ताली
ताली
ताली बजाने के बहुत से फायदे होते हैं।
क्या आप जानते हो निलेश बाबू।
निलेश ने कहा मैं ताली बजाने को एक व्यायाम के तौर पर मानता हूं।
ताली बजाने से शरीर में 206 हड्डियों को स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है।
निलेश ने कहा सच कहूं ताली बजाने का अपने आप में ही अलग मजा है।
रोहित ने कहा वह कैसे। निलेश ने कहा ताली बजाने से आंखों की रोशनी तेज होती है ।
क्या कभी आपने किसी किन्नर को चश्मा लगाते हुए देखा है।
निलेश ने कहा आपको जानकर हैरानी होगी किन्नर बीमार भी कम पड़ते हैं।
उनका सबसे महत्वपूर्ण कारण यही है। वजह बेवजह वह एक ऐसा व्यायाम कर रहे होते हैं।
जिसे हम ताली के रूप में जानते हैं।
किसी को भी विश्वास नहीं होगा कि वास्तव में ताली बजाने से शरीर को इतने स्वास्थ्य लाभ प्राप्त हो सकते हैं।
वैसे भी भारतीय मानसिकता सरल कार्यों को तवज्जो कहां देती है।
भारतीय मानसिकता कहती है जो भी कार्य आसान है। वह उसे कर नहीं सकते ऐसा नहीं है।
परंतु वह ऐसा करेंगे नहीं।
ताली बजाना अपने आप में एक प्राकृतिक वरदान है।
जिससे शरीर में खून का दौरा बढ़ जाता है। दिमाग की बत्तियां खुल जाती है। याददाश्त तेज हो जाती है। पाचन क्रिया में भी सुधार होता है।
ताली बजाने का प्रत्येक दिन में अपना एक विशेष महत्व है।
मैंने कहा निलेश आपने जो ताली बजाने का विशेष रूप से स्लोगन तैयार किया है वह मुझे अधिक प्रभावित करता है
रोहित ने पूछा निलेश तुमने कौन सा ऐसा स्लोगन तैयार किया है। जो मान आपसे अत्यधिक प्रभावित है।
निलेश ने कहा जाने दो जानकर क्या करोगे।
रोहित भी जिद पर अड गया बताओ तो सही कुछ इसका लाभ हम भी ले ले।
निलेश ने कहा रोहित जब तुम इतना जानने के इच्छुक हो तो आपको बताना लाजिमी है।
जिस ताली की बात मान कर रहा है। उसे सुनकर आपका भी नथुने बिना गैस के फूल जाएंगे।
रोहित ने कहा फिर तो यह जानना बहुत ही आवश्यक है।
निलेश ने कहा आप जानते ही हो। जब जब वेस्टीज का सेमिनार जनकपुरी शाखा में लगता है। वहां की एंट्री फ्री होती है।
उसके पश्चात भी बीच-बीच में कई ऐसे पड़ाव आते हैं।
जहां हाल में उपस्थित सभी वेस्टिज परिवार के सदस्य अनेक मौकों पर लीडर्स का उत्साह बढ़ाते है।
रोहित ने कहा इसमें प्रभावित करने वाली कौन सी बात है।
निलेश ने कहा प्रभावित करने वाली बात अभी बताई कहां है।
रोहित ने कहा क्यों मुझे धरती की तरह गोल-गोल घुमा रहे हो।
निलेश ने कहा वेस्टीज का पहला सेमिनार आईटीओ पर लगता है।
यदि हम आईटीओ पर पहली बार किसी सदस्य को ले जाएं।
तब वह उस सेमिनार के बारे में क्या सोचेगा।
रोहित क्या आपको इसका इल्म है।
रोहित ने कहा नहीं मैं इस बारे में कुछ भी नहीं जानता।
निलेश ने कहा यदि तुम इस बारे में जानते। तो शायद आप भी प्रभावित हो जाते।
यह बात सुनकर रोहित और भी ज्यादा उसे सुनने का इच्छुक हो गया।
आखिर ताली बजाने से कैसे कोई व्यक्ति प्रभावित हो सकता है।
वह आश्चर्यचकित होकर पूछता है।
अब निलेश बता भी दो मान कैसे तुम्हारे ताली बजाने के स्लोगन से प्रभावित है
निलेश ने कहा यदि हम पहली बार नए सदस्य को आईटीओ के सेमिनार में ले गए।
जहां पर एंट्री फीस ₹200 है। तब जो व्यक्ति उस फीस को भरकर हाल में बैठकर लीडर्स को सुनने के पश्चात बार-बार ताली बजा रहा है।
वह मन ही मन यह सोचकर अपने मन की भड़ास निकाल रहा होगा।
निलेश जीवन में आज के बाद ₹200 फीस देकर कभी भी ना तो ताली बजाऊंगा और ना ही किसी को बजाने दूंगा।
निलेश ने कहा वह मन ही मन अवश्य सोच रहा होगा।
खाया पिया कुछ नहीं गिलास तोड़ा बारह आना।
रोहित ने पूछा वह कैसे निलेश ने कहा वह मन ही मन अपनी एंट्री फीस को लेकर कुछ इस कदर खयालों में डूबा होगा की निलेश ने मेरे ₹200 का नुकसान करवा दिया। ₹100 का किराया ऊपर से और लगवा दिया।
उसका ध्यान लीडर्स के महत्वपूर्ण विचारों की बजाए अपने उन खर्चों पर केंद्रित होगा जहां वह यह भी सोच रहा होगा क्या मैं इस सेमिनार में ताली बजाने के लिए ही आया हूं।
जब भी मैं और मान इस बात पर विचार करते हैं।
तो हम दोनों खूब खिलखिला कर हंसते हैं।
निलेश ने कहा हालांकि ताली बजाने के अपने ही फायदे हैं।
ताली बजाने का जीवन में अपना ही एक महत्वपूर्ण स्थान है।
निलेश ने कहा जो भी व्यक्ति सीखने की इच्छा रखता है। वह केवल विद्यालय की फीस नहीं भरता अपितु वह और भी ज्यादा ज्ञान अर्जित करने के लिए अपने मार्गदर्शन के लिए खुद से सीखने के लिए अलग-अलग प्रकार की कोचिंग लेता है।
कई बार कोचिंग में भी कुछ एक्स्ट्रा क्लासेस लगती है।
जहां विद्यार्थी बहुत कुछ सीखता है। यह सब निर्भर करता है व्यक्ति विशेष की अपनी सोच पर।
रोहित ने भी हंसते हुए कहा सही बात है।
जो व्यक्ति सकारात्मकता को लेकर चलता होगा। उसके लिए जहां फीस देनी पड़ती होगी। वह सेमिनार भी महत्वपूर्ण ही होगा।
लेकिन एक प्रतिशत भी उसके मन में नकारात्मकता आ जाए
तो वह वही सोचेगा खाया पिया कुछ नहीं गिलास तोड़ा बारह आना।
निलेश ने कहा उसके मन में कभी यह ख्याल नहीं आएगा जो सेमिनार में अपने अनुभव के माध्यम से उन्हें जीवन में आगे बढ़ाने के नए-नए तरीके बता रहा है।
वह उसके लिए सीखना कितना आवश्यक है।
क्योंकि ऐसा माना जाता है जब जब सीखोगे तब तब आगे बढ़ोगे।
निलेश ने कहा उम्र चाहे कुछ भी हो परंतु सीखने की लालसा कभी नहीं छोड़नी चाहिए।
इतिश्री
