। यह तो मैं नहीं जानता। परंतु जहां तक मुझे समझ आ रहा है।
दुख वहीं से शुरू होता है। जहां पुरानी यादें मन को कचोटती है। मन को दुखी करती है। मन को रुलाती है। मन को दुःखी होने पर विवश कर देती है।
पुरानी और कड़वी यादें हमेशा दुख देती है। पुरानी एवं कड़वी बातें सदा पुराने जख्मों को हरा कर देती है।
पुरानी और कड़वी यादें हमेशा पुराने भरे हुए जख्म हरे करती है।
पुरानी यादें तिल तिल कर मरने को मजबूर करती है।
हालांकि महाभारत में कुंती ही एक मात्र ऐसी स्त्री है ।
जिसने भगवान राधे कृष्ण से केवल दुख ही दुख मांगे।
भगवान राधे कृष्ण ने कहा आप चाहती तो बहुत कुछ मांग सकती थी।
मैं उसे देने के लिए प्रतिबद्ध था। उसके पश्चात भी तुमने संसार के भौतिक सुख साधनो और सुविधाओं का त्याग कर अपने लिए दुख मांगे आखिर क्यों बुआ।
तुमने वरदान में सुख की जगह दुख को मांग कर प्राथमिकता क्यों दी।
कुंती ने आंखों में आंसू भरते हुए कहा मैंने दुख को इसलिए मांगा है।
जिससे मैं पल पल तुम्हें भजती रहूं।
जिससे मैं कभी इस अहंकार में ना रहूं। जो कुछ कर रही हूं मैं कर रही हूं।
क्योंकि कहा भी गया है दुख में सुमिरन हर कोई करें सुख में सुमिरन करे न सुख में जो सुमिरन करें तो दुख काहे का होय।
पुष्पा ने कहा जीवन में दुखों की कमी नहीं है।
पूजा ने कहा जीवन में दुख है ही नहीं। हां मैं यह मानती हूं जीवन में कड़ा संघर्ष है। परंतु जीवन में दुख है ही नहीं।
अमित ने कहा यदि जीवन मिला है। तो सुख और दुख जीवन के दो पहलू है।
दोनों का जीवन में आना और जाना अनिवार्यता है।
परंतु अधिकतर लोग दुख को पकड़ कर बैठे हैं।
जबकि हर अवस्था में हर क्षण मे हर पल में सुख ही सुख व्याप्त है।
परंतु मन में बैठी बदले की भावना।
दूसरा व्यक्ति का अहंकार दुख को जाने का रास्ता नहीं दे पाता।
पूजा ने कहा जब तक हम पुरानी बातें दिल में लेकर बैठे रहेंगे। तब तक हमारे जीवन से दुख जा ही नहीं सकता।
आशा ने कहा अगर जीवन में सुख प्राप्त करने की कामना रखते हो तो आपको हर पल वर्तमान में जीना होगा।
कल क्रिकेट सम्राट सचिन तेंदुलकर ने शतक पर शतक लगाए थे।
परंतु कभी-कभी वह शून्य पर भी आउट हुआ था।
आप सोचिए जब-जब सचिन तेंदुलकर शून्य पर आउट हुआ तो क्या उसे दुख के सागर में डूब जाना चाहिए था।
नहीं वह दुख के सागर में डूब कर अपना भविष्य बर्बाद नहीं करना चाहता था।
जब जब वह शून्य पर आउट हुआ।
तब तब उसने उस स्थिति से सबक लेते हुए बेहतर प्रदर्शन किया।
यदि वह शून्य पर आउट होने को दुख के साथ प्रकट करता। तो आज वह क्रिकेट सम्राट नहीं होता।
आशा ने कहा जब-जब पुरानी बातें याद आती है। तब तब यह समझ लीजिए दुख ने अपने जीवन में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा ली है।
क्योंकि जीवन कभी भी भूत कल पर नहीं चलता।
जीवन हमेशा वर्तमान और भविष्य को लेकर चलता है।
वर्तमान में जब-जब व्यक्ति रहेगा तो उसे दुख कभी छू भी नहीं सकता।
वर्तमान से होते हुए जब वह अपने भविष्य को लेकर सपने पिरोता है।
तब उसके हृदय में सुख की आभा मुस्कुराहट के रूप में उसे नई ऊर्जा प्रदान करती है।
पुष्पा ने कहा जो दुख हमारे जीवन में आया है। उसे हम किसी को भी बता नहीं सकते।
तो दुख को जाने का कैसे रास्ता मिलेगा।
पूजा ने कहा जो लौट गया वह दिन फिर ना आएगा। जो पल जो क्षण बीत गया वह कभी नहीं आएगा।
यदि मेरे जीवन में किसी भी प्रकार का दुख आ गया है।
तब भी उसे भूलने में ही भलाई है।
पुष्पा ने पूछा दुख को भूलकर किस प्रकार की भलाई हो सकती है।
पूजा ने कहा दुख को भूलकर जो भलाई हो सकती है। वह बहुत से रूपों में हो सकती है।
परंतु मैं यहां कोई ग्रंथ या काव्या लिखने नहीं बैठी हूं।
मैं तुम्हें गागर में सागर के रूप में समझाना चाहती हूं।
दुख को भूलने में कैसे भलाई है। क्यों भलाई है, और यह भलाई किस प्रकार से सुख समृद्धि का मार्गदर्शन करती है।
पुष्पा ने कहा मेरी ज्ञानी बहन पूजा अब तुम मुझे जीवन का पाठ पढ़ाओगी। पूजा ने कहा ऐसी बात नहीं है।
परंतु सबक अच्छा ज्ञान जहां से भी मिले। उसे प्राप्त कर लेना चाहिए।
पूजा ने कहा दुख के पहाड़ को जितना भी कुरेदा जाए उतना ही दुख और बढ़ता चला जाता है।
जितना भी हम पुरानी बातों को याद करते हैं।
दुख धीरे-धीरे धीरे धीरे इतना बढ़ जाता है।
घर में सुखी परिवार में क्लेश अपना स्थान बना लेता है।
पूजा ने कहा हमें दुख से बचने के लिए वर्तमान में अधिक से अधिक ध्यान लगाना चाहिए।
भगवान कृष्ण ने भी कहा था तुम अपना कर्म करो फल की इच्छा मत करो।
बावजूद भगवान कृष्ण की बात से सबक न लेते हुए।
व्यक्ति क्लेश को दुख को पकड़ कर बैठा है। मैं तुझे जाने नहीं दूंगा।
जबकि भगवान कृष्ण कहते हैं। जो भी व्यक्ति वर्तमान में कार्य करता है। जो भी व्यक्ति वर्तमान में जिंदगी को चलाता है।
उसे कभी भी दुख छू नहीं सकता।
परंतु मानव वर्तमान में होते हुए अपने भूत को जो बीत गया था है कल जबकि जानता है वह अब ना आएगा ।
उसके पश्चात भी वह दुख को थामे रहता है। दुख से बचने का एकमात्र उपाय है वर्तमान में जिया जाए।
इतिश्री